छत्तीसगढ़ सोलर लाइट स्कैम: हाईकोर्ट का सख्त रुख, सरकार से मांगी विस्तृत जांच रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित सोलर लाइट घोटाले को लेकर हाईकोर्ट की सख्ती लगातार जारी है। इस मामले में गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।

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Harrison Masih
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Chhattisgarh Solar Light Scam High Court seeks investigation report from government the sootr
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Chhattisgarh Solar Light Scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित सोलर लाइट घोटाले को लेकर हाईकोर्ट की सख्ती लगातार जारी है। इस मामले में गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। 

कोर्ट ने शासन को कड़ी फटकार लगाते हुए सितंबर 2025 तक विधानसभा समिति की विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। यह मामला तब उजागर हुआ जब मीडिया रिपोर्ट्स में यह सामने आया कि राज्य के कई जिलों में करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी सोलर स्ट्रीट लाइटें नहीं लगाई गईं।

हाईकोर्ट ने रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए इस घोटाले को जनहित याचिका के रूप में स्वत: संज्ञान (Suo Moto) लिया, और इसकी सुनवाई प्रारंभ की।

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कहां-कहां हुआ घोटाला?

जांच में यह सामने आया है कि बस्तर संभाग के सुकमा, बस्तर, कांकेर, कोंडागांव सहित जांजगीर-चांपा जिले में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने का काम अधूरा है, बावजूद इसके ठेकेदारों को पूरा भुगतान कर दिया गया। बस्तर जिले में ही लगभग 181 गांवों में अब तक लाइटें नहीं लगाई गईं, जो पूरे प्रोजेक्ट पर संदेह खड़ा करता है।

क्या कहा सरकार ने?

गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता (Advocate General) ने कोर्ट को बताया कि 6 अगस्त 2024 को विधानसभा की एक समिति बनाई गई थी जो मामले की जांच कर रही है। लेकिन अभी तक उसकी विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने कोर्ट से कुछ समय की मांग की।

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कोर्ट की सख्ती

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इस मामले को गंभीर और व्यापक सार्वजनिक महत्व से जुड़ा बताते हुए कहा कि यह घोटाला ग्रामीण विकास योजनाओं और सरकारी व्यवस्था की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल है।

उन्होंने कहा कि “जब जनता की मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली और प्रकाश की बात हो, और उस पर भी हेरा-फेरी हो, तो यह शासन के मूलभूत दायित्व की असफलता है।”

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कैसे खुला मामला?

यह घोटाला तब सामने आया जब समाचार माध्यमों ने अपने इन्वेस्टिगेशन में सोलर लाइट प्रोजेक्ट्स में भारी गड़बड़ियों की परतें खोलीं। इसके बाद हाईकोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर इस मामले को स्वत: जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया।

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अब सबकी निगाहें सितंबर की सुनवाई पर

कोर्ट के सख्त रुख के बाद जनता को उम्मीद है कि दोषियों पर जल्द कार्रवाई होगी। खासकर बस्तर जैसे पिछड़े इलाकों में जहां अभी भी बिजली की पहुँच सीमित है, वहां इस प्रकार का घोटाला स्थानीय लोगों के हक से खिलवाड़ के रूप में देखा जा रहा है।

अब सभी की निगाहें सितंबर 2025 में होने वाली अगली सुनवाई पर हैं, जहां सरकार को जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी। यदि रिपोर्ट संतोषजनक नहीं रही, तो हाईकोर्ट और कड़े कदम उठा सकता है।

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