अडानी को एक साल में मिलता है पौने तीन सौ करोड़ का मुफ्त कोयला

chhattisgarh hasdev forest : छत्तीसगढ़ में मची खनिज की लूट के दूसरे हिस्से में हम आपको दिखाएंगे कि किस तरह अडानी को हसदेव से मुफ्त का कोयला मिल रहा है।

Advertisment
author-image
Arun tiwari
एडिट
New Update
Adani free coal worth 275 crore chhattisgarh hasdev forest
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ में मची खनिज की लूट के दूसरे हिस्से में हम आपको दिखाएंगे कि किस तरह अडानी को हसदेव से मुफ्त का कोयला मिल रहा है। हाल ही में आई स्क्रॉल की रिपोर्ट कहती है कि एक साल में रिजेक्ट कोयले के नाम पर अडानी के पॉवर प्लांट को पौने तीन सौ करोड़ का मुफ्त कोयला मिला है। हसदेव में अडानी को तीन कोल ब्लॉक आवंटित हैं। इनमें से कोयला निकालने के लिए हसदेव के दस लाख पेड़ काटे जाने वाले हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान भी ये मानता है कि यहां पर सवा सौ किस्म के पशु पक्षियों के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है। पेड़ कटने से आदिवासियों और मानव संघर्ष का बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। 

 


हसदेव में कटेंगे 10 लाख पेड़

हसदेव अरंड में तीन कोल परियोजनाएं अडानी की कंपनियों को आवंटित की गई हैं। परसा ईस्ट केते वासन, परसा कोल ब्लॉक और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक। परसा ईस्ट के पहले चरण के लिए लाखों पेड़ काटे जा चुके हैं। अब परसा कोल ब्लॉक के लिए पेड़ों की कटाई शुरु हो गई है। इन तीनों परियोजनाओं के लिए हसदेव के 10 लाख पेड़ कटेंगे।

इन परियोजनाओं से राजस्थान सरकार की बिजली कंपनियां अडानी से कोयला खरीदती हैं। अडानी की राजस्थान सरकार के साथ ज्वाइंट वेंचर में बनी कंपनी ये काम करती है। जिस कोल ब्लॉक के लिए पेड़ों की कटाई शुरु हुई है उसमें करीब ढाई लाख पेड़ कटने हैँ और इसके बाद जिस कोल ब्लॉक पर काम किया जाएगा उसमें छह से सात लाख पेड़ काटे जाने हैं। हसदेव बचाओ समिति के लोग इन पेड़ों को काटे जाने का विरोध कर रहे हैं। 

 

जनजाति आयोग ने माना अडानी को दी गई ग्राम सभा की फर्जी मंजूरी

ये कैसी चैरेटी : देश की विकास परियोजनाओं में रुकावट डालने वाले 5 NGOs पर आईटी का शिकंजा, अडानी हैं निशाना

ये है अडानी का पूरा खेल 

छत्तीसगढ़ बचाओ समिति के आलोक शुक्ला कहते हैं कि हसदेव अरंड से जो कोयला निकाला जाता है वो राजस्थान सरकार की बिजली कंपनी को बेचा जाता है। अडानी और राजस्थान की बिजली कंपनी के बीच हुए करार के तहत जो रिजेक्ट कोयला होगा वो बिजली कंपनी नहीं लेगी। इस तरह तीस फीसदी कोयला रिजेक्ट के नाम पर अडानी के पॉवर प्लांट को जाता है वो भी बिल्कुल मुफ्त।

हाल ही में आई स्क्रॉल इन संस्था की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि एक साल में इस रिजेक्ट कोयले के नाम पर अडानी को पौने तीन सौ करोड़ का फायदा हुआ है। 2018 में आई कारवां की रिपोर्ट में भी ये सामने आया था कि कोयले में अडानी को 7 हजार करोड़ का फायदा हुआ है। अडानी के पॉवर प्लांट में तीस फीसदी कोयला मुफ्त में जाता है और जो बिजली बनती है वो दूसरे राज्यों को बेची जाती है। 

राम मंदिर पर राहुल गांधी के विवादित बयान से UP से MP तक सियासी उबाल, सीएम मोहन यादव बोले- उन्हें शर्म आना चाहिए

   
पशु-पक्षी,पेड़ और आदिवासियों के वजूद पर खतरा

हसदेव अरंड के यदि दस लाख पेड़ कटेंगे तो इसका नुकसान आदिवासियों के साथ पशु,पक्षी भी उठाएंगे। यहां का वांगो बांध सूख जाएगा जिससे छह हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती है। भारतीय वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट कहती है कि हसदेव के कोल फील्ड 80 फीसदी से ज्यादा का इलाका घने जंगल से घिरा है। यहां पर पशुओं की 25 से अधिक प्रजातियां रहती हैं। इन प्रजातियों में कुछ तो लुप्त होने की कगार पर हैं। 92 प्रकार की पक्षियों की प्रजाति है।

यह पूरा क्षेत्रफल 2700 हेक्टेयर को कवर करता है इसके चलते 1870 हेक्टेयर के विभिन्न आवासों का नुकसान होगा। 147 प्रकार के पेड़ पौधे और 43 प्रकार की तितलियां नष्ट हो जाएंगी। इन पेड़ों के कटने से मानव-हाथी संघर्ष बढ़ जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार 2018-2020 तक यहां पर 148 हाथियों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इस दौरान यहां पर 196 मानव और 77 हाथियों की मौत हुई थी। इसके अलावा इस वन में आदिवासी संस्कृतियां भी फलती फूलती हैं जिनके नष्ट होने का खतरा है। आदिवासियों के मुताबिक यहां पर उनके देवताओं का भी वास है। उनके स्थान को नष्ट कैसे होने दिया जाएगा। 

बुंदेलखंड रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आज, 60 प्रमुख उद्योगपति होंगे शामिल, 4500 उद्यमियों ने कराया पंजीयन

 

कांग्रेस ने मिलाया सुर

आदिवासियों के विरोध को देखते हुए कांग्रेस ने भी उनके सुर में सुर मिला लिया है। चूंकि ग्रामसभा की फर्जी मंजूरी का मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के समय का था इसलिए कांग्रेस खुद को पाक साफ समझ रही है। कांग्रेस ने आदिवासियों पर पुलिस की पिटाई का विरोध किया है साथ ही हसदेव बचाओ आंदोलन में शामिल हो गई है। 

 

संरक्षित घोषित हो हसदेव का जंगल

वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट कहती है कि क्षेत्र के निवासी मुख्य रूप से गोंड, मझवार, उरांव, पांडो और कंवर समुदायों से संबंधित हैं। उन्होंने खनन और जंगल के  नुकसान को आजीविका के लिए सीधे खतरे के रूप में माना है। उनकी वार्षिक आय के लगभग साठ से सत्तर प्रतिशत के स्रोत भी यही जंगल है। संस्थान ने ये सिफारिश की कि छत्तीसगढ़ वन विभाग को 1972 के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के अनुसार, हसदेव के भीतर और आसपास के क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें एक संरक्षण आरक्षित घोषित करने के लिए स्थानीय समुदायों से परामर्श करना चाहिए और उन्हें शामिल करना चाहिए।

छत्तीसगढ़ हसदेव आंदोलन हसदेव अरण्य आंदोलन छत्तीसगढ़ Chhattisgarh CG News अडानी गौतम अडानी ग्रुप हसदेव अरण्य आंदोलन हसदेव अरण्य अडानी cg news update cg news today हसदेव