भारतमाला प्रोजेक्ट स्कैम में तीन पटवारी गिरफ्तार, हाईकोर्ट की रोक हटते ही EOW ने की बड़ी कार्रवाई

छत्तीसगढ़ की भारतमाला परियोजना में मुआवजा राशि के नाम पर बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। EOW ने तीन पटवारियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने सरकारी जमीन को दोबारा बेचकर करोड़ों रुपये हड़प लिए।

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Harrison Masih
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Raipur. छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के मुआवजा में हुए बड़े घोटाले में EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में तीन पटवारियों दिनेश पटेल, लेखराम देवांगन और बसंती घृतलहरे को गिरफ्तार किया गया है। इनमें एक महिला पटवारी भी शामिल हैं।

क्या है मामला?

यह घोटाला रायपुर–विशाखापट्नम इकोनॉमिक कॉरिडोर (Bharatmala Project) के लिए जमीन अधिग्रहण में सामने आया। आरोप है कि वर्ष 2020 से 2024 के बीच शासन द्वारा पहले से अधिग्रहित भूमि को फिर से बेचकर मुआवजा दिलाया गया, यानी पहले से सरकारी जमीन को दोबारा निजी दिखाकर पैसे निकाल लिए गए।

पटवारियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने बैक डेट में बंटवारा और नामांतरण किए, गलत व्यक्तियों को मुआवजा राशि दी, और भूमि को छोटे टुकड़ों में बांटकर करोड़ों की राशि हड़प ली। इस धोखाधड़ी से सरकार को कई करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

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EOW और न्यायालय की कार्रवाई

EOW ने मामला अपराध क्रमांक 30/2025 के तहत दर्ज किया है। आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7C, 12, और IPC की धारा 409, 467, 468, 471, 420, 120B लगाई गई है।

इससे पहले उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी, लेकिन 28 अक्टूबर को रोक हटने के बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। 13 अक्टूबर को इस मामले में 2 जनसेवक और 10 अन्य आरोपियों के खिलाफ पहला अभियोग पत्र अदालत में प्रस्तुत किया जा चुका है।

ऐसे समझें पूरा मामला

Bharatmala Project Scam

  1. तीन पटवारी गिरफ्तार:
    EOW ने भारतमाला परियोजना में मुआवजा राशि में फर्जीवाड़ा करने वाले तीन पटवारियों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक महिला पटवारी भी शामिल है।

  2. फर्जी नामांतरण और मुआवजा वितरण:
    आरोप है कि पटवारियों ने सरकारी जमीन को पुनः शासन को बेचने, बैक डेट में नामांतरण करने और गैर-पात्र लोगों को मुआवजा देने जैसे अपराध कर करोड़ों का नुकसान पहुंचाया।

  3. कोर्ट की अनुमति के बाद कार्रवाई:
    हाईकोर्ट की गिरफ्तारी रोक हटने के बाद 28 अक्टूबर को तीनों को गिरफ्तार किया गया। इससे पहले भी इस घोटाले में 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, और आगे जांच में और नाम जुड़ने की संभावना है।

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NHAI की आपत्ति और जांच रिपोर्ट

रायपुर–विशाखापट्नम कॉरिडोर परियोजना में जब मुआवजा वितरण में अनियमितता दिखी, तो NHAI अधिकारियों ने आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद जांच रिपोर्ट राजस्व विभाग के सचिव को भेजी गई और फिलहाल मुआवजा वितरण रोक दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, पूरी रिपोर्ट आने के बाद घोटाले की रकम और बढ़ सकती है।

संक्षेप में

यह घोटाला सिर्फ एक जिले या पटवारी स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि यह राज्य की सबसे बड़ी भूमि अधिग्रहण धोखाधड़ी मानी जा रही है, जिसमें शासन के पैसे को व्यवस्थित तरीके से निजी खातों में ट्रांसफर कराया गया। अब EOW की जांच अन्य जिलों में भी फैलने की संभावना है।

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