सत्ता का ये साइड इफैक्ट होता है कि कुछ मर्ज उसके साथ ही चलते हैं। छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सत्ता लौटी तो पांच साल शांत रहे नेता अब कुर्सी की दौड़ में शामिल हो गए हैं। सारे मंत्रियों और बड़े नेताओं को अपने अपने जिले में अपनी पंसद के जिला अध्यक्ष चाहिए। जिला अध्यक्षों के लिए इतनी लंबी कतार लग गई है कि संगठन को दिल्ली का सहारा लेना पड़ रहा है।
संगठन ने इस हालात से निपटने के लिए एक नया रुल भी बना दिया है। अब यह रुल कितना काम आता है यह अलग बात है। वहीं कांग्रेस में एक नया नारा चल पड़ा है। इस नारे की आखिर जरुरत क्यों पड़ी इस बात की चर्चा भी खूब चल रही है। क्राइम कंट्रोल करने के लिए सरकार भी नए साल में नया प्रयोग कर रही है। राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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बीजेपी का नया रुल
इस बार बीजेपी के जिला अध्यक्षों का चयन भी दिल्ली करेगी। पार्टी की ये मजबूरी इसलिए पैदा हुई कि जिला अध्यक्षों के लिए पार्टी के दिग्गज नेताओं और मंत्रियों ने अपने अपने भाई भतीजों और करीबियों को दावेदार बना दिया है। प्रदेश में सरकार है इसलिए जिला अध्यक्ष बनने के लिए रस्साकसी बढ़ गई है। जिला अध्यक्ष बनाने के लिए दिल्ली नामों का पैनल भेज दिया गया है।
इस स्थिति से निपटने के लिए बीजेपी संगठन ने नया रुल बना दिया है। इस रुल में ये स्पष्ट कर दिया है कि एक नेता को एक ही चेयर मिलेगी। या तो वो जिला अध्यक्ष बनेगा या फिर मेयर,नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी लेगा। यानी जिला अध्यक्ष नगरीय निकाय चुनाव में टिकट की दावेदारी नहीं करेगा। संगठन को लगता है कि इससे कुछ तो दावेदारी कम होगी और नेताओं की नाराजगी का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।
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कका अभी जिंदा है
मध्यप्रदेश में एक नारा खूब चला था। जब शिवराज सिंह चौहान सीएम पद से हटे थे तो कमलनाथ सरकार बनी थी तब उन्होंने एक नारा ईजाद किया था कि टाइगर अभी जिंदा है। उस समय एक फिल्म भी आई थी टाइगर अभी जिंदा है। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए और उन्होंने भी कह दिया कि टाइगर अभी जिंदा है।
अब छत्तीसगढ़ में भी यह नारा लगने लगा है। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री के बंगले के सामने पोस्टर लग गए हैं जिनमें लिखा है कि कका अभी जिंदा है। राजनीतिक गलियारों में इस बार की खूब चर्चा हो रही है। सवाल ये पूछा जा रहा है कि क्या पूर्व सीएम कांग्रेस की राजनीति में हाशिए पर जा रहे हैं। अगर ऐसा नहीं है तो यह कहने की जरुरत क्यों पड़ रही है कि कका अभी जिंदा है।
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क्राइम कंट्रोल करने 8 जिलों में तैनात होंगे एसएसपी
कानून व्यवस्था के मामले में लगातार निशाने पर आई विष्णु सरकार अब प्रयोग करने जा रही है। नए साल से ये व्यवस्था लागू होगी। क्राइम कंट्रोल की कमान अब एसएसपी संभालेंगे। यानी कुछ जिलों में एसपी की जगह एसएसपी की पोस्टिंग होगी। सरकार आठ जिलों में एसएसपी बैठाने जा रही है।
2012 बैच के आईपीएस आशुतोष सिंह, विवेक शुक्ला, शशिमोहन सिंह, राजेश कुकरेजा, श्वेता राजमणि, राजेश अग्रवाल, विजय अग्रवाल और रामकृष्ण साहू का ओहदा बढ़कर एसपी से अब एसएसपी हो जाएगा। एसएसपी की मंत्रियों के जिलों में पोस्टिंग होगी ताकि लॉ एंड ऑर्डर सुधर सके और क्राइम कंट्रोल हो।
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सरकारी बंगले बन रहे महल
छत्तीसगढ़ में प्रशासन बेलगाम होता जा रहा है। मंत्रालय या सचिवालय तो छोड़िए जिलों में स्थिति और खराब है। कई जिलों के कलेक्टरों की खूब मनमानी चल रही है। सरकार के पास एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट ने सबको हैरानी में डाल दिया है। हुआ यह है कि डीएमएफ के पैसे को कलेक्टर अपने बंगलों को महल बनाने में लगा रहे हैं। कलेक्टरों को मिले सरकारी बंगले गुलाबी महल बन गए हैं। कलेक्टरों ने अपने सरकारी बंगले पर डीएमएफ के करोड़ों रुपए फूंक दिए हैं। वहीं जिलों के कप्तान जुआरियों,सटोरियों और कबाड़ियों से पैसा कमा रहे हैं।