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Ambikapur.छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में गरीबों के हक पर डाका डालने वाला एक बड़ा राशन घोटाला (Ambikapur Ration scam) सामने आया है। यहां करीब ₹65 लाख रुपए के चावल, शक्कर और चना का गबन किया गया है। यह खुलासा तब हुआ जब भाजपा नेता आलोक दुबे ने इसकी शिकायत जिला कलेक्टर से की। जांच के बाद मामला इतना गंभीर पाया गया कि पुलिस ने सहकारी समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और 4 अन्य पर धोखाधड़ी व आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act) के तहत FIR दर्ज की है।
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कलेक्टर की जांच में सामने आया बड़ा खेल
अंबिकापुर जिले में 62 सरकारी राशन दुकाने संचालित हैं। इनमें से एक जनकल्याण खाद्य सुरक्षा पोषण एवं उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति के अंतर्गत आने वाली दुकान में लंबे समय से गड़बड़ियों की शिकायत मिल रही थी। भाजपा नेता आलोक दुबे की शिकायत पर कलेक्टर अजीत वसंत ने खाद्य विभाग के निरीक्षक शिव कुमार मिश्रा को जांच का आदेश दिया।
जांच के दौरान यह पाया गया कि दुकानों में जितना राशन होना चाहिए, उतना मौजूद नहीं था। यानी गरीबों के लिए भेजा गया सरकारी चावल, शक्कर और चना निजी दुकानों और माफियाओं को बेच दिया गया था।
इतनी मात्रा में किया गया राशन का गबन
फूड इंस्पेक्टर की रिपोर्ट में सामने आया कि 1631 क्विंटल चावल, 48 क्विंटल चना, और कई क्विंटल शक्कर का गबन किया गया है। इस पूरे घोटाले की कुल कीमत लगभग ₹65 लाख रुपए बताई जा रही है।
छह लोगों पर FIR दर्ज
फूड इंस्पेक्टर शिव कुमार मिश्रा ने मामले में एफआईआर दर्ज कराई है। आरोपियों में शामिल हैं –
- पवन सिंह, अध्यक्ष (निवासी – घुटरापारा)
- सुनिता पैकरा, उपाध्यक्ष
- फरहान सिद्दीकी, सहायक विक्रेता
- प्रिंस जायसवाल, सहायक विक्रेता
- सैफ अली, विक्रेता
- मुकेश यादव, कर्मचारी
सभी पर धोखाधड़ी और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज हुआ है।
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अंबिकापुर में राशन घोटाला: 3 पॉइंट्स में समझें
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गिरफ्तारी के लिए गठित हुई विशेष टीम
एफआईआर के बाद पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तीन विशेष टीमों का गठन किया है। शुरुआती तौर पर आरोपियों को जमानत मिलने की आशंका थी, लेकिन शिकायतकर्ता आलोक दुबे के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने धारा 409 (सरकारी धन के गबन) भी जोड़ी, जिससे मामला और गंभीर अपराध श्रेणी में आ गया।
आगे की कार्रवाई
प्रशासन अब राशन दुकानों की विस्तृत जांच करा रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अन्य राशन दुकानों पर भी कार्रवाई हो सकती है। अंबिकापुर का यह मामला अब पूरे प्रदेश में राशन वितरण व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है।