छत्तीसगढ़ में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ सर्व समाज की बैठक, भटके लोगों की होगी घर वापसी

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में अवैध धर्मांतरण के बढ़ते मामलों को लेकर सरोना तहसील के ग्राम मुसुरपुट्टा में सर्व समाज की एक बड़ी बैठक आयोजित हुई। इसमें 20 से अधिक गांवों के लोग और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में अवैध धर्मांतरण के बढ़ते मामलों ने स्थानीय समुदाय को चिंता में डाल दिया है। इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा और ठोस कदम उठाने के लिए सरोना तहसील के ग्राम मुसुरपुट्टा में सर्व समाज की बैठक आयोजित की गई।

इस बैठक में आसपास के 20 से अधिक गांवों के ग्रामीणों, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों और स्थानीय नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य अवैध धर्मांतरण की रोकथाम और अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना था।

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धर्मांतरण: एक उभरती चुनौती

बैठक में उपस्थित वक्ताओं ने चिंता जताई कि अवैध धर्मांतरण छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में एक गंभीर समस्या बन चुका है। उनका कहना था कि यह न केवल सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रहा है, बल्कि स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को भी खतरे में डाल रहा है।

 एक वक्ता ने जोर देकर कहा, “हमारी आदि संस्कृति, हमारे संस्कार और हमारा समाज हमारी पहचान है। अगर हम अभी नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों से कट जाएंगी। परिवार हमारा है, समाज हमारा है, और इसे बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी है।”

‘घर वापसी’ का संकल्प

सर्व समाज की इस बैठक में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत पहला कदम उन लोगों को समझाने का होगा, जो धर्मांतरण के प्रभाव में आकर अपनी मूल संस्कृति से भटक गए हैं।

इन्हें प्यार, समझाइश और जागरूकता के जरिए अपनी जड़ों की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया जाएगा। बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि समझाने के बाद भी कोई व्यक्ति अपनी गलती नहीं सुधारता, तो उसके खिलाफ उचित कानूनी और सामाजिक कदम उठाए जाएंगे।

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सामुदायिक एकता का प्रदर्शन

बैठक में शामिल लोगों ने सामुदायिक एकता का परिचय देते हुए इस मुद्दे पर एकजुट होकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। विभिन्न गांवों से आए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने और लोगों को अपनी संस्कृति के महत्व के बारे में बताने का फैसला किया।

 साथ ही, यह भी तय किया गया कि इस तरह की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जाएंगी ताकि इस समस्या पर नजर रखी जा सके और समय रहते उचित कदम उठाए जा सकें।

सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता पर जोर

बैठक में वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि धर्मांतरण के पीछे अक्सर अज्ञानता, प्रलोभन या गलत सूचनाएं होती हैं। इसलिए, ग्रामीणों को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के प्रति जागरूक करना जरूरी है।

इसके लिए स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों और धार्मिक स्थलों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई गई। साथ ही, युवाओं को अपनी परंपराओं से जोड़ने के लिए सांस्कृतिक आयोजनों को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई।

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कानूनी ढांचे का सहारा

सर्व समाज ने यह भी स्पष्ट किया कि अवैध धर्मांतरण के खिलाफ कानूनी प्रावधानों का सहारा लिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए पहले से ही कानून मौजूद हैं, और इनका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने की मांग उठी।

 ग्रामीणों ने प्रशासन से भी इस दिशा में सहयोग मांगा ताकि अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।

छत्तीसगढ़ धर्मांतरण मामले की 5 मुख्य बातें:

  1. कांकेर धर्मांतरण विवाद: सरोना तहसील के मुसुरपुट्टा गांव में 20 से अधिक गांवों के ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों की बैठक हुई।

  2. अवैध धर्मांतरण पर चिंता: बैठक में बताया गया कि अवैध धर्मांतरण सामाजिक ताने-बाने और स्थानीय संस्कृति के लिए गंभीर चुनौती बन गया है।

  3. ‘घर वापसी’ का संकल्प: प्रभावित लोगों को जागरूक कर उनकी मूल संस्कृति की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

  4. सामुदायिक और सांस्कृतिक जागरूकता: स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों और धार्मिक स्थलों पर जागरूकता कार्यक्रम चलाने की योजना बनाई गई।

  5. कानूनी कदम: अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए कानूनी प्रावधानों का पालन और प्रशासन से सहयोग मांगा गया।

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अवैध धर्मांतरण के खिलाफ मजबूत संदेश

बैठक ने न केवल अवैध धर्मांतरण के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया, बल्कि सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक गौरव को पुनर्जनन करने का भी प्रयास किया। सर्व समाज ने यह स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए है।

आने वाले दिनों में इस दिशा में और सक्रियता देखने को मिल सकती है, जिसमें जागरूकता अभियान, सामुदायिक कार्यक्रम और कानूनी कार्रवाई शामिल होंगे।

सलाह और अपील

सर्व समाज ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे किसी भी प्रलोभन या दबाव में न आएं और अपनी संस्कृति के प्रति गर्व करें। साथ ही, यदि कोई अवैध धर्मांतरण की गतिविधि नजर आए, तो उसकी सूचना स्थानीय प्रशासन या सामाजिक संगठनों को दें।

 यह भी सलाह दी गई कि परिवारों और समुदायों के बीच संवाद को मजबूत किया जाए ताकि लोग अपनी जड़ों से जुड़े रहें।कांकेर जिले की इस पहल ने पूरे प्रदेश में एक नई चर्चा को जन्म दिया है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह अभियान कितना प्रभावी साबित होता है और समाज को एकजुट रखने में कितना योगदान देता है।

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