पास छात्र को फेल बताने वाले स्कूल पर एक लाख रुपए हर्जाना, सीबीएसई को सही मार्कशीट देने के निर्देश

राजस्थान हाई कोर्ट ने फतेहपुर शेखावाटी के एसएस निमावत स्कूल पर छात्र के पास होने के बावजूद फेल बताने और गलत मार्कशीट देने पर एक लाख रुपए हर्जाना लगाया।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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राजस्थान हाई कोर्ट ने फतेहपुर शेखावाटी के एसएस निमावत स्कूल पर 12वीं के एक छात्र के कंपार्टमेंट परीक्षा के फॉर्म में पूर्व में पास किए हुए ​सब्जेक्ट भरकर सीबीएसई को भेजने और झूठी टीसी देने पर एक लाख रुपए हर्जाना (Compensation) लगाया है। जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश प्रार्थी मनीष सैनी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए। कोर्ट ने सीबीएसई को एक महीने में प्रार्थी को पास होने वाली सही मार्कशीट जारी करने के निर्देश भी दिए हैं। 

मामला साल 20212 का है। छात्र मनीष सैनी ने 12वीं की परीक्षा दी थी। इस दौरान वह केमेस्ट्री में फेल हो गया। सप्लीमेंट्री परीक्षा में भी फेल होने पर केमेस्ट्री सब्जेक्ट के लिए कंपार्टमेंट परीक्षा देने का फॉर्म भरा था। एडमिट कार्ड आने पर उसे पता चला कि उसे तो उन सब्जेक्ट की परीक्षा भी दोबारा देनी है, जिनमें वह पास हो चुका था। 

बिना मार्कशीट के ही पास बताया

उसने स्कूल मैनेजमेंट से संपर्क किया तो उसे कहा गया ​कि वह सिर्फ केमेस्ट्री की परीक्षा दे, बाकी नहीं। परीक्षा देने के बाद स्कूल ने उसे बिना मार्कशीट के ही पास बताते हुए टीसी दे दी। प्रार्थी छात्र ने इसके आधार पर बीटेक में एडमिशन ले लिया और तीन साल में पूरा भी कर लिया। इसके बाद वह एमटेक में एडमिशन लेने गया, तो उससे 12वीं की मार्कशीट मांगी गई। 

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मांगने पर फेल की मार्कशीट थमाई 

प्रार्थी स्कूल पहुंचा और उसने अपनी 12वीं की मार्कशीट मांगी। मार्कशीट देकर वह चौंक गया, क्योंकि वह फेल घोषित था। उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसे सिर्फ केमेस्ट्री की परीक्षा में शामिल होना और पास बताया था, जबकि बाकी चार सब्जेक्ट में अनुपस्थित होने के कारण फेल घोषित किया था। इस पर प्रार्थी ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई और कहा कि स्कूल की गलती का खामियाजा उसे क्यों दिया जाए। 

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साफ दिखता है छात्र ने फॉर्म में सब्जेक्ट नहीं भरे

कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि रिकॉर्ड पर पेश कंपार्टमेंट के फॉर्म को देखने से साफ है कि प्रार्थी छात्र ने सिर्फ दस्तखत किए थे और सब्जेक्ट और उनके कोड स्कूल के ही स्टाफ ने भर दिए और छात्र की सहमति के बिना फॉर्म सीबीएसई को भेज दिया था। इस कारण ही सिर्फ केमेस्ट्री के स्थान पर बाकी सब्जेक्ट भी भर दिए गए। 

छात्र को एडमिट कार्ड से यह गलती पता भी चल गई थी, लेकिन स्कूल मैनेजमेंट के आश्वासन पर उसने सिर्फ केमेस्ट्री सब्जेक्ट की परीक्षा दी और बाकी की नहीं। इस कारण सीबीएसई ने चार सब्जेक्ट में उसे अनुपस्थित रहने के कारण फेल करार दिया। मार्कशीट आने से पहले ही स्कूल ने उसे पास बताकर टीसी दे दी। इसके आधार पर दात्र ने बीटेक कर लिया और एमटेक का फॉर्म भरने के दौरान उससे 12वीं की मार्कशीट मांगी, तो पूरा मामला खुला। 

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स्कूल की गलती छात्र नहीं भुगतेगा

कोर्ट ने कहा है कि पूरे मामले में स्कूल की गलती है। उसकी गलती से छात्र ने तीन साल की बीटेक कर ली। इसमें उसके तीन साल लगे और उसके माता-पिता की मेहनत की कमाई लगी। स्कूल की गलती के कारण ही सीबीएसई को भी अनावश्यक रूप से कोर्ट आना पड़ा। कोर्ट ने स्कूल को एक महीने में छात्र को एक लाख रुपए हर्जाना और सीबीएसई को एक महीने में उसकी पास वाली मार्कशीट जारी करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि आखिर स्कूल की गलती छात्र क्यों भुगतेगा?

मुख्य बिंदु

  • स्कूल ने 12वीं के छात्र को गलत मार्कशीट दी और पास होते हुए उसे फेल दिखाया।
  • कोर्ट ने स्कूल को एक लाख रुपए हर्जाना भरने का आदेश दिया।
  • सीबीएसई को छात्र की सही मार्कशीट एक महीने में जारी करने के निर्देश दिए।
  • स्कूल की गलती की वजह से छात्र को तीन साल की बीटेक पूरी करने में अतिरिक्त परेशानियां झेलनी पड़ीं।

FAQ

1. मनीष सैनी को स्कूल द्वारा गलत मार्कशीट क्यों दी गई थी?
स्कूल ने मनीष के कंपार्टमेंट परीक्षा के फॉर्म में गलत जानकारी भर दी, जिससे उसे गलत तरीके से फेल दिखाया गया।
2. राजस्थान हाई कोर्ट का इस मामले में क्या निर्णय था?
हाई कोर्ट ने स्कूल को मनीष को एक लाख रुपये का हर्जाना देने और सीबीएसई को उसे सही मार्कशीट जारी करने का आदेश दिया।
3. मनीष सैनी ने बीटेक और एमटेक कैसे किया जब वह फेल था?
स्कूल द्वारा गलत तरीके से टीसी जारी किए जाने के बाद मनीष ने बीटेक किया, लेकिन जब एमटेक के लिए मार्कशीट की आवश्यकता पड़ी, तो मामला खुला।

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