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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट की किए गए मुआवजा फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद मामले की जांच के लिए चार समितियां गठित की गई। इन चार समितियों में से दो ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। यह रिपोर्ट गत 14 और 18 अगस्त सौंपी गई। इन रिपोर्टों में घोटाले का मुख्य कारण अधिकारियों की लापरवाही को माना गया।
इसके अलावा जमीन दलालों ने एक परिवार के 10 से 12 लोगों के नाम पर एक ही जमीन का बंटवारा कर दिया। यह मामला पूरी तरह संदिग्ध था, और अफसरों को इसकी जानकारी थी। फिर भी, जांच में केवल उन अफसरों को दोषी ठहराया गया, जिनके खिलाफ पहले से ही FIR दर्ज है। नए अफसरों या कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं सुझाई गई है।
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बड़े राजनेता पर संदेह, लेकिन सबूतों की कमी
एक जांच समिति ने एक प्रभावशाली राजनेता के खिलाफ गंभीर आरोपों की शिकायत की जांच की। रिपोर्ट में दावा है कि इस राजनेता के परिजनों को परोक्ष रूप से 50 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला, जो सीधे उनके खाते में न जाकर अन्य लोगों के नाम पर हस्तांतरित किया गया। हालांकि, जांच समिति को इस संबंध में पुख्ता सबूत नहीं मिले। राजनेता की सरकारी पहुंच के कारण अफसर जानकारी देने से कतरा रहे हैं, जिससे जांच प्रभावित हो रही है।
बाकी जांच रिपोर्ट के लिए सात दिन की मोहलत
रायपुर और धमतरी संभाग में भारतमाला प्रोजेक्ट से जुड़ी 167 शिकायतों की जांच के लिए चार समितियां बनाई गई थीं। दो समितियों ने अपनी 1,000 पेज से अधिक की रिपोर्ट सौंप दी है, जबकि बाकी दो समितियों को एक सप्ताह का समय दिया गया है। समय पर रिपोर्ट न सौंपने पर नोटिस जारी कर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
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पहले से FIR वाले अफसर और दलाल जमानत पर
मुआवजा घोटाले में तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी जितेंद्र कुमार साहू, बसंती घृतलहरे, लेखराम देवांगन, और जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा, विजय जैन, केदार तिवारी व उमा तिवारी के खिलाफ पहले से FIR दर्ज है। ये सभी हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा हैं। अभी तक किसी नए व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज नहीं हुई है।
संभागायुक्त का बयान
रायपुर संभागायुक्त महादेव कावरे ने कहा, "दो जांच समितियों की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है, और इनका अध्ययन शुरू हो गया है। बाकी दो समितियों को जल्द रिपोर्ट सौंपने का निर्देश है। इस जांच के आधार पर दोषी अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अंतिम रिपोर्ट हो सकती है निर्णायक
भारतमाला मुआवजा घोटाले की जांच में अभी तक नए दोषियों की पहचान नहीं हुई है, और पुराने आरोपियों पर ही फोकस बना हुआ है। बड़े राजनेता से जुड़े आरोपों की पुष्टि के लिए सबूतों की कमी एक बड़ी चुनौती है। जांच की अंतिम रिपोर्ट इस मामले में निर्णायक हो सकती है।
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