बिलासपुर रेल हादसा: ट्रेन ड्राइवर पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज, सिग्नल जंप बनी मुख्य वजह

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुए मेमू ट्रेन हादसे ने रेलवे सिस्टम की खामियों को उजागर कर दिया है। जांच में सामने आया कि ट्रेन ड्राइवर ने खतरे का सिग्नल पार किया और रफ्तार इतनी तेज थी कि कंट्रोल से बाहर हो गई।

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Harrison Masih
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Bilaspur. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 4 नवंबर को हुए भीषण रेल हादसे की जांच में नया खुलासा हुआ है। गेवरा रोड–बिलासपुर मेमू ट्रेन हादसे में अब एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने ट्रेन ड्राइवर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (IPC की धारा 304) के तहत मामला दर्ज किया है। हालांकि, एफआईआर में केवल "ट्रेन ड्राइवर" शब्द का उल्लेख है, नाम नहीं लिखा गया। इस हादसे में 11 लोगों की मौत और 25 से अधिक यात्री घायल हुए थे।

हादसे का कारण: सिग्नल जंप और तेज रफ्तार

जांच में सामने आया है कि हादसे की वजह सिग्नल पास्ड एट डेंजर (SPAD) यानी खतरे के सिग्नल को पार करना थी। रिपोर्ट के मुताबिक, लोको पायलट विद्या सागर ने गलत सिग्नल देखकर ट्रेन को आगे बढ़ाया। ट्रेन उस समय 76 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गतौरा से रवाना हुई थी, जबकि उस ट्रैक की गति सीमा 50 किमी प्रति घंटा थी।

जहां हादसा हुआ वह जगह कर्व (घुमाव) पर थी। संभावना है कि सिग्नल की गलतफहमी में ट्रेन ने गलत लाइन पकड़ ली और सामने खड़ी मालगाड़ी से टक्कर हो गई। लोको पायलट ने स्पीड कम करने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

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अनुभव की कमी बनी बड़ी वजह

प्रारंभिक जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि लोको पायलट विद्या सागर को हाल ही में प्रमोशन मिला था और उन्हें मालगाड़ी से पैसेंजर ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अभी उन्हें इस नई जिम्मेदारी में एक महीना ही हुआ था, इसलिए सिग्नल जजमेंट और ट्रैक की पहचान में कठिनाई संभव मानी जा रही है।

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रेल सिग्नल व्यवस्था में गड़बड़ी

रेलवे के पांच विभागों की संयुक्त प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रूट पर पहले दो लाइनें थीं, लेकिन अब चार लाइनें कर दी गई हैं। पहले जहां चार सिग्नल थे, अब 16 सिग्नल हैं, जिससे ट्रेन चालकों को लगातार भ्रम होता है। रेलवे कर्मचारियों के संगठन एलारसा (AIlRSA) ने पहले ही इस समस्या को लेकर लिखित रूप से रेल प्रबंधन को चेताया था और सिग्नल की जानकारी सीधे लोको कैब में उपलब्ध कराने की मांग की थी, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

घायल चालक की हालत गंभीर

हादसे में ट्रेन के मुख्य लोको पायलट विद्या सागर की मौके पर मौत हो गई, जबकि उनकी सहयोगी महिला असिस्टेंट ड्राइवर रश्मि राज गंभीर रूप से घायल हैं। उन्हें फिलहाल रायपुर के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है, जहां उनकी हालत अभी भी नाजुक बताई जा रही है।

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एफआईआर स्टेशन अधीक्षक के मेमो पर

तोरवा थाना प्रभारी अभय सिंह बैस ने बताया कि यह मामला स्टेशन अधीक्षक वाणिज्य के मेमो पर दर्ज किया गया है। एफआईआर में चालक का नाम नहीं है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद जिम्मेदारियों का निर्धारण किया जाएगा।

रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की जांच

हादसे के दूसरे दिन, बुधवार को दक्षिण पूर्वी सर्किल के कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) बी.के. मिश्रा दोपहर 12 बजे लालखदान दुर्घटनास्थल पहुंचे। वे लगभग 40 मिनट तक मौके पर रहे और 140 से 200 मीटर के दायरे में पटरियों की गहन जांच की। उन्होंने दुर्घटनाग्रस्त कोच का निरीक्षण भी किया और पूरी घटना की डिटेल रिपोर्ट तैयार की जा रही है। अब 19 रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों को संबंधित दस्तावेजों के साथ गुरुवार को डीआरएम कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

बिलासपुर का यह रेल हादसा रेलवे सिग्नल सिस्टम और मानव त्रुटि के बीच तालमेल की कमी को उजागर करता है। कम अनुभव, सिग्नल भ्रम और अधूरी तकनीकी व्यवस्था ने मिलकर 11 जिंदगियां छीन लीं। अब सबकी निगाहें सीआरएस की अंतिम जांच रिपोर्ट पर हैं, जो तय करेगी कि गलती किसकी थी- सिस्टम की या इंसान की।

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