राग दरबारी में अटके छत्तीसगढ़िया कलाकारों के 12 करोड़, कहां बजी 66 करोड़ बजट की सरगम

छत्तीसगढ़िया कलाकारों के 12 करोड़ देने के लिए बजट नहीं है। पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ कलाकारों ने खूब मंच सजाए, लोगों ने खूब तालियां पीटीं। लेकिन जब पैसे की बारी आई तो सरकार ने राग दरबारी का आलाप ले लिया। इन कलाकारों का तीन साल का भुगतान लंबित है।

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Arun Tiwari
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CG artists 12 crore stuck Raag Darbari the sootr
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रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार रायपुर में 100 करोड़ की फिल्म सिटी बनाने जा रही है लेकिन छत्तीसगढ़िया कलाकारों के 12 करोड़ देने के लिए बजट नहीं है। पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ कलाकारों ने खूब मंच सजाए, लोगों ने खूब तालियां पीटीं। लेकिन जब पैसे की बारी आई तो सरकार ने राग दरबारी का आलाप ले लिया। इन कलाकारों का तीन साल का भुगतान लंबित है। ऐसा नहीं है कि इसके लिए बजट नहीं दिया गया। बजट आया 66 करोड़ लेकिन ये बजट इनके हिस्से में नहीं आया। 66 करोड़ बजट की सरगम कहीं और ही बज गई।  

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क्या है हकीकत-क्या है फसाना : 

आधी हकीकत और आधा फसाना। सबसे  पहले आपको बताते हैं कि क्या सरकारी हकीकत है और क्या फसाना है। सरकार छत्तीसगढ़िया कलाकारों को अवसर देने के लिए फिल्म सिटी बना रही है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में 95.79 करोड़ रुपये की लागत से चित्रोत्पला फिल्म सिटी बनाई जाएगी।

ये फिल्म सिटी प्रदेश में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देगी और यहां फिल्म शूटिंग के लिए देशभर से फिल्म निर्देशक और निर्माता आएंगे। फिल्म सिटी के साथ ही रायपुर में 51.87 करोड़ रुपये की लागत से जनजातीय और सांस्कृतिक सम्मेलन केंद्र बनाया जाएगा ये केंद्र छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति और परंपराओं को दुनिया के आगे पेश करेगा।

यहां लोक कला, संगीत और नृत्य के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिससे पर्यटक और लोगों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से रूबरू हो सकेंगे। ये तो हुआ फसाना अब आपको हकीकत दिखाते हैं। पूरी दुनिया में मशहूर पंडवानी गायिका तीजन बाई की बदहाली पूरी दुनिया ने देखी। लेकिन अकेली तीजन बाई ही नहीं छत्तीसगढ़िया लोक कलाकारों की हालत भी कुछ इसी तरह की है।

पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़िया कलाकारों से सरकार ने सैकड़ों कार्यक्रम तो करा लिए लेकिन उनको मेहनताना नहीं दिया। तीन सालों से ये कलाकारों को सरकार 12 करोड़ रुपए नहीं दे पाई है। वर्तमान सरकार कहती है कि बजट आएगा तब देंगे। ऐसा नहीं है कि इनके कार्यक्रमों के लिए बजट नहीं था। तीन सालों में इन कार्यक्रमों के लिए 66 करोड़ का बजट था लेकिन वो बजट कहां चला गया,यह बड़ा सवाल है। 

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यह है छत्तीसगढ़िया कलाकारों की स्थिति 

 साल 2022-23 में 453 कला दलों के कार्यक्रमों के लिए 11 करोड़ का बजट रखा गया। 16 करोड़ रुपए भुगतान किए गए। 

- साल 2023-24 में 383 कला दलों के कार्यक्रमों के लिए 15 करोड़ का बजट रखा गया। 4 करोड़ रुपए भुगतान किए गए और 6 करोड़ रुपए बाकी हैं। 

- साल 2024-25 में 468 कला दलों के कार्यक्रमों के लिए 20 करोड़ का बजट रखा गया। 5 करोड़ रुपए भुगतान किए गए और 10 करोड़ रुपए बाकी हैं।

- साल 2025-26 में 208 कला दलों के कार्यक्रमों के लिए 20 करोड़ का बजट रखा गया। 1 करोड़ रुपए भुगतान किए गए और 1.26 करोड़ रुपए बाकी हैं। 

- इस तरह इन सालों में 1512 कला दलों के लिए 66 करोड़ का बजट आया। इन कलाकारों ने 7861 कार्यक्रम भी किए। लेकिन भुगतान सिर्फ 31 करोड़ का किया गया। अभी भी 800 भुगतान दलों का 12 करोड़ रुपए बाकी है। 

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कलाकारों को पेंशन देती है सरकार : 

ऐसा नहीं है कि सरकार छत्तीसगढ़िया कलाकारों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती। सरकार ने इनको अलग अलग ग्रेड में बांटा है और ग्रेड के हिसाब से उनको पेंशन भी दी जाती है। 

सरकार इतनी देती है पेंशन : 
पद्मभूषण कलाकार - 71000 
पद्मश्री कलाकार - 51000
राष्ट्रीय स्तर के कलाकार - 41000
राज्य अलंकरण से सम्मानित -35000
जिला स्तर के कलाकार - 21000
नवोदित कलाकार - 11000

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पेंशन तो ठीक है लेकिन पेंशन से तो उनका गुजारा चलता है। उनकी कला का सम्मान होना भी तो जरुरी है। वे कलाकार जो किसी ग्रेड में शामिल नहीं हैं उनको तो अपनी कला प्रदर्शन का मेहनताना मिलना चाहिए। इन आदिवासी लोक कलाकारों के साथ कभी सीएम तो कभी दूसरे मंत्री नाचते गाते तो नजर आते हैं लेकिन उनकी कला के हक का पैसा देने में क्यों राग दरबारी का आलाप आ जाता है।

सवाल ये भी है कि इनके लिए बजट तो आता है लेकिन वो बजट आखिर कहां चला जाता है। सरकार अर्थव्यवस्था को नए मुकाम तक पहुंचाने का दम भरती है लेकिन इन कलाकारों को 12 करोड़ देने के लिए बजट नहीं है।

कलाकारों के 12 करोड़ अटके | CG News

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