सीबीएसई का डमी स्कूलों पर सख्त रुख, 75% उपस्थिति अनिवार्य, उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाई

सीबीएसई ने फर्जी स्कूलों के संचालन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। बोर्ड को लंबे समय से संबद्ध स्कूलों में डमी कक्षाओं की शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद, सीबीएसई ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं और छात्रों की उपस्थिति के आधार पर निगरानी बढ़ा दी है।

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Krishna Kumar Sikander
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CBSE takes a tough stand on dummy schools the sootr
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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने डमी स्कूलों के संचालन पर लगाम कसने के लिए कड़ा रुख अपनाया है। बोर्ड को लंबे समय से संबद्ध स्कूलों में डमी कक्षाओं के संचालन की शिकायतें मिल रही थीं, जिसके जवाब में न केवल सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं, बल्कि छात्रों की उपस्थिति के आधार पर निगरानी को और मजबूत कर दिया है। नए नियमों के तहत, बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों की न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। इस कदम का उद्देश्य डमी स्कूलों की गतिविधियों पर अंकुश लगाना और शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना है।

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डमी स्कूलों पर नकेल कसने की शुरुआत

शिक्षण सत्र 2025-26 की शुरुआत में सीबीएसई ने अपने सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को एक स्पष्ट निर्देश जारी किया था। इस निर्देश में स्कूलों को डमी कक्षाओं का संचालन न करने की चेतावनी दी गई थी। बोर्ड ने साफ कहा था कि डमी कक्षाएं चलाने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें मान्यता रद्द करने तक के कदम शामिल हो सकते हैं। डमी स्कूल वे संस्थान हैं जो नाममात्र के लिए स्कूल का संचालन करते हैं, लेकिन वास्तव में नियमित कक्षाएं नहीं चलाते और छात्रों को केवल बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत करते हैं। ये स्कूल अक्सर कोचिंग सेंटरों के साथ मिलकर काम करते हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं।

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75% उपस्थिति का नियम लागू

शिक्षण सत्र के दौरान डमी स्कूलों की शिकायतों में कमी न आने पर बोर्ड ने एक और कड़ा कदम उठाया। बोर्ड ने हाल ही में सभी संबद्ध स्कूलों को एक नया निर्देश जारी किया, जिसमें कहा गया कि बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों की न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी। यदि किसी छात्र की उपस्थिति इस निर्धारित सीमा से कम पाई जाती है, तो उसे बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह नियम उन स्कूलों को निशाना बनाता है जो छात्रों को केवल नामांकन के आधार पर बोर्ड परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देते हैं, बिना उनकी नियमित उपस्थिति या कक्षा में भागीदारी सुनिश्चित किए।

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स्कूलों और अभिभावकों को सूचित करने का निर्देश

बोर्ड ने स्कूलों को यह भी निर्देश दिया है कि वे अपने छात्रों और उनके अभिभावकों को इस नए नियम के बारे में सूचित करें। स्कूलों को मैसेज, ईमेल या अन्य संचार माध्यमों के जरिए न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति की अनिवार्यता के बारे में जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही, बोर्ड ने स्कूलों को एक बार फिर डमी कक्षाओं के संचालन के खिलाफ चेतावनी दी है। बोर्ड का कहना है कि नियमित कक्षाओं का संचालन और छात्रों की सक्रिय भागीदारी ही शिक्षा के मूल उद्देश्य को पूरा कर सकती है।

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डमी स्कूलों की समस्या और प्रभाव

डमी स्कूलों की समस्या लंबे समय से भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक चुनौती रही है। ये स्कूल न केवल बोर्ड के नियमों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि छात्रों के शैक्षणिक विकास को भी प्रभावित करते हैं। कई बार छात्र इन स्कूलों में नामांकन तो करा लेते हैं, लेकिन कक्षाओं में भाग लेने के बजाय कोचिंग सेंटरों पर निर्भर रहते हैं। इससे न केवल स्कूलों की जवाबदेही कम होती है, बल्कि छात्रों को समग्र शिक्षा का लाभ भी नहीं मिल पाता। बोर्ड का यह नया कदम डमी स्कूलों की इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

स्कूलों पर बढ़ा दबाव

बोर्ड के इस सख्त रुख से स्कूलों पर नियमित कक्षाओं का संचालन करने और उपस्थिति के रिकॉर्ड को पारदर्शी रूप से बनाए रखने का दबाव बढ़ गया है। बोर्ड ने स्कूलों को यह भी निर्देश दिया है कि वे उपस्थिति रजिस्टर को नियमित रूप से अपडेट करें और बोर्ड के निरीक्षण के दौरान इसे प्रस्तुत करने के लिए तैयार रहें। इसके अलावा, बोर्ड ने स्कूलों को चेतावनी दी है कि डमी कक्षाओं की शिकायतों की जांच के लिए औचक निरीक्षण भी किए जा सकते हैं।

अभिभावकों और छात्रों की जिम्मेदारी

सीबीएसई के इस कदम ने न केवल स्कूलों, बल्कि छात्रों और उनके अभिभावकों की जिम्मेदारी भी बढ़ा दी है। अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके बच्चे नियमित रूप से स्कूल जाएं और कक्षाओं में सक्रिय रूप से भाग लें। वहीं, छात्रों को भी अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीरता दिखानी होगी, क्योंकि अब उनकी बोर्ड परीक्षा में भागीदारी उनकी उपस्थिति पर निर्भर करेगी।

FAQ

सीबीएसई ने डमी स्कूलों पर नियंत्रण के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं?
सीबीएसई ने डमी स्कूलों पर नियंत्रण के लिए 75% न्यूनतम उपस्थिति को अनिवार्य किया है और स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी स्कूल डमी कक्षाएं नहीं चलाए। अगर किसी स्कूल में डमी कक्षाएं पाई गईं, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। साथ ही, स्कूलों को छात्रों और अभिभावकों को इस नियम की जानकारी देने के निर्देश भी दिए गए हैं।
डमी स्कूल क्या होते हैं और ये शिक्षा पर किस प्रकार प्रभाव डालते हैं?
डमी स्कूल वे संस्थान होते हैं जो केवल नाममात्र के लिए स्कूल का संचालन करते हैं और छात्रों को सिर्फ बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए नामांकित करते हैं, जबकि वे नियमित कक्षाएं नहीं चलाते। ये स्कूल अक्सर कोचिंग सेंटरों के साथ मिलकर काम करते हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के समग्र विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है।
सीबीएसई के नए नियमों के बाद छात्रों और अभिभावकों की क्या जिम्मेदारी है?
छात्रों को अब नियमित रूप से स्कूल जाकर कक्षाओं में भाग लेना होगा ताकि उनकी उपस्थिति 75% से कम न हो। वहीं, अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके बच्चे समय पर स्कूल जाएं और पढ़ाई में सक्रिय रहें, क्योंकि अब बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति उपस्थिति के आधार पर मिलेगी।

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