छत्तीसगढ़ में राशन घोटाला, 7000 टन चावल की हेराफेरी, 19 दुकानदारों पर FIR

छत्तीसगढ़ की उचित मूल्य राशन दुकानों में 7,891.73 टन चावल की हेराफेरी का एक बड़ा मामला सामने आया है। खाद्य विभाग द्वारा भौतिक सत्यापन में यह घोटाला उजागर हुआ, जिसके बाद 894 राशन दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ की उचित मूल्य राशन दुकानों में एक बार फिर बड़े पैमाने पर चावल की हेराफेरी का मामला सामने आया है। खाद्य विभाग द्वारा किए गए भौतिक सत्यापन में 7,891.73 टन चावल का स्टॉक से कम मिला।

यह घोटाला सामने आने के बाद विभाग ने 894 राशन दुकानों के विरुद्ध कार्रवाई की। इसके तहत 19 के खिलाफ FIR दर्ज की गई, 101 दुकानों का आबंटन निलंबित और 72 का आबंटन निरस्त किया गया। इसके साथ ही 94 दुकानों से वसूली के लिए रिकवरी सर्टिफिकेट (RRC) जारी किया गया है। 

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बार-बार सामने आ रही अनियमितताएं 

छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत उचित मूल्य की राशन दुकानों के जरिए गरीब और जरूरतमंद परिवारों को रियायती दरों पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन इस प्रणाली में बार-बार अनियमितताएं सामने आ रही हैं। खाद्य विभाग ने 31 मार्च 2024 को सभी जिलों में संचालित 13,779 राशन दुकानों के बचत स्टॉक का भौतिक सत्यापन कराया। इस दौरान 894 दुकानों में 7,891.73 टन चावल की कमी पाई गई। 

खाद्य विभाग की सख्त कार्रवाई

सत्यापन के बाद खाद्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई शुरू की। दोषी पाई गई दुकानों के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए। 
101 दुकानों का आबंटन निलंबित : इन दुकानों को अस्थायी रूप से राशन वितरण से रोक दिया गया।
72 दुकानों का आबंटन निरस्त : इन दुकानों को स्थायी रूप से राशन दुकान संचालन से हटा दिया गया।
19 दुकानदारों पर FIR: गंभीर अनियमितताओं के चलते 19 दुकानदारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए।
94 दुकानों पर वसूली का आदेश : हेराफेरी की गई राशि की वसूली के लिए रिकवरी सर्टिफिकेट (RRC) जारी किए गए।

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इसके अलावा, खाद्य विभाग ने स्पष्ट किया कि इस तरह की अनियमितताओं को रोकने के लिए भविष्य में भी नियमित निरीक्षण और सत्यापन जारी रहेगा। विभाग का दावा है कि यह कार्रवाई सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

कैसे हुई हेराफेरी?

जांच में सामने आया कि कई राशन दुकानदारों ने चावल का स्टॉक या तो कालाबाजारी में बेच दिया या गलत तरीके से अन्यत्र भेज दिया। कुछ दुकानों में स्टॉक रजिस्टर में हेरफेर कर चावल की मात्रा को कम दिखाया गया, जबकि वास्तविक स्टॉक और भी कम था।

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यह हेराफेरी न केवल गरीबों के हक को प्रभावित करती है, बल्कि सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान पहुंचाती है। जानकारों का कहना है कि ऐसी अनियमितताएं तभी संभव हैं, जब स्थानीय स्तर पर खाद्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत हो। इस पहलू की जांच के लिए भी विभाग ने कदम उठाने की बात कही है।

जनता पर असर

उचित मूल्य की राशन दुकानें गरीब और मध्यम वर्ग के लिए जीवन रेखा की तरह हैं। इन दुकानों के जरिए रियायती दरों पर चावल, गेहूं, चीनी जैसे जरूरी सामान उपलब्ध कराए जाते हैं। लेकिन 7,000 टन से ज्यादा चावल की हेराफेरी से यह साफ है कि जरूरतमंदों तक पूरा राशन नहीं पहुंच रहा।

इससे न केवल गरीब परिवार प्रभावित हुए, बल्कि PDS की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं। स्थानीय लोगों ने इस घोटाले पर गहरी नाराजगी जताई है और मांग की है कि दोषी दुकानदारों के साथ-साथ लापरवाह अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।

भविष्य की योजना

खाद्य विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाने का वादा किया है। इनमें शामिल हैं। 
नियमित भौतिक सत्यापन : सभी राशन दुकानों का समय-समय पर स्टॉक चेक किया जाएगा।
डिजिटल निगरानी : स्टॉक और वितरण की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल सिस्टम लागू करने की योजना।
कठोर सजा : हेराफेरी में शामिल दुकानदारों और अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई और आर्थिक दंड को और सख्त किया जाएगा।

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सवालों के घेरे में खाद्य विभाग

इस घोटाले ने खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। इतनी बड़ी मात्रा में चावल की हेराफेरी बिना स्थानीय अधिकारियों की जानकारी के संभव नहीं है। सवाल यह है कि क्या विभाग की निगरानी प्रणाली इतनी कमजोर है कि इतने बड़े पैमाने पर अनियमितता पकड़ में नहीं आई? साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विभाग कितना प्रभावी कदम उठाएगा, यह देखना बाकी है।

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