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Custom Milling Scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और व्यवसायी अनवर ढेबर को विधिवत गिरफ्तार कर लिया।
दोनों पहले से ही शराब घोटाले में जेल में बंद थे। ईओडब्ल्यू की टीम ने प्रोडक्शन वारंट पर इन्हें विशेष अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
इस मामले में ईओडब्ल्यू ने अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 11, 13(1)(क), 13(2) और आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 384 (जबरन वसूली), 409 (लोकसेवक द्वारा विश्वास भंग) के तहत मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी के अनुसार, वर्ष 2021-22 के दौरान धान की कस्टम मिलिंग के नाम पर राज्य भर के राइस मिलर्स से करोड़ों रूपए की अवैध वसूली की गई थी।
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ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया है कि दोनों आरोपियों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत मिलर्स से दो चरणों में अवैध धन वसूली का नेटवर्क खड़ा किया। इसमें राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश रुंगटा, कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर, रामगोपाल अग्रवाल और सिद्धार्थ सिंघानिया जैसे नाम भी सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्राकर द्वारा जिलों से वसूली गई राशि सिद्धार्थ सिंघानिया के जरिए अनवर ढेबर और फिर टुटेजा तक पहुंचाई गई थी।
प्रकरण में अनवर ढेबर की राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच तथा अनिल टुटेजा के पूर्व आईएएस पद के कारण यह मामला बेहद संवेदनशील और जटिल बन गया है। पुलिस रिमांड के दौरान अब उन सभी चैनलों की पड़ताल की जाएगी, जिनसे घोटाले की रकम का लेन-देन हुआ। साथ ही, अन्य संभावित सहयोगियों और लाभार्थियों की पहचान भी की जा रही है।
कैसे शुरू हुआ था खेल?
दरअसल, केंद्र सरकार से 2021-22 के लिए राज्य को 62 लाख मीट्रिक टन धान की कस्टम मिलिंग की मंजूरी मिली थी। इसके बाद प्रदेश के कुछ प्रभावशाली अफसरों और कारोबारियों ने इस प्रक्रिया को भ्रष्टाचार का जरिया बना डाला। उन्होंने राइस मिलर्स पर दबाव डालकर दो किस्तों में अवैध धन वसूला और करोड़ों की रकम निजी हित में इस्तेमाल की।
क्या आगे और गिरफ्तारियां होंगी?
ईओडब्ल्यू की टीम घोटाले की हर लेयर की बारीकी से जांच कर रही है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में इस प्रकरण में और भी कई प्रभावशाली नाम सामने आ सकते हैं। फंड ट्रेल, डिजिटल सबूत, बैंक ट्रांजैक्शन और बयान के आधार पर जांच को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
यह घोटाला ना केवल आर्थिक अपराध का बड़ा उदाहरण है, बल्कि इससे यह भी उजागर हुआ है कि लोकसेवकों और रसूखदार व्यापारियों की मिलीभगत कैसे सरकारी योजनाओं और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर रही है।
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