छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मूल विषय पर सरकार का नहीं है ध्यान

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य को माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की सबसे बड़ी आबादी अपनी जटिल बीमारियों से परेशान होकर धर्म विशेष की प्रार्थना सभाओं में जाती है।

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VINAY VERMA
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Raipur. छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य को माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की सबसे बड़ी आबादी अपनी जटिल बीमारियों से परेशान होकर धर्म विशेष की प्रार्थना सभाओं में जाती है। लेकिन उसके बावजूद छग सरकार इस विषय को लेकर लापरवाह बनी हुई है।

सबसे प्रभावित क्षेत्र बस्तर में स्वास्थ्य सुविधाओं को इनता बुरा हाल है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को सदन में इस बात को उठाना पड़ा। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं कि अस्पतालों पर काम चल रहा है जल्द जनता को इसका लाभ मिलने लगेगा। 

क्षेत्रस्वीकृत पदविशेषज्ञों की मौजूदा स्थिति
बस्तर6712
कांकेर6814
कोंडागांव517
नारायणपुर315
दंतेवाड़ा444
बीजापुर623
सुकमा320
कुल35545

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विशेषज्ञ डॉक्टर ही नहीं

आंकड़ों की माने तो बस्तर के प्राथमिक, सामुदायिक और जिला अस्पताल के स्वास्थ्य केंद्रों में 355 विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति है। जिसमें से 310 डॉक्टरों की पोस्ट खाली है। जगदलपुर के महारानी मेडिकल कॉलेज में कैंसर, हार्ट डिसीस, न्यूरो के डॉक्टर तो दूर आई स्पेशलिस्ट, स्किन स्पेशलिस्ट, लिवर संबंधित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर भी नहीं है।

ऐसे में यहां के मरीजों को या तो रायपुर आना होता है या हैदराबाद या तेलंगाना का रुख करना पड़ता है। कई बार तो मेकाहारा के चक्कर लगाकर थके आर्थिक रुप से कमजोर परिजन मरीज को लेकर बस्तर वापस लौट जाते हैं। 

कमी दूर करने का लापरवाह प्रयास

सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए जगदलपुर के महारानी अस्पताल में एमआरडी-हिमोडायलिसिस, पेलिएटिव केयर तथा कैंसर क्लिनिक का निर्माण किया जाना है।

इसके लिए 41 करोड़ 20 लाख रुपए से महिलाओं के लिए एमआरडी बिल्डिंग और 43 करोड़ 68 लाख रुपए से हिमोडायलिसिस, पेलिएटिव केयर और कैंसर क्लिनिक का निर्माण होना है लेकिन इसके लिए सरकार टेंडर ही जारी नहीं कर रही। 

211 करोड़ मंे बना अस्पताल निजी कंपनी को

जगदलपुर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनकर तैयार है पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने इसका उद्घाटन किया था लेकिन सरकार इसके लिए डॉक्टर नहीं जुगाड़ पाई। पैसा दोनों के बीच रोड़ा बन गया। डॉक्टर जहां प्रति महीने 5 से 7 लाख रुपए मांग रहें जबकि सरकार अधिकतम 2 लाख से ज्यादा देने को तैयार नहंीं।

11 मंजिला अस्पताल में कुछ डॉक्टरों के सहारे विभाग ओपीडी तो शुरु कर पाया है लेकिन साल भर में एक भी मरीज भर्ती नहंी हुए। स्वास्थ्य विभाग ने साउथ के कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल के साथ समझौता किया है। समझौता के तहत कमाई का 80 प्रतिशत अस्पताल और 20 प्रतिशत सरकार का होगा। 

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भापजा प्रमुख से सदन पूछा सवाल

बस्तर में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी सदन में सवाल उठा चुकें हैं। उनका कहना है कि बस्तर में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में तेजी लाने की आवश्यकता है। कमी के चलते मरीजों को दूसरे राज्यों में जाकर इलाज करवाना पड़ता है।

मेरे सवाल पर सदन में स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन दिया है, उम्मीद है कि जल्द व्यवस्था सुधर जाएगी।

स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्ध हैं

स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल का कहना है कि स्वास्थ्य के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। जिन दोनों यूूनिट का निर्माण होना है पीडब्ल्यूडी को काम और पैसा दे दिया गया है। टेंडर की प्रक्रिया चल रही है।

जहां तक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के शुरु होने का सवाल है। नीजि अस्पताल के अनुबंध हो चुका है, जनवरी में उसे भी शुरु कर दिया जाएगा।

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