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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 570 करोड़ रुपए के कोल लेवी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) लगातार एक्शन मोड में है। अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। ईडी ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर 10 सीनियर IAS और IPS अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। पत्र को राज्य के मुख्य सचिव और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को भेजा गया है, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में जांच और कार्रवाई का दायरा और बड़ा हो सकता है।
ईडी का पत्र और संभावित कार्रवाई
ईडी द्वारा भेजा गया यह पत्र छत्तीसगढ़ प्रशासन और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। इसमें साफ तौर पर 10 वरिष्ठ IAS और IPS अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की गई है, साथ ही जांच को तेज करने का आग्रह भी किया गया है। सूत्रों के अनुसार, इस पत्र के बाद आने वाले दिनों में बड़े स्तर पर कार्रवाई हो सकती है, जिससे राज्य की ब्यूरोक्रेसी और सियासत दोनों में हलचल तेज होना तय है।
क्या है पूरा मामला
ईडी की जांच के मुताबिक, कोयला परिवहन पर लगने वाली लेवी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई। इसके लिए ऑनलाइन कोल परमिट सिस्टम को ऑफलाइन मोड में बदल दिया गया, ताकि अवैध वसूली आसानी से हो सके। इस हेराफेरी से राज्य सरकार को करीब 570 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। अब तक इस घोटाले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।
गिरफ्तारियां और आरोपी अफसर
इस मामले में अब तक कई बड़े अफसरों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सौम्या चौरसिया (पूर्व सीएम भूपेश बघेल की ओएसडी) को दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि बाद में कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी। आईएएस रानू साहू को जुलाई 2023 में गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया गया। आईएएस समीर विश्नोई और अनिल टूटेजा भी जेल जा चुके हैं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। कारोबारी सूर्यकांत तिवारी भी इस घोटाले में अहम आरोपी हैं।
ईडी का दावा
ईडी के अनुसार, कोल लेवी घोटाला महज आर्थिक अनियमितता नहीं बल्कि सत्ता और प्रशासनिक तंत्र की गहरी मिलीभगत का नतीजा है। जांच में सामने आया है कि कई वरिष्ठ अधिकारियों ने मिलकर अवैध वसूली का ऐसा जाल बिछाया, जिससे करोड़ों रुपए की रकम वसूल की गई। इस अवैध तंत्र से केवल कुछ चुनिंदा अधिकारी और कारोबारी ही लाभान्वित हुए, जबकि राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा।
छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला क्या है?
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आगे की कार्रवाई
ईडी की इस सिफारिश के बाद अब गेंद राज्य सरकार और ईओडब्ल्यू के पाले में है। अगर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई होती है, तो छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में बड़ा भूचाल आ सकता है। वहीं इस पूरे मामले पर सियासी हलचल तेज होना तय है। कुल मिलाकर, छत्तीसगढ़ का यह कोल लेवी घोटाला सिर्फ आर्थिक नुकसान का मामला नहीं, बल्कि प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार की बड़ी तस्वीर भी सामने लाता है।