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Photograph: (the sootr)
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project) का उद्देश्य देशभर में सड़क नेटवर्क का विस्तार करना है, लेकिन इस परियोजना को लेकर कई बार विवाद सामने आए हैं। हाल ही में छत्तीसगढ़ के अभनपुर क्षेत्र (Abhanpur Area) में मुआवजा घोटाले का एक और मामला सामने आया है, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से लाखों रुपये की राशि हड़पने का आरोप लगाया गया है।
मुख्य शिकायतकर्ता कोलकाता निवासी सांवरमल अग्रवाल ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (Economic Offenses Wing - EOW) में शिकायत दर्ज कराई। उनकी शिकायत के अनुसार, उनकी निजी भूमि का मुआवजा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दिलवाया गया, जिसमें विक्रम गंभीर नामक व्यक्ति को 1.20 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।
घोटाले के आरोप और विवाद
सांवरमल अग्रवाल ने दावा किया कि उनकी भूमि का नामांतरण (Land Transfer) और विक्रयपत्र (Sale Deed) तक में घोटाले की साजिश रची गई। आरोप है कि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और राजस्व अमले की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ। शिकायतकर्ता का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के समय उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन इसके बावजूद उनकी आपत्ति स्वीकार न करते हुए भुगतान किया गया।
इस मामले में अभनपुर के एसडीएम (Sub-Divisional Magistrate) से पूछताछ की गई तो उन्होंने इसे एक सिविल कोर्ट का मामला बताया और कहा कि शिकायतकर्ता ने सिविल कोर्ट में मामला दायर किया था। इसके अलावा, कमिश्नर ने भी यह कहा कि शिकायतकर्ता के पक्ष में निर्णय हुआ था, जिसके बाद ही भुगतान किया गया था।
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मुआवजा घोटाले की जांच की मांग
शिकायतकर्ता सांवरमल अग्रवाल ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) से मांग की है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भूमि हड़पने और मुआवजा राशि हड़पने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। साथ ही, इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाए और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ जांच हो।
भारतमाला परियोजना के ताजा आरोप को ऐसे समझें
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क्या है भारतमाला परियोजना
भारतमाला परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 किलोमीटर सड़क निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना में फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना है। इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने किसानों की जमींने अधिग्रहित की थी। इन किसानों को इसके बदले मुआवजा दिया जाना था। जमीन अधिग्रहण के बावजूद कई किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। जिसे लेकर कई शिकायतें सामने आई है। यह ताजा मामला भी इसी मुआवजे से जुड़ा बताया जा रहा है।
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भारतमाला परियोजना सामने आ रही अनियमितताएं
भारतमाला परियोजना का उद्देश्य भारतीय सड़कों के बुनियादी ढांचे (Infrastructure) को बेहतर बनाना और देशभर में परिवहन नेटवर्क को सुगम बनाना है। लेकिन इस परियोजना को लेकर कई तरह की अनियमितताएं सामने आ रही हैं। मुआवजा घोटाले (Compensation Scam) के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। इससे न केवल परियोजना की सफलता पर सवाल उठते हैं, बल्कि इससे जुड़ी भ्रष्टाचार की घटनाओं से सरकार की छवि भी प्रभावित हो रही है।
कई राजस्व अधिकारियों पर हो चुकी है एफआईआर
इस भारतमाला परियोजना के मुआवजा वितरण लगातार विवादों में रहा है। पहले भी इस मामले में कई शिकायतें सामने आई है। विधानसभा तक में यह मामला पहुंचा है। इस मामले में कई राजस्व अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे है।
बिलासपुर जिले में भारतमाला परियोजना में राष्ट्रीय राजमार्ग 130 ए (बिलासपुर-उरगा) के भू-अर्जन और मुआवजा वितरण की शिकायतें सामने आई थी। इस मामले में गंभीर अनियमितताओं के चलते तत्कालीन तहसीलदार डीके उईके और पटवारी सुरेश कुमार मिश्रा के खिलाफ तोरवा थाने में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई थी।
दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 34, 420 (धोखाधड़ी), 467 (दस्तावेजों में जालसाजी), 468 और 471 (जाली दस्तावेजों का उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया गया था।