शिवशंकर सारथी, RAIPUR. कोयला परिवहन घोटाला ( coal scam ) में IAS रानू साहू, समीर विश्नोई, पूर्व सीएम की डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया ( Soumya Chaurasia ) समेत अन्य आरोपियों से ACB-EOW के अधिकारियों ने जेल में जाकर तीन दिनों तक पूछताछ की। करीब 16 घंटों की इस पूछताछ में आरोपियों से 150 सवाल पूछे गए। सूत्रों के मुताबिक जो सवाल पूछे गए उनमें कुछ प्रमुख सवाल थे कि किंगपिन सूर्यकान्त तिवारी किस पॉलिटिकल लीडर को लाभ देता था। पॉलिटिकल लीडर की चेन में कौन-कौन शामिल थे। इस पूरे नेक्सस का पॉलिटिकल लीडर कौन था। आरोपी आईएएस में लीडर कौन रहा। ED की जांच के बाद भी वो कौन-कौन से लोग हैं जो कोल परिवहन की लेवी वसूली में शामिल थे। जेल में बंद ज्यादातर आरोपी हाई प्रोफाइल हैं। ACB-EOW के सूत्रों के मुताबिक आरोपियों ने ज्यादातर सवालों में टाल-मटोल का रवैया अपनाया।
भूपेश के कार्यकाल में काफी काम मैन्युअली हो रहे थे
डॉक्टर रमन सिंह के कार्यकाल में खनन से जुड़े सारे काम कम्प्यूटरीकृत थे। जबकि भूपेश बघेल के कार्यकाल में काफी कुछ काम मैन्युअली किया जा रहा था। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है। ED ने अपनी प्राथमिक जांच में आईएएस समीर विश्नोई के पास से कुछ ऐसे सुबूतों इकट्ठे किए हैं जिससे कि यह साबित होता है कि कुछ काम मैन्युअली किए जा रहे थे। आईएएस समीर विश्नोई को हिरासत में लिए जाने के काफी दिनों बाद आईएएस रानू साहू को ED ने गिरप्तार किया था। अपनी गिरप्तारी से पहले IAS रानू साहू रायगढ़ जिले की कलेक्टर थीं। रायगढ़ से पहले वो कोरबा जिले की कलेक्टर रहीं। दोनों ही जिलों में कोयले की बड़ी खपत है।
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अज्ञात और अन्य को तलाश रही एसीबी
सूत्रों के मुताबिक ACB और EOW के पास सिर्फ प्रतिवेदन ही नहीं, बल्कि गाइडेंस भी है। बस, इसी गाइडेंस के हिसाब से ACB और EOW जांच के काम में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं। राज्य की जांच जहां, ED का बैक अप नोएडा और छत्तीसगढ़ में दर्ज FIR है तो वहीं, राज्य की जांच एजेंसियों ने "अज्ञात और अन्य" का बैकअप प्लान बनाया है। अज्ञात और अन्य ये दो शब्द जांच एजेंसी को कई मौकों पर राहत देंगे। 500 करोड़ के कथित कोयला घोटाला में ED लगभग 200 करोड़ की सम्पत्तियों को जप्त कर सकी है। मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव के पद पर रही सौम्या चौरसिया की सास और पति के नाम राजनांदगांव जिले में कीमती जमीन ( खेत ) को ED ने जब्त किया है। समीर विश्नोई, आईएएस रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकान्त तिवारी के घरों से कैश, हीरा और सोने के गहने भी जब्त किए गए हैं। ED ने इन सब सामान को साक्ष्य बनाया है। साथ ही डिजिटल साक्ष्य की बात भी ED की ओर से कही गई है।
प्लान और प्रयोग की पॉलिसी
ED ने गिरफ्तारियां भी सिलेसिले वार तरीके से की है। गिरफ्तारियों के बीच का अंतर यह बताता है कि "प्लान फिर प्रयोग" की नीति पर काम हुआ है। अदालत में व्हाट्सऐप चैट सुबूत माना जाता है। व्हाट्सऐप चैट के सुबूत ED ने तकनीकी जानकारों को सेलफोन देकर रिकवर करवाया है। यह सेलफोन ब्यूरोक्रेट्स के हैं। आईएएस समीर विश्नोई, आईएएस रानू साहू और सौम्या चौरसिया से ACB EOW के अधिकारियों को सवालों का जवाब जब सीधे-सीधे नहीं मिला तो सुबूतों के दम पर केस को टिकाए रखने की नीति पर काम करने की कोशिश जारी है।
