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बोर्ड एग्जाम में बोनस मार्क्स देने के लिए छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने गजब की योजना बनाई है। अब बोनस अंक लेने के लिए बोर्ड के बच्चों को खुद ही टीचर बनना पड़ेगा। दरअसल, 10 निरक्षरों को पढ़ाने व उनके पास होने पर उन्हें पढ़ाने वाले दसवीं, बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों, जिन्हें स्वयंसेवी शिक्षक बनाया गया है, ऐसे विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा में बोनस के 10 अंक देने का प्रावधान है।
बता दें कि रायगढ़ में 28 हजार 800 परीक्षार्थी रजिस्टर्ड हैं, इन्हें साक्षर करने के लिए 2832 स्वयंसेवी शिक्षक तैयार किए गए हैं। स्वयंसेवी शिक्षकों के मामले में रायगढ़ प्रदेश में 20 वें नंबर पर है जबकि पड़ोसी जिला सारंगढ़ 1000 हजार स्वयंसेवी शिक्षकों के विरूद्ध 1206 स्वयंसेवी शिक्षक रजिस्टर्ड कर दूसरे स्थान पर है। वहीं दुर्ग जिला प्रदेश में सबसे ऊपर है।
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कई लोग ऐसे जिन्हें अक्षर का भी ज्ञान नहीं
निरक्षरता को दूर करने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई तमाम योजनाओं के बाद भी जिले में साक्षरता की स्थिति चौंकाने वाली है। करीब चार माह पहले हुए सर्वे के अनुसार 15 साल से अधिक उम्र के 29 हजार 414 लोगों को अक्षर ज्ञान तक नहीं है। यानि उन्हें अपना नाम तक लिखना नहीं आता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की साक्षरता दर 73.7 प्रतिशत थी।
निरक्षरों को चिह्नांकित करने सर्वे का काम शिक्षकों ने मोबाइल एप के माध्यम से किया है। इस दौरान जिले में 29 हजार 414 लोगों को चिह्नांकित किया गया है, जिन्हें अक्षर ज्ञान तक नहीं है। इन निरक्षरों को साक्षर करने के लिए नवभारत, नव उल्लास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। निरक्षरों के रजिस्ट्रेशन के बाद इन्हें साक्षर करने वालों का भी रजिस्ट्रेशन किया गया है।
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इस साल मार्च में पहली तो दूसरी परीक्षा सितंबर में
निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए शुरू की गई नव भारत, नव उल्लास योजना के तहत साल में दो बार परीक्षा एनआईओएस द्वारा ली जाती है। इस वर्ष की पहली परीक्षा मार्च में आयोजित की जाएगी। साल की दूसरी परीक्षा सितंबर में आयोजित की जाएगी। परीक्षा में पास होने वालों को नवसाक्षर कहा जाएगा। इस परीक्षा में वे लोग भी शामिल हो सकते हैं जिन्होंने पहले साक्षरता की परीक्षा दी थी, लेकिन किसी कारणवश के पढ़ना लिखना भूल गए हैं।
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एक भी निरक्षर फेल हुआ तो नहीं मिल पाएगा बोनस अंक
बोनस अंक देने के लिए यह भी प्रावधान किया गया है कि 10वीं, 12वीं के विद्यार्थी जिन 10 निरक्षरों को पढ़ाएंगे, उन सभी निरक्षरों के पास होने पर ही उन्हें बोर्ड परीक्षा में बोनस अंक मिलेगा। एक भी निरक्षर फेल हुआ तो बोनस अंक नहीं मिलेगा। इन स्वयंसेवी शिक्षकों को राज्य स्तर से पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जा चुकी है। 200 घंटे का अध्ययन कराया जाएगा।
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