कस्टम मिलिंग और भारतमाला परियोजना घोटाले में अनुमति का इंतजार, जल्द हो सकती हैं और गिरफ्तारियां

छत्तीसगढ़ में EOW-ACB ने पिछले ढाई वर्षों में भ्रष्टाचार के 142 मामले दर्ज किए हैं। इन मामलों में कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों और छह लोक सेवकों पर कार्रवाई करने की अनुमति अभी तक नहीं मिली है, जिससे जांच की गति धीमी हो गई है।

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Krishna Kumar Sikander
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Permission awaited in custom milling and Bharatmala project scam the sootr
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राज्य आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो-एंटी करप्शन ब्यूरो (ईओडब्ल्यू-एसीबी) ने पिछले ढाई वर्षों में भ्रष्टाचार के 142 मामलों में प्रकरण दर्ज किए हैं। इनमें कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के साथ-साथ छह लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति अब तक नहीं मिली है, जिसके कारण जांच की गति प्रभावित हो रही है।

इन लोक सेवकों में नागरिक आपूर्ति निगम के पूर्व चेयरमैन और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, भारतमाला परियोजना घोटाले में शामिल एनएचएआई के चेयरमैन सव्यसाची चौधरी, रीजनल ऑफिसर पंकज ओझा और एके मिश्रा, साथ ही शराब घोटाले में फंसे झारखंड के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह का नाम प्रमुख है। अनुमति के अभाव में इनके खिलाफ कार्रवाई लंबित है, लेकिन जांच एजेंसी को उम्मीद है कि जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

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कस्टम मिलिंग घोटाला, रामगोपाल अग्रवाल पर गंभीर आरोप

कस्टम मिलिंग घोटाले में नागरिक आपूर्ति निगम के तत्कालीन चेयरमैन रामगोपाल अग्रवाल के खिलाफ प्रकरण दर्ज है। उन पर आरोप है कि उन्होंने नान चेयरमैन के रूप में राइस मिलरों से सांठ-गांठ कर अवैध रूप से राशि वसूल की, जिससे शासन को भारी नुकसान हुआ।

राइस मिलरों ने जांच में रामगोपाल के खिलाफ बयान भी दर्ज कराए हैं। ईओडब्ल्यू-एसीबी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति के लिए 13 फरवरी को शासन को पत्र लिखा था, लेकिन अब तक कोई विधिवत अनुमति नहीं मिली है। इसके अलावा, रामगोपाल अग्रवाल कोयला लेवी घोटाले में भी वांछित हैं और उन्हें फरार घोषित किया जा चुका है।

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भारतमाला घोटाला, एनएचएआई अधिकारियों पर कार्रवाई लटकी

भारतमाला परियोजना में कथित अनियमितताओं के मामले में एनएचएआई के चेयरमैन सव्यसाची चौधरी, रीजनल ऑफिसर पंकज ओझा और एके मिश्रा के खिलाफ प्रकरण दर्ज हैं। हालांकि, इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए जरूरी अनुमति अब तक नहीं मिली है। ईओडब्ल्यू-एसीबी ने इन अधिकारियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाए हैं, लेकिन अनुमति के अभाव में जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है।

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शराब और तेंदूपत्ता घोटाले में भी अड़चन

शराब घोटाले में झारखंड के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज है। ईओडब्ल्यू ने उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए झारखंड सरकार को दो बार पत्र लिखा, लेकिन अनुमति नहीं मिलने के कारण कार्रवाई रुकी हुई है। इसी तरह, तेंदूपत्ता पारिश्रमिक घोटाले में मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) आरसी दुग्गा के खिलाफ कार्रवाई के लिए वन विभाग को 2 जून को पत्र भेजा गया था। दुग्गा पर तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए आवंटित करोड़ों रुपये की राशि में भ्रष्टाचार का आरोप है। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने डीएफओ समेत आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है, लेकिन दुग्गा के मामले में अनुमति का इंतजार है।

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जांच में देरी का असर

ईओडब्ल्यू-एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि अनुमति के अभाव में जांच की प्रक्रिया धीमी पड़ रही है। कई मामलों में सबूत और गवाह मौजूद हैं, लेकिन शासन से हरी झंडी नहीं मिलने के कारण कार्रवाई रुकी हुई है। फिर भी, जांच एजेंसी का दावा है कि जैसे ही अनुमति मिलेगी, इन मामलों में तेजी आएगी और कई और गिरफ्तारियां संभव हैं।

कार्रवाई को और तेज करने की योजना

ईओडब्ल्यू-एसीबी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज करने की योजना बना रही है। कस्टम मिलिंग, भारतमाला परियोजना, शराब और तेंदूपत्ता घोटाले जैसे मामलों में संलिप्त बड़े अधिकारियों और लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से अनुमति की प्रतीक्षा है। जांच एजेंसी का मानना है कि इन मामलों में जल्द ही प्रगति होगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

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