बिरनपुर हिंसा केस में स्पेशल कोर्ट में सुनवाई पूरी, ढाई साल बाद पहला गवाह पेश, 19 नवंबर को आएगा फैसला

दो बच्चों की छोटी-सी झड़प ने 2023 में बिरनपुर गांव को सांप्रदायिक आग में झोंक दिया था। अब ढाई साल बाद सीबीआई की जांच और कोर्ट की सुनवाई के बाद मामला एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर है।

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Harrison Masih
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Raipur. छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के चर्चित बिरनपुर सांप्रदायिक हिंसा मामले में करीब ढाई साल बाद सुनवाई में बड़ा मोड़ आया है। शुक्रवार को स्पेशल कोर्ट में सीबीआई द्वारा लगाए गए नए धाराओं पर बहस पूरी हो गई। अदालत अब इस पर 19 नवंबर को फैसला सुनाएगी।

सीबीआई ने मांगी धाराएँ बढ़ाने की अनुमति

सीबीआई ने अदालत में दायर आवेदन में कहा कि जांच के दौरान 6 नए आरोपियों के नाम सामने आए हैं, जिनसे जुड़े कई नए साक्ष्य और तथ्य मिले हैं। एजेंसी के वकील ने कहा कि नए तथ्यों को देखते हुए धाराएँ बढ़ाना जरूरी है, ताकि सभी पहलुओं की कानूनी जांच हो सके।

वहीं बचाव पक्ष के वकील ने सीबीआई के तर्कों का विरोध करते हुए कहा — “धाराएँ बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि पहले ही आरोप तय हो चुके हैं और केस का ट्रायल चल रहा है।”

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है और अगली सुनवाई में (19 नवंबर) फैसला सुनाने की घोषणा की है।

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क्या है बिरनपुर हिंसा मामला?

बिरनपुर गांव (जिला बेमेतरा) में 8 अप्रैल 2023 को दो बच्चों के बीच हुई मामूली झड़प ने सांप्रदायिक रंग ले लिया। देखते ही देखते यह विवाद हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हिंसक टकराव में बदल गया। इस हिंसा में साजा विधायक ईश्वर साहू के पुत्र भुनेश्वर साहू (22 वर्ष) की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। घटना के बाद गांव में तनाव बढ़ गया और 10 अप्रैल को विश्व हिंदू परिषद ने छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया।

बंद के दौरान आगजनी और हिंसा हुई, जिसमें मुस्लिम समुदाय के रहीम (55 वर्ष) और उनके बेटे ईदुल मोहम्मद (35 वर्ष) की भी हत्या कर दी गई। प्रशासन ने तुरंत धारा 144 लागू की और गांव में कर्फ्यू लगा दिया, जो करीब दो सप्ताह तक चला।

जांच और सीबीआई की रिपोर्ट

शुरुआती जांच में पुलिस ने 12 लोगों को आरोपी बनाया था। बाद में राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने अप्रैल 2024 में जांच शुरू की और 30 सितंबर 2025 को चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में यह साफ कहा गया कि — “यह एक स्थानीय विवाद और सांप्रदायिक तनाव का परिणाम था, न कि कोई राजनीतिक साजिश, जैसा कि कुछ दलों ने आरोप लगाया था।”

एजेंसी की रिपोर्ट में पूर्व विधायक अंजोर यदु का नाम नहीं है, जबकि मृतक भुनेश्वर के पिता ईश्वर साहू लगातार उनकी भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं।

माहौल शांत लेकिन निगाहें फैसले पर

ढाई साल बीतने के बाद भी बिरनपुर के लोग इस मामले को लेकर अब भी संवेदनशील हैं। गांव में फिलहाल शांति बनी हुई है, लेकिन 19 नवंबर के फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हैं। यह फैसला तय करेगा कि क्या सीबीआई को नए आरोपों पर कार्रवाई की अनुमति मिलेगी या मामला पुराने आरोपों के आधार पर ही आगे बढ़ेगा।

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