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रायपुर : बीजेपी नेता आलोक दुबे के आगे प्रशासन बौना साबित हो रहा है। कमिश्नर के 8 पत्र लिखने के बाद भी दुबे के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है। कानून पर भारी रसूख के पहले भाग में हमने दिखाया था कि किस तरह आलोक दुबे ने सरकारी जमीन पर कब्ज़ा किया है। दूसरे भाग में हम आपको बता रहे हैं कि कमिश्नर के निर्देश पर कार्यवाही न होने के बाद अब जनपद के जनप्रतिनिधि सड़क पर उतर आए हैं।
दुबे के खिलाफ इन लोगों ने कार्यवाही के लिए कलेक्टर को अल्टीमेटम दिया है। इन्होंन कहा है कि यदि दुबे पर एक्शन नहीं लिया तो वे आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे। देखिए कानून पर भारी रसूख का दूसरा भाग।।
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आलोक का अवैध लोक :
100 एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन पर कुंडली मारे बैठे अंबिकापुर के बीजेपी नेता आलोक दुबे के रसूख के आगे सरकारी अधिकारी बौने साबित हो रहे हैं। राजस्व मंडल कोर्ट यह फैसला सुना चुका है कि यह सारी ज़मीन राजस्व की है यानी सरकारी है। मसला 100 एकड़ से ज्यादा ज़मीन का है। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो इस मामले पर स्टे हो गया। इसके बाद भी दुबे की जेसीबी चलती रही। कमिश्नर ने 8 बार स्थानीय प्रशासन पर लिखा लेकिन कुछ नहीं हुआ। आलोक दुबे के रसूख से चुप बैठे नेता द सूत्र की खबर के बाद खुलकर सामने आ गए हैं।
अंबिकापुर जनपद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सभापति समेत अन्य लोगों ने प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ये लोग कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और कलेक्टर को आलोक दुबे के खिलाफ कार्यवाही का मांगपत्र दिया। अंबिकापुर जनपद पंचायत अध्यक्ष विक्रम सोंपकर और उपाध्यक्ष सतीश यादव ने कहा कि यदि दुबे पर कार्यवाही नहीं हुई तो वे आंदोलन करेंगे।
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दुबे ने दिखाए दो रूप:
बीजेपी नेता और पार्षद आलोक दुबे ने दो नियम चलाये हुए हैं। एक तरफ तो 117 एकड़ जमीन पर कब्ज़ा किया है तो दूसरी तरफ अन्य जगह सालों से रह रहे आदिवासियों के घरों को अतिक्रमण बताकर बुलडोज़र चलवा दिया। आलोक दुबे ने शहर से लगी शासकीय जमीन पर रह रहे लोगो का कब्जा खाली करवाया। जनपद के सभापति एलेक्सजेंडर केरकेट्टा और कांग्रेस के जिला अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने चेतावनी दी यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे 100 से ज्यादा गांवों के लोगों को लाकर वे कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे।
आलोक दुबे के कई और खुलासे:
कभी कांग्रेस के नेता रहे आलोक दुबे ने अंबिकापुर की सरकारी घोषित हो चुकी 117 एकड़ ज़मीन पर कब्ज़ा किया है। हाइकोर्ट के निर्देश के बाद भी निर्माण कार्य चालू हैं। कमिश्नर ने तहसीलदार को 8 बार लिखा कि दुबे के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया जाए लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। यह पूरा मामला हम आपको अब तक बता चुके हैं। अब इसकी अगली कड़ी में हम आपको बताएंगे कि क्या है ये ज़मीन का मसला जो आज़ादी के पहले से चल रहा। कैसे कब्ज़ा किया आलोक दुबे ने इस ज़मीन पर। राजस्व मंडल कोर्ट का पूरा आदेश क्या कहता है।
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आलोक दुबे के खिलाफ विरोध | CG News | ambikapur
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