कोयला घोटाले में भी बिट्टू पर लगाए ईओडब्ल्यू ने आरोप, कांग्रेस की याचिका पर एसीबी अफसरों को नोटिस जारी

छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले के आरोप में जेल में बंद चैतन्य बघेल पर कोल घोटाले में शामिल होने के आरोप भी लगे हैं। ईओडब्ल्यू की चार्जशीट में आरोपियों के वे बयान शामिल हैं जिनमें सूर्यकांत तिवारी,सौम्या चौरसिया के साथ चैतन्य बघेल का नाम भी लिया गया है।

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Arun Tiwari
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Raipur. छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले के आरोप में जेल में बंद चैतन्य बघेल पर कोल घोटाले में शामिल होने के आरोप भी लगे हैं। कोर्ट में पेश की गई EOW की चार्जशीट में आरोपियों के वे बयान शामिल हैं जिनमें सूर्यकांत तिवारी,सौम्या चौरसिया के साथ बिट्टू यानी चैतन्य बघेल का नाम भी लिया गया है। इसके अलावा कोयले की चोरी में बड़े पैमाने पर कोर्ड वर्ड का उपयोग किया गया है।

570 करोड़ के इस घोटाले में अधिकारियों के साथ कांग्रेस के कई नेताओं के नाम शामिल हैं। इसके लेन देन का एक ठिकाना कांग्रेस भवन भी था। इसकी जांच ईओडब्ल्यू और ईडी कर रही हैं। वहीं भूपेश बघेल ने अदालत और एसीबी अधिकारियों के बीच सांठ गांठ के आरोप लगाए हैं।

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बिट्टू,सौम्या और सूर्यकांत का गठजोड़ : 

एजेंसियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हुए 570 करोड़ के कोल लेवी घोटाले में भी मुख्य चेहरे वही हैं जो शराब घोटाले में हैं। बिट्टू बघेल, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी के इस गठजोड़ के साथ इस घोटाले में कुछ और नए चेहरे भी शामिल हो गए। ईओडब्ल्यू की चार्जशीट के मुताबिक कोल घोटाले के बारे में रोशन चंद्राकर ने 16 जुलाई 2025 को EOW-ACB को दिए अपने इकबालिया बयान में बताया कि सूर्यकांत के पास लेवी वसूली का जितना भी धन इकट्ठा होता था उसकी पाई-पाई का हिसाब रजनीकांत तिवारी एक डायरी में करता था। रजनीकांत तिवारी, इस घोटाले के किंगपिन सूर्यकांत तिवारी का भाई है।

इस डायरी की हर महीने सौम्या चौरसिया बारीकी से जांच करती थी। सौम्या के अलावा सूर्यकांत को हर महीने सीएम के बेटे बिट्टू बघेल को भी हिसाब देना पड़ता था। रोशन कहता है कि वो खुद एक-दो बार सूर्यकांत के साथ बिट्टू बघेल से मिलने गया था। सिर्फ इतना ही नहीं, रोशन के मुताबिक 2020-21 में एक बार बिट्टू और सूर्यकांत के बीच हिसाब किताब को लेकर नोंकझोंक भी हुई और वापस लौटते वक्त इससे झल्लाए सूर्यकांत ने उससे यहां तक कहा कि ,"इतना भी क्या यार, छोटे छोटे अमाउंट का भीं हिसाब मांगता है बिट्टू। ये शोभा नहीं देता। इस बयान से साफ जाहिर है कि इस घोटाले में भी बिट्टू,सौम्या और सूर्यकांत का गठजोड़ काम कर रहा था। 

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डायरी में कोड वर्ड का खुलासा : 