डायरी खोलेगी राज
आईएएस समीर विश्नोई के घर से ED को 4 किलो सोना, 20 कैरेट का हीरा और 47 लाख नगद मिला है। साथ ही किंग पिन सूर्यकान्त तिवारी के घर से मिली डायरी में समीर विश्नोई को एक करोड़ दिए जाने का जिक्र है। ED के मुताबिक 15 जुलाई 2020 को कोयला परिवहन नीति में समीर विश्नोई ने बदलाव किया और बाकायदा इसका नोटिफिकेशन भी जारी किया गया। आईएएस रानू साहू के पति आईएएस जयप्रकाश मौर्य के घर पर भी ED ने रेड की थी। पत्नी जेल में, पति बाहर। जय प्रकाश मौर्य के खिलाफ फिलहाल ED के पास कोई सुबूत नहीं है।
इस तरह जोड़ी कड़ी से कड़ी
ED ने जांच को कड़ी दर कड़ी जोड़ा है। इसी तरह, गिरफ्तारियां भी धीरे-धीरे हुई है। जुलाई में परिवहन नियमों में बदलाव हुआ। और 30 जुलाई 2020 से उगाही शुरू हुई। रोज लगभग 2-3 करोड़ की उगाही हो जाती थी। महज 16 महीनों में ही 500-700 करोड़ की उगाही हुई है। जहां समान्य कोयले में प्रति टन 25 रुपए की उगाही होती थी, तो वहीं पैलेट के लिए 100 रुपया प्रति टन का रेट था। बदले नियमों के बाद, कलेक्ट्रेट की माइनिंग शाखा तभी NOC जारी करती थी जब उगाही करने वाला सूर्यकान्त तिवारी रुपए मिल जाने का संकेत/रिपोर्ट दे देता था। आईएएस, कोयला कारोबारी, दो विधायक, नेता और खनिज शाखा के अधिकारी इस खेल में शामिल थे। नेताओं में कांग्रेस के प्रवक्ता आरपी सिंह, विनोद तिवारी का नाम भी सामने आया है। अन्य आरोपियों के नाम हैं- निखिल चंद्राकर, पीयूष सिंह, रोशन, मनीष उपाध्याय, नवनीत तिवारी, नारायण साहू।
अवैध वसूली के रुपए यहां हुए खर्च
ED के मुताबिक अवैध वसूली के रुपए तीन कामों में खर्च किए गए। अधिकारियों को रिश्वत, राजनीतिक कार्यों में खर्च और बेनामी सम्पत्ति बनाने में। ED के प्रतिवेदन के बाद जब ACB और EOW ने जुर्म दर्ज किया है तो, राज्य की जांच एजेंसी इसी रूट पर और सुबूतों इकठ्ठा करने की कोशिशों में है। ED की गिरफ्त में रहे अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर अब लिकर स्कैम के भी आरोपी बन गए हैं। सौम्या चौरसिया ने अपनी जमानत के लिए जमीन-आसमान एक किया है। सौम्या चौरसिया बिलासपुर हाईकोर्ट में जमानत के लिए गलत तथ्य प्रस्तुत करने के आरोप में एक लाख का जुर्माना भरने का दंड पा चुकी है। सौम्या की तरह सीए और इंद्रमणि कोल कम्पनी के संचालक सुनील अग्रवाल को भी जमानत नहीं मिली है। हाई प्रोफाइल आईएएस समीर आईएएस रानू साहू भी जेल में ही हैं। ACB-EOW के अधिकारियों ने 16 घंटों की पूछताछ में 150 सवालों के जवाब चाहे थे, लेकिन जवाबों में कुछ खास हासिल नहीं हुआ। शायद इसीलिए ACB-EOW ने अनवर ढेबर को तोड़ लिया है। किंग पिन सूर्यकांत तिवारी के टूटने से पहले राज्य की जांच एजेंसी कामयाब नहीं हो सकी हे। स्कैम काफी बड़ा है, समय चुनाव का है, स्कैम से जुड़े लोग राजनीति के बड़े नाम हैं। ऐसे में जून तक छोटी-छोटी मछलियों को पकड़ा जाएगा। सम्भव है जांच एजेंसी को भी लोकसभा चुनाव के रिजल्ट का इंतजार हो।