तीन राज्यों को जोड़ेगी बस्तर की नई रेललाइन,मिनरल एक्सप्रेस कॉरिडोर प्रोजेक्ट को मिली हरी झंडी

बस्तर, जो अब तक विकास की पटरी से दूर था, वहां अब रेल की सीटी गूंजने वाली है। केंद्र ने 490 किमी लंबी मिनरल एक्सप्रेस कॉरिडोर को मंजूरी दी है, जो महाराष्ट्र के गढ़चिरोली से छत्तीसगढ़ के बीजापुर और बचेली तक बिछाई जाएगी।

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Harrison Masih
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Bastar. छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के विकास में केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) से बीजापुर होते हुए बचेली (दंतेवाड़ा) तक 490 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन “मिनरल एक्सप्रेस कॉरिडोर” को मंजूरी दे दी गई है। रेल मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के लिए 12.25 करोड़ रुपए के सर्वेक्षण कार्य को स्वीकृति दे दी है। इसे बस्तर के लिए विकास की “लौह-धमनी” कहा जा रहा है, जो अब कागजों से निकलकर जमीन पर उतरने वाली है।

तीन राज्यों को जोड़ेगी यह रेल लाइन

यह रेल कॉरिडोर महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमाओं को जोड़ते हुए तीनों राज्यों के आदिवासी इलाकों को एक नई आर्थिक धारा से जोड़ेगा। बीजापुर और दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में यह पहली बार होगा जब रेल स्टेशन की घंटी गूंजेगी। इस परियोजना से जहां खदान मजदूरों को परिवहन में राहत मिलेगी, वहीं हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

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बस्तर सांसद महेश कश्यप की पहल

बस्तर के सांसद महेश कश्यप ने Mineral Express Corridor Project के लिए लगातार केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय से चर्चा की थी।

उन्होंने बताया कि- “लंबे समय से बस्तर के लोगों का सपना था कि उनके गांवों तक रेल पहुंचे। अब डबल इंजन की सरकार ने इस सपने को हकीकत में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया है। हर जिले को रेलवे से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।”

2028 तक पूरा होगा प्रोजेक्ट: विकास की रफ्तार पर बस्तर

रेलवे बोर्ड ने 12.25 करोड़ रुपए की राशि सर्वेक्षण के लिए स्वीकृत कर दी है। इस सर्वे में रूट अलाइनमेंट, पर्यावरणीय प्रभाव, भूमि अधिग्रहण और तकनीकी मूल्यांकन शामिल रहेगा।

प्रोजेक्ट टाइमलाइन के अनुसार:

  • 2025 में सर्वे पूरा होगा
  • 2026 में भूमि अधिग्रहण और टेंडर प्रक्रिया
  • 2028 तक रेललाइन का संचालन शुरू होने का लक्ष्य

यह रेल बस्तर के लौह अयस्क, खनिज और औद्योगिक उत्पादों को देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने में गेमचेंजर साबित होगी।

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बस्तर के लिए क्या बदलेगा

बीजापुर और दंतेवाड़ा को पहली बार सीधी रेल सुविधा मिलेगी (Bastar New Rail Project)। युवाओं को रेलवे में तकनीकी और गैर-तकनीकी रोजगार के अवसर मिलेंगे। खदान मजदूरों और किसानों के लिए कम लागत में माल परिवहन सुविधा उपलब्ध होगी। पर्यटन और व्यापार को नया आयाम मिलेगा। बस्तर की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी।

स्थानीय उम्मीदें और जमीनी असर

स्थानीय लोगों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। कई सामाजिक संगठनों ने कहा कि यह परियोजना बस्तर को दशकों की उपेक्षा से बाहर निकालने का प्रतीक है। रेल पहुंचने से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की राह भी सरल होगी।

केंद्र की मंजूरी से बस्तर अब सिर्फ खनिज संपदा का प्रतीक नहीं रहेगा, बल्कि विकास और कनेक्टिविटी का नया केंद्र बनेगा। यह रेललाइन बस्तर को भारत की अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जोड़ने वाली सपनों की “लौह धमनी” साबित हो सकती है।

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