छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर विवाद, प्रार्थना सभा पर ब्रेनवॉश के आरोप, पास्टर गिरफ्तार

बिलासपुर के सरकंडा थाना क्षेत्र में प्रार्थना सभा के दौरान धर्मांतरण की गतिविधियों को लेकर हिंदूवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने इस मामले में पास्टर पूनम साहू को हिरासत में लिया है। आरोप है कि हिंदुओं का ब्रेनवॉश कर रही थीं.

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Krishna Kumar Sikander
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Controversy over conversion in Chhattisgarh the sootr
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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और दुर्ग जिलों में धर्मांतरण या मतांतरण को लेकर हुए ताजा विवादों ने एक बार फिर धार्मिक संवेदनशीलता को उजागर किया है। बिलासपुर के सरकंडा थाना क्षेत्र में एक प्रार्थना सभा के दौरान कथित तौर पर मतांतरण की गतिविधियों का मामला सामने आने के बाद हिंदूवादी संगठनों ने जमकर हंगामा किया। इस घटना में पास्टर पूनम साहू को पुलिस ने हिरासत में लिया है, जिन पर प्रार्थना सभा की आड़ में हिंदुओं को ब्रेनवॉश करने का आरोप है। दूसरी ओर, दुर्ग जिले के जामुल थाना क्षेत्र में भी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक चर्च के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें मतांतरण के आरोप लगाए गए।

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बिलासपुर में क्या हुआ?

बिलासपुर के सरकंडा थाना क्षेत्र में पास्टर पूनम साहू के घर पर रविवार को एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था। जानकारी के मुताबिक, इस सभा में 30 से अधिक हिंदू महिलाएं और बच्चे शामिल थे। पूनम साहू, जो पेशे से डॉक्टर हैं, पर आरोप है कि वे प्रार्थना सभा के बहाने लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रही थीं। स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद पुलिस और हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सभा में मौजूद लोगों को कथित तौर पर ईसाई धर्म की शिक्षाओं के बारे में बताया जा रहा था और उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन दिए जा रहे थे। हिंदूवादी संगठनों ने इसे "ब्रेनवॉश" का मामला करार देते हुए जोरदार विरोध दर्ज किया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पास्टर पूनम साहू और उनके कुछ सहयोगियों को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की। सरकंडा पुलिस इस मामले में गहन जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वाकई धर्मांतरण की कोई साजिश थी।

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दुर्ग में बजरंग दल का हंगामा

इसी तरह का एक और मामला दुर्ग जिले के जामुल थाना क्षेत्र के कैलाश नगर में सामने आया। रविवार को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक स्थानीय चर्च के बाहर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि चर्च में प्रार्थना सभा की आड़ में लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी और तनाव का माहौल बन गया।

बजरंग दल के नेताओं ने दावा किया कि इस तरह की गतिविधियां लंबे समय से चल रही थीं, और स्थानीय लोगों की शिकायतों के बाद उन्होंने कार्रवाई की मांग की।पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया, लेकिन इस घटना ने स्थानीय समुदाय में तनाव को बढ़ा दिया। जामुल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है।

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धर्मांतरण का मुद्दा एक संवेदनशील बहस

छत्तीसगढ़ में मतांतरण का मुद्दा लंबे समय से विवाद का विषय रहा है। हिंदूवादी संगठन दावा करते हैं कि कुछ धार्मिक समूह प्रलोभन, दबाव या ब्रेनवॉश के जरिए हिंदुओं को अन्य धर्मों में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, ईसाई समुदाय के कुछ नेता इन आरोपों को खारिज करते हुए कहते हैं कि प्रार्थना सभाएं केवल धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए आयोजित की जाती हैं। 

इनमें किसी तरह का जबरन धमतांतरण नहीं होता।पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में इस तरह की घटनाएं समय-समय पर सामने आती रही हैं, जिसके कारण सामाजिक तनाव बढ़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों में ठोस सबूतों के आधार पर कार्रवाई और पारदर्शी जांच जरूरी है, ताकि सामुदायिक सौहार्द बना रहे।

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पुलिस और प्रशासन की भूमिका

बिलासपुर और दुर्ग की घटनाओं के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों मामलों में जांच शुरू कर दी है। बिलासपुर में पास्टर पूनम साहू से पूछताछ जारी है, और पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या प्रार्थना सभा में वाकई मतांतरण की गतिविधियां हो रही थीं। दुर्ग में भी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों और चर्च के प्रतिनिधियों से बातचीत की है। प्रशासन ने दोनों क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है।

मतांतरण का मुद्दे फिर सुर्खियों में

इन घटनाओं ने एक बार फिर मतांतरण के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। हिंदूवादी संगठन सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बिना पुख्ता सबूतों के किसी पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए। इस मामले में पुलिस की जांच और अदालती कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।छत्तीसगढ़ में धार्मिक समन्वय और सामाजिक शांति बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों को सावधानी और निष्पक्षता के साथ हल किया जाए। फिलहाल, दोनों जिलों में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन इस घटना ने स्थानीय समुदायों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

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