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Photograph: (the sootr)
RAIPUR. रायपुर से विशाखापट्नम तक भारतमाला प्रोजेक्ट में करोड़ों का घोटाला हुआ है। घोटाले में डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार समेत पांच अधिकारी शामिल हैं। ईओडब्ल्यू ने इन अधिकारियों की संपत्ति कुर्क करने की याचिका कोर्ट में लगाई है। जांच एजेंसी ने इन सभी अधिकारियों को भगोड़ा घोषित कर दिया है।
इन आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी के बाद भी वे गिरफ्त से बाहर हैं। एसीबी और ईओडब्ल्यू इन आरोपियों को पकड़ने के लिए कोर्ट से अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने इन आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका को नामंजूर कर दिया है। ईओडब्ल्यू जल्द ही इन अधिकारियों की संपत्ति कुर्क करेगी। घोटाले में रायपुर के एसडीएम और तहसीलदार शामिल हैं।
आरोपियों के गिरेबान तक नहीं पहुंचे एजेंसी के हाथ
शराब घोटाले के आरोपी चैतन्य बघेल की 61 करोड़ की संपत्ति कुर्क की गई है। जांच एजेंसी अब अन्य घोटालों में शामिल फरार अधिकारियों की संपत्ति कुर्क करने जा रही है। अब जांच एजेंसी भारतमाला प्रोजेक्ट के घोटाले के फरार अधिकारियों की संपत्ति कुर्क करेगी।
भारतमाला प्रोजेक्ट के घोटाले में पांच अधिकारियों की संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ईओडब्ल्यू और एसीबी ने इन अधिकारियों की संपत्ति कुर्क करने के लिए कोर्ट में याचिका लगाई है। कोर्ट की अनुमति मिलते ही इन अधिकारियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया जाएगा। जांच एजेंसी ने इन अधिकारियों को भगोड़ा घोषित कर दिया है। छापेमारी के बावजूद ये आरोपी एसीबी की गिरफ्त से बाहर हैं और पकड़ में नहीं आए हैं।
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भारत माला प्रोजेक्ट घोटाला और अधिकारियों पर कार्रवाई को ऐसे समझें
भारतमाला प्रोजेक्ट में करोड़ों का घोटाला: ईओडब्ल्यू ने पांच अधिकारियों की संपत्ति कुर्क करने की याचिका कोर्ट में लगाई। भगोड़ा घोषित हुए आरोपी: आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है, लेकिन सभी फरार हैं। ईओडब्ल्यू और एसीबी की कार्रवाई: कोर्ट की अनुमति मिलने पर अधिकारियों की संपत्ति कुर्क की जाएगी और गिरफ्तारी की जाएगी। मुख्य आरोपियों में शामिल हैं: एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे और अन्य अधिकारी, जिन पर जालसाजी के आरोप हैं। गिरफ्तारी और मुआवजे में गड़बड़ी: आरोपियों पर मुआवजा राशि में गड़बड़ी कर करोड़ों का नुकसान करने का आरोप है। |
ये हैं भारतमाला के गुनहगार
इस घोटाले में एसडीएम निर्भय साहू समेत पांच अधिकारियों पर केस दर्ज हैं। ईओडब्ल्यू की छापेमारी के बाद से ही सभी आरोपी अपने ठिकानों से फरार हैं। तहसीलदार शशिकांत कुर्रे और पटवारी जितेंद्र साहू पर भी जालसाजी का केस है। तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर किरण और आरआई रोशनलाल वर्मा भी इसमें शामिल हैं। रायपुर में पदस्थ रहे तीन आईएएस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच चल रही है।
मुआवजे का पूरा मामला इन्हीं कलेक्टरों के कार्यकाल में तैयार और पास हुआ था। इन्हीं आईएएस अफसरों के समय में गड़बड़ी वाला पैसा भी जारी कर दिया गया। ईओडब्ल्यू अब सभी फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए लगातार उनकी तलाश कर रही है। यह बड़ा भ्रष्टाचार और जालसाजी का मामला है, जिसमें सरकारी तंत्र फंसा हुआ है।
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अब तक इनकी गिरफ्तारी
इस घोटाले में ईओडब्ल्यू ने तहसीलदार के पति और प्रॉपर्टी डीलर हरमीत सिंह खनूजा को गिरफ्तार किया था। इसके साथ कारोबारी विजय जैन, किसान केदार तिवारी और पत्नी उमा तिवारी को 27 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। बाद में इन सभी को जमानत मिल गई।
इसके अलावा छापामारी में पटवारी बसंती घृतलहरे और लेखराम देवांगन भी गिरफ्तार किए गए। इन पर किसानों ने मुआवजा राशि निर्धारण में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। एक ही जमीन को कई टुकड़ों में बांटकर फर्जी नामांतरण कराए गए। इससे छत्तीसगढ़ सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।
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