छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: चैतन्य बघेल और दीपेन चावड़ा से 2 घंटे पूछताछ,EOW की रिमांड पर हैं दोनों

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल और कारोबारी दीपेन चावड़ा EOW रिमांड में। मोबाइल चैट्स और ‘Big-Boss’ वॉट्सऐप ग्रुप से खुला घोटाले का पूरा नेटवर्क।

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Harrison Masih
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CG liquor scam: रायपुर के स्पेशल कोर्ट में शराब घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल और कारोबारी दीपेन चावड़ा को पेश किया गया। कोर्ट ने चैतन्य को 6 अक्टूबर तक और दीपेन को 29 सितंबर तक EOW की कस्टोडियल रिमांड पर भेजा है। जहां दोनों से पूछताछ की जा रही है। 

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दो घंटे की पूछताछ में मिली अहम जानकारी

बुधवार देर रात दोनों आरोपियों से करीब 2 घंटे तक पूछताछ की गई। जांच में शराब घोटाले, Big-Boss वॉट्सऐप ग्रुप और सिंडिकेट से जुड़े अन्य लोगों की जानकारियों का क्रॉस चेक किया गया। EOW अफसरों ने मोबाइल चैट और सोशल मीडिया ग्रुप्स की जांच कर यह पता लगाने की कोशिश की कि आरोपियों ने कितनी और किस प्रकार की वित्तीय व प्रशासनिक गतिविधियों में भाग लिया।

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मोबाइल चैट्स और दस्तावेजों से खुलासे

ED ने अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के मोबाइल की जांच में चौंकाने वाले चैट्स पाए। इनमें पैसों की डीलिंग और नकली होलोग्राम बनाने जैसी चर्चाएं शामिल थीं। आरोपपत्र में दावा किया गया कि चैतन्य बघेल ही पूरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंड था। इसमें से करीब 200 करोड़ रुपए खुद की कमाई और 850 करोड़ रुपए तत्कालीन कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंचे।

‘Big-Boss’ वॉट्सऐप ग्रुप

इस पूरे शराब घोटाले के संचालन के लिए ‘Big-Boss’ नामक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया था, जिसमें चैतन्य बघेल, अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया और पुष्पक जैसे प्रमुख लोग शामिल थे। इस ग्रुप के माध्यम से करोड़ों रुपए की हेराफेरी, मनी लॉन्ड्रिंग और लेन-देन की पूरी जानकारी साझा की जाती थी, साथ ही यह तय किया जाता था कि पैसे किसे भेजने हैं और किस प्रकार के कदम उठाने हैं।

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बंसल का बड़ा खुलासा

दुर्ग-भिलाई के शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू बंसल ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने और चैतन्य (Chaitanya baghel) ने मिलकर 1000 करोड़ रुपए से अधिक कैश मैनेज किया। यह रकम अनवर ढेबर से दीपेन चावड़ा और कांग्रेस नेताओं रामगोपाल अग्रवाल, केके श्रीवास्तव तक पहुंचाई गई।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला क्या है?

  1. सिंडिकेट की स्थापना: फरवरी 2019 में अनवर ढेबर ने डिस्टलरी मालिकों और अधिकारियों के साथ मिलकर एक सिंडिकेट बनाया, जिसमें शराब सप्लाई पर कमीशन और रेट तय किया गया।

  2. मुख्य आरोपी: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, कारोबारी अनवर ढेबर, IAS अफसर अनिल टुटेजा और आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी प्रमुख आरोपियों में शामिल हैं।

  3. Big-Boss वॉट्सऐप ग्रुप: इस घोटाले के संचालन के लिए ‘Big-Boss’ नाम का वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया, जिसमें करोड़ों रुपए की हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग की जानकारी साझा की जाती थी।

  4. आर्थिक हेराफेरी: आरोपपत्र के अनुसार चैतन्य बघेल ने खुद 200 करोड़ रुपए की कमाई की और 850 करोड़ रुपए तत्कालीन कांग्रेस कोषाध्यक्ष तक पहुंचाए।

  5. जांच और FIR: ED और EOW ने जांच शुरू कर दी है। मोबाइल चैट्स, बैंक लेन-देन और दस्तावेजी सबूतों की पड़ताल की जा रही है, और आरोपियों को कस्टोडियल रिमांड पर रखा गया है।

सिंडिकेट की स्थापना

ED की जांच के अनुसार, फरवरी 2019 में अनवर ढेबर ने होटल वेनिंगटन में मीटिंग कर डिस्टलरी मालिकों को कमीशन और रेट तय करने के लिए बुलाया। इस मीटिंग में AP त्रिपाठी और अन्य अफसर और कारोबारी भी शामिल थे। पूरे कारोबार को ए, बी और सी पार्ट में बांटकर पैसों का हिसाब-किताब किया गया।

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जांच जारी

ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए यह घोटाला अंजाम दिया गया। फिलहाल, EOW की रिमांड में चैतन्य और दीपेन से विस्तृत पूछताछ जारी है। डिजिटल डेटा, बैंक लेन-देन और दस्तावेजी सबूतों की जांच के बाद जांच में नई दिशा तय की जाएगी।

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