कस्टम मिलिंग घोटाला: EOW ने अनिल टुटेजा को बताया मास्टरमाइंड,ढेबर संग मिलकर वसूले करोड़ों,कमीशन भेजा राजीव भवन

छत्तीसगढ़ के चर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले में EOW ने सोमवार, 6 अक्टूबर को लगभग 1500 पन्नों की चार्जशीट अदालत में पेश की। चार्जशीट में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर पर 140 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

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Harrison Masih
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Raipur. छत्तीसगढ़ के चर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने सोमवार, 6 अक्टूबर को लगभग 1500 पन्नों की चार्जशीट अदालत में पेश की। चार्जशीट में सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जांच एजेंसी ने दोनों को कथित रूप से इस घोटाले (CG Custom Milling Scam) का मास्टर माइंड बताया।

घोटाले की शुरुआत और योजनाबद्ध साजिश

EOW के अनुसार, यह घोटाला वर्ष 2021-22 में शुरू हुआ। उद्योग भवन में हुई एक बैठक में कस्टम मिलिंग से जुड़ी अनियमितताओं की रूपरेखा तैयार की गई। उस समय अनिल टुटेजा उद्योग विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर थे। चार्जशीट में आरोप है कि उन्होंने तत्कालीन अधिकारी रोशन चंद्राकर के साथ मिलकर खाद्य सचिव को अत्यधिक चावल का केंद्रीय कोटा मांगने के निर्देश दिए।

2020-21 में 24 लाख मैट्रिक टन का कोटा भी मिलरों द्वारा पूरा करना मुश्किल था, लेकिन टुटेजा ने 2021-22 के लिए अनुमानित 104 लाख मैट्रिक टन का कोटा तय किया। इस अतिरिक्त अनुमानित कोटे को पूरा करने के लिए मिलरों को विशेष प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की योजना बनाई गई, जिससे कथित रूप से अवैध वसूली की गई।

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वसूली की योजना और दबाव

EOW का आरोप है कि टुटेजा ने राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पर दबाव डाला और तत्कालीन कोषाध्यक्ष नरेश सोमानी को हटाकर रोशन चंद्राकर को नियुक्त किया। चार्जशीट के अनुसार, रोशन ने मिलरों से घूम-घूमकर वसूली की। विरोध करने वाले कारोबारियों के मिलों पर छापेमारी कराई गई।

अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर ने लगभग 22 करोड़ रुपए कमीशन के रूप में वसूले, जिसमें कथित रूप से कांग्रेस पार्टी के राजीव भवन फंड में हिस्सा गया। पूरे घोटाले में कुल 140 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली हुई।

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कमीशन की ट्रैकिंग और बंटवारा

चार्जशीट में बताया गया कि कमीशन की रकम बीटीआई मैदान, पाम बैलेजियो और बनियान ट्री होटल जैसे स्थानों पर लाई जाती थी। एजेंट वहां रकम छोड़ते और फिर यह राशि जेल रोड और शंकर नगर स्थित होटल तक जाती थी। वहां से रकम टुटेजा तक पहुंचाई जाती और सभी के हिस्सों में बांटी जाती थी।

अधिकारियों के अनुसार, एक हिस्सा कांग्रेस के राजीव भवन में भेजा जाता, जिसे पार्टी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल द्वारा लिया जाता था। पैसे को बोरियों और कार्टून में भरकर भेजा जाता ताकि कोई संदेह न हो।

पूरे मामले को 3 पॉइंट्स में समझें

  1. मुख्य आरोप: EOW ने पूर्व IAS अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर पर 140 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली और कमीशन के गंभीर आरोप लगाए हैं। चार्जशीट लगभग 1500 पन्नों की है।

  2. कैसे हुई वसूली: राइस मिलर्स एसोसिएशन और मार्कफेड अधिकारियों के माध्यम से मिलरों से घोटाले के लिए दबाव डालकर वसूली की गई। पैसा बोरियों और कार्टून में भरकर राजीव भवन समेत अन्य स्थानों पर पहुंचाया जाता था।

  3. जांच और अगला कदम: चार्जशीट कोर्ट में पेश हो चुकी है। अब न्यायिक प्रक्रिया के दौरान सभी पक्ष अपना पक्ष रखेंगे और EOW द्वारा अन्य विभागों में हुई गड़बड़ियों की भी जांच जारी है।

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एसोसिएशन में बदलाव और वसूली का संचालन

EOW ने बताया कि कस्टम मिलिंग घोटाले को अंजाम देने के लिए राइस मिलर्स एसोसिएशन में पदाधिकारियों का बदलाव किया गया। मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में प्रोत्साहन राशि को 40 रुपए से बढ़ाकर 120 रुपए प्रति क्विंटल करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद बेबीलॉन होटल में सम्मान समारोह आयोजित कर वसूली की शुरुआत हुई।

अनवर ढेबर और टुटेजा के निर्देश पर रोशन चंद्राकर और मार्कफेड के पूर्व MD मनोज सोनी ने प्रति क्विंटल 20 रुपए कमीशन वसूली शुरू की। विरोध करने वालों के बिल रोक दिए गए और अन्य को भुगतान कर दिया गया।

अन्य विभागों में गड़बड़ी और जांच विस्तार

चार्जशीट में कहा गया कि अनवर ढेबर का सरकार में गहरा प्रभाव था। आयकर विभाग की छापेमारी में मिली जानकारी के अनुसार, PWD, वन विभाग, बिजली विभाग, मार्कफेड सहित कई अन्य विभागों में उनका दखल था। EOW अब इन विभागों में हुई गड़बड़ियों की भी जांच कर रही है।शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को वसूली का काम सौंपा गया था। एजेंटों के जरिए पैसा इकट्ठा कर टुटेजा और ढेबर तक पहुंचाया जाता था।

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राजनीतिक संलिप्तता और विधानसभा में उठाया मुद्दा

6 मार्च 2023 को BJP विधायक शिवरतन शर्मा ने विधानसभा में कस्टम मिलिंग में प्रति टन 20 रुपए की अवैध वसूली का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केवल वे मिलर भुगतान करते हैं जो वसूली राशि देते हैं। तत्कालीन मंत्री मोहम्मद अकबर ने विधायक से सबूत मांगे, जिसके बाद सदन में हंगामा हुआ।

FAQ

छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग घोटाला क्या है?
छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग घोटाला एक बड़ा आर्थिक घोटाला है, जिसमें पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर पर आरोप हैं कि उन्होंने मार्कफेड और राइस मिलर्स एसोसिएशन के माध्यम से मिलरों से अवैध रूप से पैसे वसूले।
कस्टम मिलिंग घोटाले में मुख्य आरोपी कौन हैं?
EOW की चार्जशीट के अनुसार, पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर इस घोटाले के मुख्य आरोपी हैं। उनके खिलाफ लगभग 1500 पन्नों की चार्जशीट अदालत में पेश की गई।
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