सड़क हादसों में घायलों को नहीं मिल रहा मुफ्त इलाज, फंड के कारण अटकी योजना

सड़क हादसों में घायलों को मुफ्त इलाज की योजना अटक गई है, जबकि छत्तीसगढ़़ के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर मई महीने मे ही योजना शुरु की घोषणा की थी।

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VINAY VERMA
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सड़क हादसों में घायलों को मुफ्त इलाज की योजना अटक गई है, जबकि छत्तीसगढ़़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर मई महीने मे ही योजना शुरु की घोषणा की थी। उसके बाद योजना को लेकर शासन ने एक-दो आदेश जारी किए लेकिन वह पेपर तक ही सिमट कर रह गया। 

क्या थी योजना?

सरकार के इस स्कीम का नाम 2025 कैशलेस ट्रीटमेंट ऑफ रोड एक्सीडेंट विक्टिम्स दिया था। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार सड़क हादसे में घायल हुए लोगों का इलाज 7 दिन में 1.5 लाख तक फ्री में होगा। योजना 5 मई से ही देख भर में लागू की गई थी। बिलासपुर पुलिस ने इसी के साथ राहगीर योजना की घोषणा की थी। जिसमें घायलों की मदद करने वाले को 25हजार रुपए तक की नकद राशि सम्मान में दी जानी थी।

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कहॉं अटक गई योजना?

द सूत्र ने मामले को लेकर पड़ताल की तो सामने आया कि दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 5 मई को योजना को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसके बाद छग के स्वास्थ्य मंत्री ने तेजी दिखाते हुए तत्काल पूरे प्रदेश में इसे लागू करने की घोषणा कर दी थी। लेकिन बाद में इसमें कई पेंच सामने आने लगे।

सबसे बड़ी बात यह है कि आयुष्मान भारत के तहत होने वाले इलाज का पैसा कौन देगा? केंद्र सरकार ने अलग-अलग इलाज के लिए पैकेज भी तय नहीं किया था। यह भी तय नहंी हो पाया कि क्या केंद्र सरकार केवल एनएचएआई की सड़कों पर घायलों का इलाज कराएगी या स्टेट हाइवे और जिला प्रशासन की सड़कों पर हुए हादसे स्कीम के तहत कवर होंगे? स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण योजना अटक गई।

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अस्पताल कौन ले जाएगा?

द सूत्र ने इसे लेकर पहले भी पड़ताल कर बताया था कि सरकार ने योजना तो लागू कर दी लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि घायलों को नीजि अस्पताल कौन लेकर जाएगा? क्योंकि 108 एंबुलेंस को निजी अस्पताल जाने की छूट नहीं। सरकार ने इस पर भी काम नहीं किया। 

प्राइवेट अस्पतालों से संपर्क ही नहीं किया

प्राइवेट हॉस्पीटल्स संचालकों का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात की घोषणा जरुर की थी कि ट्रामा सेंटर और पॉली क्लीनिक को योजना से जोड़ा जाएगा लेकिन विभाग ने उसने संपर्क ही नहीं किया। ऐसी ही राह प्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत अनुबंधित 800 प्राइवेट अस्पताल संचालक भी ताकते रहे। लेकिन उनतक न तो सरकारी आदेश आया और न ही कोई विभागीय कर्मचारी...। 

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निजी अस्पताल इलाज कर रहे बंद

द सूत्र ने जब योजना को लेकर निजी अस्पताल संचालकों ने बताया कि कैशलेस ट्रीटमेंट ऑफ रोड एक्सीडेंट विक्टिम्स स्कीम तो दूर सरकारी रवैये के कारण अब वे आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज भी बंद कर रहे हैं। क्योंकि मार्च से ही आयुष्मान भारत योजना कि तहत इलाज का पैसा नहंी आया है। ऐसे में निजी अस्पताल में बीमारों को इलाज करवाने के लिए नकद पैसे लाने के लिए कह रहे। नहीं तो उन्हें सरकारी अस्पताल जाने की सलाह दे रहे।

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