Chhattisgarh Fraud Case : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना पर ही छत्तीसगढ़ में पलीता लग रहा है। आदिवासी महिलाओं की आय बढ़ाने और स्वरोजगार मुहैया कराने के मकसद से ग्रामीण आजीवका मिशन यानी बिहान योजना शुरु की गई थी। इस योजना के नाम पर निजी फायनेंस कंपनियां, बैंक और प्रशासनिक अधिकारियों का गठजोड़ आदिवासी महिलाओं के साथ ठगी कर रहा है।
महिलाओं के साथ इन कंपनियों ने 200 करोड़ से ज्यादा का फर्जीवाड़ा किया गया है। आदिवासी महिलाओं को उस कर्ज के बोझ तले दबा दिया गया है जो उन्होंने लिया ही नहीं। इसकी शिकायत पीएम समेत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की गई है। पीएमओ में ये शिकायत रजिस्टर्ड हो गई है। वहीं आयोग ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है और 15 दिन में जवाब तलब किया है।
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आदिवासी महिलाओं को कर्जदार बनाने का मिशन
छत्तीसगढ़ में पीएम की योजना पर महिलाओं की आय बढ़ाना तो दूर उनको कर्जदार बनाया जा रहा है। महिलाओं को स्वरोजगार मुहैया कराने के नाम पर 200 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया जा चुका है। इस फर्जीवाड़े की चपेट में कोरबा,रायगढ़,महासमुंद,जांजगीर चांपा और बिलासपुर समेत अन्य जिलों की आदिवासी महिलाएं आ चुकी हैं।
इन महिलाओं को फायनेंस कंपनियों ने बैंक और सरकारी नुमाइंदों के साथ मिलकर ठगा गया है। इनकी शिकायत न कलेक्टर ने सुनी और न ही एसपी ने। अब ये शिकायत पीएमओ में रजिस्टर्ड हो चुकी है। अकेले फ्लोरोमैक्स ही नहीं कई अन्य कंपनियां भी इस खेल में शामिल हैं। शिकायत के अनुसार निजी फायनेंस कंपनियां नियमों को ताक पर रखकर ये फर्जीवाड़ा कर रही हैं। इसमें फ्लोरामैक्स, जनलक्ष्मी, एलएंडटी,पहल और नाबार्ड जैसी संस्थाएं शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में 10 लाख से ज्यादा महिलाएं ठगी का शिकार हुई हैं।
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ये है ठगी का तरीका
एक जिले से हम आपको इनकी ठगी का तरीका बताते हैं। कोरबा जिले में 5 ब्लॉक और 412 ग्राम पंचायत हैं। हर ब्लॉक में करीब 2200 स्व सहायता समूह का गठन किया गया है। सभी समूहों में कम से कम 10 सदस्य हैं। इस तरह हर ब्लॉक में 22 हजार महिलाएं इन समूहों से जुड़ी हुई हैं। पूरे जिले में 15 हजार स्व सहायता समूह हैं। इस तरह इन स्व सहायता समूहों से डेढ़ लाख महिलाएं जुड़ी हैं। ये आदिवासी महिलाएं पढ़ी लिखी नहीं होती इसलिए फायनेंस कंपनियों इनको टारगेट करती हैं।
इन महिलाओं को बिना नो ड्यूज के स्वरोजगार के नाम पर 30 हजार 300 रुपए का लोन दिया जाता है और रसीद 30 हजार की होती है। कंपनी के लोगों ने इनसे कहा कि लोन की किश्त कंपनी जमा करेगी। लेकिन एक,दो किश्त के बाद कंपनी ने किश्त जमा करना बंद कर दिया। इस तरह लाखों महिलाएं कर्जदार हो गई। यह सिर्फ एक जिले की कहानी है। सभी जिलों में इसी तरह का पैटर्न अपनाया जा रहा है।
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फ्लोरामैक्स ने की 120 करोड़ की ठगी
निजी फायनेंस कंपनियों में अकेले फ्लोरामैक्स के खिलाफ ही मामला दर्ज किया गया है। इस कंपनी से ठगी गईं महिला कल्याणी नामदेव कहती हैं कि कंपनी के कर्ताधर्ता अखिलेश सिंह ने उनके कम पढ़े लिखे होने का अनुचित फायदा उठाया। अखिलेश सिंह ने उनको 30 हजार रुपए का कर्ज दिलाया और स्वरोजगार कराने के लिए उनसे वह पैसे ले लिए। इसके अलावा उनके नाम के खाते की पासबुक,चेकबुक,एटीएम कार्ड अपने पास रख लिए।
कंपनी ने कहा कि हर महीने 2700 रुपए वे जमा करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अकेले उनके साथ ही नहीं करीब 35 हजार महिलाओं को विभिन्न निजी बैंकों से 30 हजार का लोन दिलाकर फ्लोरामैक्स कंपनी में जमा करवा दिया गया। इसके बदले में उनको धुंधले अक्षरों की फर्जी रसीद दे दी गई। इस तरह इस कंपनी ने हम सब महिलाओं के साथ 120 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। इसके खिलाफ मामला दर्ज करवाया है।
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आयोग का सीएस से जवाब तलब
इस शिकायत पर राष्ट्रीय जनजाति आयेाग ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन को नोटिस भेजा है। आयोग ने पूछा कि इस तरह का अरबों का घोटाला चल रहा है तो प्रशासन क्या कर रहा है। आयोग ने मुख्य सचिव को जवाब देने के लिए 15 दिन का वक्त दिया है। आयोग ने कहा कि यदि इस समय में जवाब नहीं मिला तो आयोग के सामने उपस्थित होने के लिए समन जारी किया जा सकता है।