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Raipur. छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा जमीन अधिग्रहण घोटाला सामने आया है। EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) ने इस मामले में रायपुर की विशेष अदालत में 7,600 पन्नों का चालान दाखिल किया है। इस चालान को 12 बंडलों में पेश किया गया, जिसमें 10 आरोपियों को नामजद किया गया है। यह घोटाला रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर परियोजना के मुआवजा वितरण में हुआ था, जिसकी राशि 43 से 48 करोड़ रूपए तक बताई जा रही है।
क्या है मामला?
EOW की जांच में खुलासा हुआ कि राजस्व विभाग के अधिकारी, एनएचएआई कर्मचारी और भू-माफिया मिलकर एक सिंडिकेट बनाकर जमीनों के अधिग्रहण में फर्जीवाड़ा कर रहे थे। इन्होंने बैक डेट (पुरानी तारीख) में जमीन दस्तावेज तैयार किए और एक ही जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर कई बार मुआवजा हासिल किया। जिन किसानों की जमीन नहीं थी, उन्हें भी मुआवजा दे दिया गया।
इन लोगों पर लगा आरोप
जिन 10 लोगों के खिलाफ चालान पेश किया गया है, उनमें शामिल हैं –
हरमीत सिंह खनूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी, विजय जैन, कुंदन बघेल, भोजराज साहू, खेमराज कोसले, पुन्नूराम देशलहरे, गोपाल वर्मा और नरेंद्र नायक। इनके अलावा 2 एसडीएम, एनएचएआई के 4 अधिकारी और राजस्व विभाग के कई कर्मचारी जांच के घेरे में हैं।
कैसे हुआ घोटाला
ईओडब्ल्यू की एक साल लंबी जांच में पता चला कि भारतमाला परियोजना (Bharatmala project scam) की प्रोजेक्ट रिपोर्ट लीक कर दी गई थी। इससे पहले ही कुछ लोगों ने जमीनें खरीदकर उन्हें टुकड़ों में बांट लिया, ताकि मुआवजा कई गुना ज्यादा मिल सके। मुआवजा वितरण में भी गड़बड़ी की गई- अपात्र लोगों को भुगतान किया गया और असली हितग्राहियों को वंचित रखा गया।
NHAI अधिकारियों की संलिप्तता
तीन NHAI अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, लेकिन उनके खिलाफ विभागीय अनुमति न मिलने के कारण कार्रवाई रुकी हुई है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने राज्य सरकार से पूरी रिपोर्ट तलब की है। संभावना है कि यह मामला CBI या ED को सौंपा जा सकता है।
क्या है भारतमाला परियोजना
भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 950 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है। इसमें रायपुर से विशाखापट्टनम तक फोरलेन और दुर्ग से आरंग तक सिक्सलेन सड़क बननी है। इसके लिए किसानों से जमीन अधिग्रहित की गई, लेकिन कई को मुआवजा नहीं मिला, जबकि फर्जी दावेदारों को बड़ी रकम दी गई।
भूमि अधिग्रहण नियम 2013 क्या कहते हैं
यदि किसी की 5 लाख की जमीन ली जाती है, तो उसे 5 लाख मुआवजा और 5 लाख सोलैशियम (मुआवजा का दोगुना) दिया जाना चाहिए। लेकिन इस घोटाले में फर्जी रेट बढ़ाकर और बैकडेट दस्तावेज बनाकर 10 गुना तक रकम वसूली गई।
EOW की आगे की कार्रवाई
EOW ने कहा है कि यह राज्य का हाई-प्रोफाइल भूमि घोटाला है और इसमें और भी लोगों की भूमिका सामने आ सकती है। राज्य सरकार ने इस जांच की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी है, और अब केंद्र CBI या ED जांच की मंजूरी पर विचार कर रहा है।