बिलासपुर रेल हादसा : जोन-अफसर की बड़ी लापरवाही ने ली 11 यात्रियों की जान, CRS जांच में बड़ा खुलासा

बिलासपुर में 4 नवंबर की शाम को हुए रेल हादसे में जोन-अफसर की बड़ी लापरवाही सामने आई है। साइको टेस्ट में फेल होने के बाद भी लोको पायलट को लोकल ट्रेन चलाने की अनुमति देने से 11 यात्रियों की जान गई। CRS जांच में 29 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारियों से पूछताछ हुई।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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BILASPUR. बिलासपुर में 4 नवंबर की शाम को हुए रेल हादसे में जोन अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। इस रेल हादसे में ट्रैक (Track) पर खड़ी मालगाड़ी को पीछे से आ रही मेमू ट्रेन (MEMU Train) ने टक्कर मार दी थी। इससे 11 यात्रियों की जान चली गई, वहीं 20 से ज्यादा घायल हो गए थे। 

इस हादसे ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। इस हादसे के तत्काल बाद रेलवे ने कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) को जांच के आदेश दिए। सीआरएस की प्रारंभिक जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। जांच टीम ने हादसे के लिए प्रारंभिक तौर पर जोन अधिकारी को जिम्मेदार माना है। 

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साइको टेस्ट में फेल था लोको पायलट

हादसे की जांच में यह सामने आया कि बिलासपुर रेल हादसे में मेमू लोकल ट्रेन के लोको पायलट को साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल पाया गया था। जांच टीम के अनुसार, लोको पायलट विद्यासागर को प्रमोशन से पहले साइकोलॉजिकल टेस्ट पास करना अनिवार्य था।

टेस्ट में फेल होने के बावजूद अधिकारियों ने उसे पैसेंजर ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी, जो एक बड़ी चूक साबित हुई। इस टेस्ट में लोको पायलट की मानसिक स्थिति, दबाव में काम करने की क्षमता और इमरजेंसी में निर्णय लेने की क्षमता देखी जाती है। 

  • मुख्य कारण: लोको पायलट का साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल होना।

  • नियमों की अनदेखी: जोन स्तर के अफसर द्वारा नियमों को ताक पर रखकर लोको पायलट को पैसेंजर ट्रेन चलाने की अनुमति देना।

  • शुरुआती आशंका: लोको पायलट ने दूसरी लाइन का सिग्नल देखकर ट्रेन की स्पीड बढ़ा दी। ट्रैक में घुमाव (कर्व) होने के कारण सामने खड़ी मालगाड़ी को देखकर वे स्पीड कंट्रोल नहीं कर पाए। 

CRS जांच में 29 से अधिक कर्मचारियों से पूछताछ

कमिशन ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) बीके मिश्रा ने 6 नवंबर से अपनी जांच शुरू की थी। जांच के दौरान, उन्होंने घटनास्थल, सिग्नल ऑपरेटिंग कंट्रोल रूम का बारीकी से निरीक्षण किया। डेटा लागर (Data Logger) सहित अन्य महत्वपूर्ण रिकॉर्ड्स जब्त किए।

जांच के अंतिम दिन 8 नवंबर तक, CRS मिश्रा ने करीब 29 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए। इनमें हादसे के दौरान ड्यूटी पर तैनात हर एक रेलवे कर्मचारी शामिल था। पूछताछ का मुख्य केंद्र बिंदु लोको पायलट के साइको टेस्ट में फेल होने के बावजूद उन्हें पैसेंजर ट्रेन चलाने की अनुमति देना था। 

इन लोगों से हुई पूछताछ

  1. रेलवे जोन और डिवीजन ऑफिस के अफसर।

  2. हादसे के दौरान ड्यूटी पर तैनात सिग्नलिंग और परिचालन से जुड़े कर्मचारी।

  3. एलारसा (All India Loco Running Staff Association) के पदाधिकारी 

नोट: असिस्टेंट लोको पायलट रश्मि राज हादसे में गंभीर रूप से घायल हैं। वे अस्पताल में भर्ती हैं। फिलहाल उनका बयान अभी तक दर्ज नहीं हो सका है। 

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15 नवंबर तक आएगी प्रारंभिक रिपोर्ट

CRS बीके मिश्रा 8 नवंबर की शाम तक अपनी पूरी जांच फाइल और रिकॉर्ड्स लेकर कोलकाता लौट गए हैं। वे 10 दिन के भीतर, यानी 15 नवंबर तक, अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंप देंगे। इस रिपोर्ट में हादसे के कारणों और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के नाम का खुलासा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट की एक प्रति रेलवे बोर्ड और संबंधित जोन ऑफिस को भी भेजी जाएगी। इस रिपोर्ट से बिलासपुर रेल हादसा के पीछे की असली वजह और रेलवे की आंतरिक चूक उजागर होगी।

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