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Raipur. छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज सुबह एक बड़ी कार्रवाई शुरू की है। भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम आर्थिक कॉरिडोर के भूमि अधिग्रहण में हुए कथित मुआवजे घोटाले को लेकर ED की टीमों ने प्रदेश के 9 ठिकानों पर एक साथ दस्तक दी है।
रायपुर और महासमुंद में सुबह 6 बजे से छापा
सोमवार सुबह 6 बजे से ही भारी सुरक्षा बलों के साथ ED की टीमें सक्रिय हैं:
रायपुर: अमलीडीह स्थित पॉश कॉलोनी 'लॉ विस्टा' में भूमि दलाल हरमीत सिंह खनूजा के निवास पर जांच जारी है।
महासमुंद: मेघ बसंत इलाके में स्थित मशहूर व्यवसायी जसबीर सिंह बग्गा (होंडा शोरूम मालिक) के घर पर टीम दस्तावेज खंगाल रही है।
अन्य: जांच के दायरे में कुछ सरकारी अधिकारी, जमीन मालिक और खनूजा के करीबी सहयोगी भी शामिल हैं।
29 करोड़ का मुआवजा बना 70 करोड़
यह घोटाला भूमि अधिग्रहण के दौरान मुआवजा राशि को फर्जी तरीके से बढ़ाने और हड़पने से जुड़ा है। राजस्व अधिकारियों और भू-माफियाओं के सिंडिकेट ने सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया।
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| मुख्य बिंदु | विवरण |
| कुल घोटाला राशि | लगभग ₹43 करोड़ |
| जमीन का विभाजन | 65 हेक्टेयर जमीन को 159 छोटे टुकड़ों (खसरे) में बांटा गया |
| फर्जी लाभार्थी | मुआवजे के लिए रिकॉर्ड में80 नए फर्जी नामजोड़े गए |
| मुआवजा वृद्धि | निर्धारित ₹29.5 करोड़ की राशि को बढ़ाकर 70 करोड़+ किया गया |
| रुका हुआ भुगतान | गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद 78 करोड़ का भुगतान अभी रोक दिया गया है |
कौन है मास्टरमाइंड हरमीत सिंह खनूजा?
हरमीत सिंह खनूजा को इस पूरे सिंडिकेट का मुख्य एजेंट माना जा रहा है। खनूजा ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर बैक-डेट (पुरानी तारीखों) में फर्जी बंटवारे और म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) के दस्तावेज तैयार किए।
इसी साल 25 अप्रैल 2025 को आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने खनूजा के खिलाफ छापेमारी कर उसे गिरफ्तार किया था। अब ED मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के एंगल से पैसों के लेनदेन की जांच कर रही है।
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इन अधिकारियों पर गिर चुकी है गाज
घोटाले की परतें खुलने के बाद राज्य सरकार ने कई बड़े अधिकारियों को निलंबित किया है:
- शशिकांत कुर्रे: कोरबा के तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर।
- निर्भय साहू: जगदलपुर के पूर्व निगम कमिश्नर।
इनके अलावा 5 अन्य अधिकारी-कर्मचारियों पर ₹43 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी का सीधा आरोप है।
क्या है भारतमाला परियोजना?
यह केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना है, जिसके तहत देश भर में 26,000 किलोमीटर के आर्थिक कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं। रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर इसी का अहम हिस्सा है, जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के बीच माल ढुलाई और यातायात को सुगम बनाना है।
ED की कार्रवाई अभी जारी है। घरों के बाहर सीआरपीएफ (CRPF) के जवान तैनात हैं और किसी भी बाहरी व्यक्ति को अंदर जाने या बाहर आने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस छापेमारी से बड़े वित्तीय लेन-देन और बेनामी संपत्तियों के खुलासे हो सकते हैं।
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