2025 की पहली सप्ताह ही दिल दहला देने वाली होगी ऐसा किसी ने नहीं सोचा होगा लेकिन, बस्तर में हुए धमाके ने सभी को झकझोंर कर रख दिया। 6 जनवरी का दिन किसी से भुलाया नहीं जाएगा। 8 जवान समेत एक ड्राइवर की शहादत के लिए न जवान तैयार थे न ही छत्तीसगढ़ लेकिन, आतंक का दृश्य एक बार फिर से बीजापुर में देखने को मिला। बीजापुर में हुए धमाके के कुछ अहम पहलु सामने आए हैं, जो की चौंकाने वाले हैं।
नक्सलियों ने किया प्रेशर IED ब्लास्ट, फोर्स ने 3 आतंकी मार गिराए
नक्सलियों को पता था जवान रास्ता बदलकर जाएंगे
जवानों ने 3 जनवरी से ही दंतेवाड़ा, जगदलपुर, नारायणपुर समेत 4 जिलों में बड़ा ऑपरेशन किया था। इस सर्च ऑपरेशन में 1 हजार जवान शामिल थे। इस दौरान जवानों ने 5 नक्सलियों को मार गिराया था। इसका बदला नक्सलियों ने आईईडी बम ब्लास्ट से लिया। इस धमाके में 8 जवान समेत एक ड्राइवर की जान चली गई। धमाका इतना भयावह था कि, शव चीथड़ों में मिले, 30 फ़ीट ऊपर तक बॉडी उड़ी, जमीन में 10 फीट का गड्डा हो गया, और गाड़ी के एक हिस्सा 25 से 30 फीट ऊपर एक पेड़ पर लटका मिला। इस वारदात को अंजाम देने के लिए नक्सलियों ने पहले से ही साड़ी तैयारियां कर ली थी।
नक्सलियों को मालुम था कि जवान उसी रास्ते से गुजरेंगे। 5 नक्सलियों के मारे जाने वाली रात में ही नक्सलियों ने बड़ा धमाका करने के लिए षड्यंत्र तैयार कर लिया था। नक्सली यह जानते थे कि जवानों की गाड़ी कुटरू और बेदरे कैंप वाले रास्ते से ही गुजरेगी। अपने नापाक षड्यंत्र को आखरी अंजाम देने के लिए नक्सलियों ने रास्ते में आईईडी प्लांट किया और खुद भी सड़क के नीचे सुरंग खोदकर एम्बुंस में थे।
IED ब्लास्ट में 9 जवान शहीद, ऑपरेशन से लौट रही थी फोर्स
50 किलो का था हैवी आईईडी बम
जवानों की जान लेने के नक्सलियों ने 20 या 25 नहीं बल्कि, 50 किलो का हैवी हैवी आईईडी बम सड़क के अंदर प्लांट किया था। जवान सड़क के दोनों तरफ नजदीक में ही खड़े थे। जबकि सड़क से करीब 300 से 400 मीटर अंदर नक्सली पहले से ही एंबुश लगाकर बैठे थे। लेकिन उन्होंने धमाके से पहले फोर्स पर फायरिंग नहीं कि, क्योंकि उनका टारगेट सिर्फ फोर्स से भरी हुई गाड़ी थी।
ROP ड्यूटी पर तैनात थे जवान
जिस जगह धमाका हुआ वहां एनकाउंटर से लौट रहे साथियों को निकालने के लिए पहले से ही आरओपी (रोड ओपनिंग पार्टी) लगी हुई थी। आरओपी ड्यूटी पर लगे जवानों का ध्यान भटकाने के लिए नक्सलियों ने कुछ ही दूरी पर झाड़ियों के सहारे छिपकर धड़ाधड़ फायरिंग शुरू कर दी। यह हमला नक्सलियों ने ब्लास्ट हमले को अंजाम देने के लिए किया था।
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गोलियां चलने से ड्यूटी पर तैनात जवान नक्सलियों के हमले का जवाब देने में लग गए तभी नक्सलियों ने धमाका कर दिया। धमाका इतना जोरदार था कि गाड़ी के परखच्चे और जवानों के चिथड़े उड़ गए। ड्राइवर के शरीर के इतने टुकड़े हुए की उसका शव ढूंढ पाना भी मुश्किल था। घटना स्थल से करीब 500 मीटर के दायरे में शव और गाड़ी के पार्ट्स फेंका गए। नदी में भी शव के टुकड़े गिरे, जिसे जवानों ने निकाला।
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पत्रकार मुकेश चंद्राकर के सिर पर 15 फ्रैक्चर, लिवर के 4 टुकड़े