बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के 29 कर्मचारी दोबारा बर्खास्त, जानें क्या है मामला
भर्ती घोटाले से जुड़े इस मामले में बैंक ने फिर से कड़ा कदम उठाया है। न्यायालय के निर्देशों के बाद की गई जांच में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिनके आधार पर स्टाफ कमेटी ने अहम फैसला लिया है।
29 bank employees dismissed: बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में भर्ती घोटाले के तहत नियुक्त 29 कर्मचारियों को एक बार फिर सेवा से हटा दिया गया है। यह फैसला बैंक की स्टॉफ कमेटी की बैठक में लिया गया, जो बैंक के प्राधिकृत अधिकारी की अध्यक्षता में हुई।
दरअसल, पंकज तिवारी समेत 29 पूर्व कर्मचारियों को पहले भी दूषित प्रक्रिया में नियुक्ति पाए जाने पर बर्खास्त किया गया था। इन कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के तहत आदेश दिया कि बैंक विभागीय कार्रवाई करते हुए मामले की जांच पूरी करे।
हाईकोर्ट के आदेश के पालन में बैंक के सीईओ ने 4 वरिष्ठ शाखा प्रबंधकों की एक जांच टीम बनाई। इस टीम ने निर्धारित समय में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपी। जांच के दौरान सभी 29 कर्मचारियों की व्यक्तिगत सुनवाई भी की गई।
स्टॉफ कमेटी का फैसला
स्टॉफ कमेटी ने 4, 5 और 8 अगस्त को हुई बैठकों में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 1 शाखा प्रबंधक, 4 सहायक लेखापाल, 8 पर्यवेक्षक, 6 लिपिक सह कंप्यूटर ऑपरेटर और 10 समिति प्रबंधकों—कुल 29 कर्मचारियों—को पुनः बर्खास्त किया जाए।
इस मामले को कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी थी, लेकिन 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही बैंक ने इस प्रकरण में हाईकोर्ट में केविएट भी दायर कर दिया है, ताकि भविष्य में किसी भी कानूनी कार्रवाई की स्थिति में बैंक को पूर्व सूचना मिल सके।
यह फैसला न केवल बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि दूषित प्रक्रिया में की गई कोई भी नियुक्ति अंततः टिक नहीं पाएगी।