बीएड की मान्यता 2019 से रद्द है, फिर भी चल रहा कोर्स

शिक्षकों की संख्या और संसाधन की सही जानकारी नहीं देने की वजह से राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने वर्ष 2019 से कल्याण कॉलेज, सेक्टर-7 में बीएड की मान्यता समाप्त कर दी है।

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Kanak Durga Jha
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B.Ed has been cancelled since 2019 yet course still going on the sootr
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शिक्षकों की संख्या और संसाधन की सही जानकारी नहीं देने की वजह से राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने वर्ष 2019 से कल्याण कॉलेज, सेक्टर-7 में बीएड की मान्यता समाप्त कर दी है, फिर भी यहां बदस्तूर पाठ्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इसकी वजह से बीते सात साल में यहां से बीएड की पढ़ाई करके निकले 700 विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर सवालिया निशान उठने लगे हैं।

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मामले में एनसीटीई से मान्यता नहीं होने के बाद भी एससीईआरटी से संबद्धता बनाए रखने और हेमचंद विवि से परीक्षा लेकर डिग्री देने का काम किया जाता रहा। इसकी वजह से दोनों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

वर्ष 2016 में एनसीटीई ने सभी बीएड कॉलेज संचालकों से वहां संचालित सीटों के अनुसार शिक्षकों और संसाधनों की जानकारी मांगी थी। साथ ही मिली कमियों को दूर करने को कहा था। कल्याण कॉलेज में बीएड की 300 सीटें थीं। तब यहां बतौर नियमित और अतिथि प्राध्यापक के रूप में 42 प्राध्यापकों की सेवाएं ली जा रही थी। 

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एनसीटीई ने कॉलेज की मान्यता समाप्त कर दी थी

बीएड का दो वर्षीय पाठ्यक्रम में बदलने कुल सीटों के स्थान पर 50-50 सीटों की एक-एक यूनिट बना दी गई। इस तरह कल्याण कॉलेज की 300 सीटें 6 यूनिट में बदल गई। यूनिट के मापदंड के अनुसार कॉलेज में प्राध्यापकों की संख्या कम हो गई। इस मामले को एनसीटीई की वेस्टर्न रीजनल कमेटी की बैठक में रखी गई। कॉलेज में शिक्षकों की कमियों को दूर करने कहा गया।

कॉलेज ने 6 यूनिट चलाने में असमर्थता व्यक्त करते हुए दो यूनिट की ही बात रखी, साथ ही इस पर कॉलेज की ओर से बीएड और एमएड के शिक्षकों की सूची एक साथ भेज दी गई। बाद में इसे करेक्ट भी नहीं किया गया। वहीं नोटिस का सार्थक जवाब देने के स्थान पर 2019 में दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा दी गई।

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इससे एनसीटीई ने कॉलेज की मान्यता समाप्त कर दी। इधर, सुनवाई के चार साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई और कॉलेज प्रशासन को आपस में मिलकर मामले को हल करने कहा, लेकिन इस दौरान भी कल्याण महाविद्यालय ने उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया। एनसीईटी में पुनः प्रकरण के संबंध में अपील की, जिसे खारिज कर दिया गया। इस तरह 7 साल बाद भी मामले का निराकरण नहीं हो पाया। वहीं दूसरे निजी महाविद्यालयों ने अपनी कमियों को दूर कर ली। 

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