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Bastar. बस्तर का सबसे कुख्यात नक्सली कमांडर और सेंट्रल कमेटी सदस्य मांडवी हिड़मा की मौत अब एक विवाद में बदल गई है। जहां आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ पुलिस इसे एक बड़ी सफलता और सफल एनकाउंटर बता रही है, वहीं नक्सल संगठन ने इसे 'फर्जी मुठभेड़' करार देते हुए सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर हत्या का गंभीर आरोप लगाया है। नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने एक प्रेस नोट जारी कर 23 नवंबर को हिड़मा की मौत के विरोध में देशव्यापी प्रतिरोध दिवस मनाने की घोषणा की है।
नक्सलियों का आरोप: हिरासत में लेकर की हत्या
नक्सल संगठन द्वारा जारी पत्र में माड़वी हिड़मा की मौत के संबंध में सनसनीखेज दावे किए गए हैं। नक्सलियों का कहना है कि पुलिस की कहानी झूठी और मनगढ़ंत है। पत्र के अनुसार, हिड़मा बीमार था और इलाज के लिए विजयवाड़ा गया हुआ था, जहां जानकारी लीक होने के बाद उसे 15 नवंबर को पुलिस ने पकड़ा।
नक्सलियों का दावा है कि आंध्र प्रदेश पुलिस हिड़मा को अल्लुरी सितारामा राजू जिले के मारेडुमिल्ली इलाके ले गई और 18 नवंबर को उसकी पत्नी राजे समेत कुल 6 लोगों की हत्या कर दी गई। नक्सलियों ने 19 नवंबर को हुई एक और 7 लोगों के एनकाउंटर को भी फर्जी करार दिया है और हिड़मा को खलनायक के रूप में दिखाए जाने के झूठे प्रचार का विरोध किया है।
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पुलिस का जवाब: मुठभेड़ में मारे गए, दबाव में थे नक्सली
आंध्र प्रदेश पुलिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। आंध्र प्रदेश के एसपी ने पुष्टि की कि 18 नवंबर की सुबह मुठभेड़ हुई थी, जिसमें हिड़मा, राजे और चार अन्य समेत कुल 6 नक्सली मारे गए। जब पुलिस से पूछा गया कि तीन लेयर की सिक्योरिटी में रहने वाला हिड़मा कैसे मारा गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के कारण नक्सली अपनी स्ट्रैटजी बदल रहे हैं। वे कम्फर्ट जोन से बाहर थे, और यह मौत मुठभेड़ में हुई है।
सामाजिक कार्यकर्ता भी उठा रहीं सवाल
बस्तर की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी ने भी इस घटना पर सवाल उठाए हैं।सोनी सोढ़ी ने इसे फर्जी एनकाउंटर और हत्या करार देते हुए कहा कि वह कोर्ट जाएंगी और मामले की जांच के लिए कमेटी बिठाने की मांग करेंगी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब नक्सली लीडर देवजी की गिरफ्तारी हो सकती है, तो हिड़मा को जिंदा गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।
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कौन था माड़वी हिड़मा?
माड़वी हिड़मा बस्तर में नक्सलवाद का सबसे खूंखार चेहरा था। हिड़मा पर ₹1 करोड़ का इनाम था और उसने 35 वर्षों में 300 से अधिक लोगों, जिनमें अधिकांश जवान थे, की हत्या की थी। वह 2010 दंतेवाड़ा नरसंहार और 2017 सुकमा हमले (जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे) समेत कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड था। सुरक्षा बलों के संयुक्त ऑपरेशन में आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़ सीमा पर 18 नवंबर की सुबह वह मारा गया।
हिड़मा की मौत जहां सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता है, वहीं नक्सलियों के प्रतिरोध दिवस के ऐलान के बाद, यह मामला एक बड़े राजनीतिक और कानूनी विवाद में बदल गया है।
- Beta
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