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Bijapur Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बलों को नक्सल प्रभावित इलाकों में एक और बड़ी सफलता मिली है। बीजापुर जिले के पामेड़ और गंगालूर थाना क्षेत्र में सक्रिय 8 नक्सलियों ने तेलंगाना के कोत्तागुडम में पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली लंबे समय से संगठन से जुड़े थे और विभिन्न माओवादी गतिविधियों में शामिल रहे थे।
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नक्सलियों ने क्यों छोड़ा हिंसा का रास्ता?
पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली बीजापुर जिले के ही निवासी हैं और वर्षों से जंगलों में सक्रिय थे। उन्होंने बताया कि वे अब हिंसा और उग्रवाद का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं। इन नक्सलियों ने खुलासा किया कि छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण नीति, पुनर्वास योजनाओं और विकास कार्यों से वे प्रभावित हुए हैं। सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और रोज़गार के क्षेत्र में किए जा रहे कामों ने उन्हें संगठन छोड़ने के लिए प्रेरित किया।
छत्तीसगढ़ सरकार की नीति का असर
राज्य सरकार ने बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा और अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास को प्राथमिकता दी है।
- गांवों तक सड़क और बिजली पहुंचाने की योजनाएं
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार
- युवाओं को रोज़गार से जोड़ने के लिए विशेष कैंप
- आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास और आर्थिक सहायता
इन प्रयासों के चलते लगातार नक्सलियों के आत्मसमर्पण की घटनाएं सामने आ रही हैं।बीजापुर नक्सली न्यूज
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पुलिस और सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता
नक्सलियों के आत्मसमर्पण को छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। इससे न केवल नक्सल संगठन कमजोर होगा, बल्कि बीजापुर समेत बस्तर अंचल में शांति और विकास की राह और मजबूत होगी।
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भविष्य की उम्मीदें
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह आत्मसमर्पण उन युवाओं के लिए एक संदेश है जो अभी भी नक्सल संगठन से जुड़े हुए हैं। सरकार की योजना है कि आत्मसमर्पण करने वालों को समाज में सम्मानजनक जीवन देने के साथ उन्हें रोज़गार और शिक्षा से जोड़ा जाए।
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