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छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में पुलिस प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। दैहिक शोषण और मारपीट जैसे गंभीर आरोपों में जेल में बंद एक आरोपी रितेश प्रताप सिंह पुलिस कस्टडी से फरार हो गया। इस घटना के बाद जिले में हड़कंप मच गया है और पुलिस विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।
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ये है मामला
24 वर्षीय आरोपी रितेश प्रताप सिंह, निवासी डुगडुगिया थाना कुनकुरी, पर एक नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक शोषण करने और बाद में मारपीट करने का आरोप था। इस मामले में उसे पहले जेल भेजा गया था। जेल से छूटने के बाद उसने दोबारा पीड़िता को शादी के लिए मजबूर किया और विरोध करने पर मारपीट की। पीड़िता की शिकायत पर उसे फिर से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।
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फरारी की कहानी
2 जून 2025 को पुलिस आरोपी रितेश को छह अन्य आरोपियों के साथ शासकीय वाहन से पेशी के लिए कुनकुरी कोर्ट ले गई थी। पेशी के बाद जब पुलिस उन्हें वापस जेल ला रही थी, उसी दौरान रितेश लोरो घाट के पास चलते वाहन से हथकड़ी और जंजीर खोलकर कूद गया और जंगल की ओर भाग निकला। वाहन में मौजूद पुलिसकर्मियों को कुछ समझ आता उससे पहले ही वह आंखों से ओझल हो गया।
पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज
एसएसपी शशि मोहन सिंह ने लापरवाही बरतने वाले पांच पुलिसकर्मियों – प्रधान आरक्षक सुनसाय एक्का, आरक्षक लवकुश पैंकरा, जनक साय, डायमंड तिग्गा और पुतूरु राम – को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन के दौरान उन्हें केवल जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा। साथ ही, इस मामले की प्राथमिक जांच की जिम्मेदारी एसडीओपी चंद्रशेखर परमा को सौंपी गई है।
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गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित
फरार आरोपी की गिरफ्तारी के लिए विशेष पुलिस टीम का गठन कर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। जंगलों और आसपास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन जारी है। पुलिस को आशंका है कि आरोपी क्षेत्र में ही कहीं छिपा हो सकता है।
यह मामला न सिर्फ पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि पीड़ित को न्याय दिलाने की प्रक्रिया में भी बाधा बन सकता है। आरोपी की गिरफ्तारी जल्द होने की उम्मीद के साथ यह सवाल भी उठता है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में सुरक्षा को लेकर इतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है?
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