अविनाश पांडेय मर्डर केस में बड़ा फैसला: हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को किया बरी, जानें वजह

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महासमुंद के बहुचर्चित अविनाश पांडेय हत्या मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। 11 साल पुराने इस केस में कोर्ट ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है।

author-image
Harrison Masih
New Update
avinash-pandey-murder-case-cg-high-court-verdict the sootr
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Mahasamund. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महासमुंद जिले के बहुचर्चित अविनाश पांडेय मर्डर केस में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। यह फैसला जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिविजन बेंच ने सुनाया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा और उपलब्ध साक्ष्य संदेह से परे नहीं हैं (Avinash Pandey Murder)।

ये खबर भी पढ़ें... रायपुर के फारूक खान हत्याकांड पर हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला,उम्रकैद की जगह 10-10 साल कैद

क्या है पूरा मामला?

यह मामला जून 2013 का है। उस समय एफसीआई गोदाम, बागबाहरा (जिला महासमुंद) के पास अविनाश पांडेय गंभीर रूप से घायल अवस्था में मिले थे। शुरुआत में पुलिस ने इसे सड़क हादसा मानकर जांच शुरू की, लेकिन बाद में इसे हत्या का मामला मानते हुए विश्‍वजीत राय, सनी राय, संटू राय, रवि चंद्राकर, रवि खरे, मनीष सोनी और एक ढाबा कर्मचारी पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया।

सत्र न्यायालय ने सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास (लाइफ इम्प्रिज़नमेंट) की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: इन बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में हिस्सा...

हाईकोर्ट ने क्या कहा

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि अभियोजन पक्ष के मुख्य गवाह मुकैश शर्मा का बयान विरोधाभासी और अविश्वसनीय है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि गवाह खुद घटनास्थल से भाग गया था, और कई दिन बाद बयान दिया। उसने मृतक का मोबाइल फोन अपने पास रखा, जो संदेह पैदा करता है। वहीं मृतक के पिता, मामा और अन्य गवाहों ने भी समय पर पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी।

अदालत ने यह भी कहा कि डॉक्टरों की रिपोर्ट में अविनाश पांडेय की चोटें सड़क हादसे से मेल खाती हैं, और किसी हमले या मारपीट के ठोस सबूत नहीं मिले। कथित मौखिक या लिखित डाइंग डिक्लेरेशन को भी कोर्ट ने कानूनन अविश्वसनीय बताया।

3 पॉइंट्स में समझें पूरा मामला:

  1. 11 साल पुराना मामला:
    जून 2013 में महासमुंद के एफसीआई गोदाम के पास अविनाश पांडेय घायल अवस्था में मिले थे। शुरू में पुलिस ने इसे सड़क हादसा बताया, बाद में हत्या का केस दर्ज कर 7 लोगों को आरोपी बनाया।

  2. ट्रायल कोर्ट का फैसला:
    सत्र न्यायालय ने अभियोजन पक्ष की दलीलों पर भरोसा करते हुए सभी सातों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की।

  3. हाईकोर्ट का तर्क और बरी:
    हाईकोर्ट ने पाया कि मुख्य गवाह के बयान विरोधाभासी हैं, डॉक्टरों की रिपोर्ट हादसे से मेल खाती है और ठोस सबूत नहीं हैं। इसलिए अदालत ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

ये खबर भी पढ़ें... बिना कारण पति से अलग होने पर नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की पत्नी की याचिका

ये खबर भी पढ़ें... कर्मचारी के प्रमोशन के लिए शर्तें तय करना सरकार का अधिकार... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

संदेह का लाभ देकर सभी आरोपी बरी

हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष का केस संदेह से परे साबित नहीं होता, इसलिए सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है। सभी आरोपी पहले से जमानत पर थे, जिन्हें अब औपचारिक बांड भरने का निर्देश दिया गया है। इस फैसले के साथ करीब 11 साल पुराने इस मामले का पटाक्षेप हो गया है।

महासमुंद Avinash Pandey Murder अविनाश पांडेय मर्डर केस छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
Advertisment