इस पूरे घोटाले का संचालन कोड वर्ड के जरिए होता था। सूर्यकांत तिवारी की डायरी में ये सारे कोड वर्ड लिखे हुए हैं। डायरी में एमयू और जेएआई की इंट्री सौम्या चौरसिया से संबंधित हैं। सौम्या के हिस्से का पैसा एमयू और जय कोशले को सौंपा जाता था। जय कोशले ही सौम्या का पर्सनल असिस्टेंट था। अन्य कोर्ड वर्ड में टीएसजी-समीर विश्नोई, नवाज खैरागढ़ -देवेंद्र यादव, भगत -अमरजीत भगत, आरपी -आरपी सिंह, विनोद - विनोद तिवारी, जेपी -जेपी मौर्य, नीतू -नवनीत तिवारी, अभि -अभिषेक चौबे, एएमआई -अमित चौरसिया, अनुराग -अनुराग चौरसिया, सोरी -शिशुपाल सोरी,ओएसडी -कुंजाम, मिंज -यूडी मिंज, गांधी -इदरेश गांधी, चंद्र -चंद्रदेव राय, अन्नू -प्रवेश दुबे, बृहस्पत -बृहस्पति सिंह, रानू साहू - आरएस। 

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गिट्टी को करोड़ और रेती को लाख :

EOW और प्रवर्तन निदेशालय ED की चार्जशीट में आरोपियों के बीच वॉट्सऐप चैट को महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में पेश किया गया है। उगाही के पूरे हिसाब-किताब को छिपाने के लिए खास कोडवर्ड का इस्तेमाल होता था। करोड़ के लिए गिट्टी, लाख के लिए रेती का इस्तेमाल होता था। गिरा शब्द का मतलब था वसूली का पैसा आ गया है। चार्जशीट के अनुसार, हिसाब-किताब रखने और पैसा ट्रांसफर करने के लिए पाल ग्रुप, दुर्ग ग्रुप, वीकली ग्रुप, टावर ग्रुप और जुगनू ग्रुप जैसे नाम से वॉट्सऐप ग्रुप बनाए गए थे। इन ग्रुप्स में कर्मचारी हिसाब भेजते थे और सूर्यकांत तिवारी इसी के जरिए आईएएस और आईपीएस अधिकारियों तक पैसा पहुंचाने के निर्देश देता था। वहीं लेनदेन का मुख्य केंद्र कांग्रेस भवन को बताया गया है।

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कांग्रेस के गंभीर आरोप: 

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कांग्रेस नेताओं ने इस मामले में गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जांच एजेंसी और अदालतों में सांठगांठ के सुबूत सामने आ रहे हैं। ईओडब्ल्यू अदालत में आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान दर्ज करवाने की प्रक्रिया में गड़बड़ी का दावा किया गया है। बताया जा रहा है कि आरोपी का बयान अदालत कक्ष के बाहर टाइप करवाकर पेश किया है। बता दें कि नियम यह है कि बयान अदालत में ही टाइप होता है और उसका रिकॉर्ड रखा जाता है।

इस गड़बड़ी को लेकर बचाव पक्ष के वकीलों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई है। आरोपियों की ओर से एसीबी के IG अमरेश मिश्रा, ASP चंद्रेश ठाकुर और DSP राहुल शर्मा के खिलाफ शिकायत की गई है। मामले की फॉरेंसिक जांच की मांग की गई है। जिसके स्पष्ट हो सके कि बयान प्रक्रिया में गड़बड़ी किस स्तर पर हुई है और जान बूझकर नियम को क्यों तोड़ा गया है। भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा कि असमा बेग, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी की अदालत ने ईओडब्लू/एसीबी के निदेशक अमरेश मिश्रा व दो अन्य अधिकारियों राहुल शर्मा और चंद्रेश ठाकुर को नोटिस जारी कर दिया है। सूचना है कि तीनों अधिकारियों को नोटिस की प्रति मिल गई है। यह नोटिस वरिष्ठ कांग्रेस नेता गिरीश देवांगन जी के परिवाद पर जारी हुआ है। इस परिवाद ने देवांगन ने शिकायत की थी कि ईओडब्लू/एसीबी ग़लत तरीक़े से CrPC की धारा 164 या BNSS की धारा 183 के तहत बयान दर्ज करवाकर कथित कोल घोटाले व अन्य मामले में अभियुक्तों को ख़िलाफ़ झूठे बयान गढ़ रही है।

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