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रायपुर : क्या आपने कभी सुना है कि गिल्ली डंडा, खोखो या कंचे खिलाने में 50 करोड़ रुपए खर्च होंगे। शायद आपको ये नामुमकिन लगे लेकिन ये सब छत्तीसगढ़ में मुमकिन है। भूपेश सरकार में बना राजीव युवा क्लब ने करॅप्शन का नया मॉडल तैयार किया। छत्तीसगढ़ी संस्कृति के नाम पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक करा दिया। इस ओलंपिक के लिए भूपेश सरकार ने खुले हाथों से दान दिया।
इसके पूरे आयोजन की जिम्मेदारी राजीव युवा क्लब को सौंप दी। इस क्लब ने गिल्ली डंडा, कंचे,खोखो और कुश्ती खिलाने में 50 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए। इतना ही नही इस सामान को सवा करोड़ रुपए में खरीदा गया। है न हैरानी की बात, अब इसे छत्तीसगढ़िया ओलंपिक कहें या भ्रष्टाचार का ओलंपिक। क्या है पूरा मसला आइए आपको बताते हैं।
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छत्तीसगढ़िया ओलंपिक या भ्रष्टाचार का ओलंपिक
छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के समय कई बड़े बड़े कांड हुए तो कॅरप्शन के नए नए मॉडल भी सामने आए। तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने राजीव युवा मितान क्लब बनाया। इस क्लब पर सवाल उठते रहे हैं। बीजेपी नेता कहते हैं कि राजीव क्लब सिर्फ भ्रष्टाचार करने का नया क्लब था। खुद को छत्तीसगढ़िया रंग देने के लिए भूपेश सरकार बोरेबासी जैसे आयोजन कराए जिसमें करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ।
एक और आयोजन हम आपको बता रहे हैं जिसका नाम छत्तीसगढ़िया था लेकिन इसमें भी करोड़ों का खेल हुआ। छत्तीसगढ़ में साल 2022 और 2023 में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन किया गया। इस आयोजन की पूरी कमान राजीव युवा क्लब के पास थी। मैदान सिलेक्ट करने से लेकर खेलों का चयन और उनके लिए सामग्री की खरीदी का पूरा जिम्मा इसी क्लब के पास था। बस यहीं से भ्रष्टाचार की शुरुआत हो गई और करॅपशन का नया मॉडल सामने आ गया।
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50 करोड़ का गिल्ली-डंडा
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में गिल्ली-डंडा और कंचे जैसे खेल खिलाने के लिए 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च किया गया। इस आयोजन में कुल 50 करोड़ 68 लाख 29 हजार 762 रुपए खर्च हुए। इस ओलंपिक में छत्तीसगढ़ के परंपरागत खेल शामिल किए गए थे जो अक्सर गांवों में खेले जाते हैं।
इन खेलों का हुआ ओलंपिक :
गिल्ली डंडा
पिट्ठूल
संखली
लंगड़ी दौड़
कबड्डी
खो-खो
रस्साकसी
कंचे
बिल्लस
फुगड़ी
गेड़ी दौड़
भंवरा
100 मीटर दौड़
लंबी कूद
रस्सी कूद
कुश्ती
अब इन खेलों को खिलाने के लिए मैदान और सामग्री चाहिए थी। इसके लिए भी राजीव क्लब को भारी भरकम बजट मिल गया। क्लब ने भी 1 करोड़ 22 लाख 29 हजार 533 रुपए में खेल की सामग्री खरीद डाली। इन्होंने सवा करोड़ में जो खरीदा वो है चूना, रस्सी, गिल्ली डंडा, कंचे, पिट्टुल, रस्सी, गेड़ी, स्टॉप वॉच और मेजरमेंट टेप। वाकई कमाल है, राजीव क्लब सवा करोड़ में बड़ी महंगी सामग्री खरीद डाली।
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इन जिलों में इतने की सामग्री खरीदी :
खैरागढ़ - 48 लाख
कोरबा - 19 लाख
रायपुर - 10 लाख
जशपुर - 10 लाख 58 हजार
दुर्ग - 9 लाख
दंतेवाड़ा - 6 लाख
जांजगीर चांपा - 3 लाख 56 हजार
बेमेतरा - 2 लाख 18 हजार
बीजापुर - 1 लाख 47 हजार
बालोद - 1 लाख 43 हजार
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ओलंपिक में यहां इतना खर्च
रायपुर - 7 करोड़ रुपए
बस्तर - 1 करोड़ 32 लाख रुपए
बिलासपुर - 13 करोड़ रुपए
दुर्ग - 3 करोड़ रुपए
सरगुजा - 9 करोड़ रुपए
ये थी गिल्ली डंडा पर बेशुमार खर्च की बानगी। इन पारंपरिक खेलों को बढ़ावा मिलना चाहिए इसमें कोई बुराई नहीं लेकिन इन खेलों के नाम पर लूट का खेल तो नहीं चलना चाहिए। वो भी उस पैस की लूट जो जनता के खून पसीने की कमाई से टैक्स के रुप में प्रदेश के विकास के लिए जाता है।
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