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Narayanpur. नारायणपुर जिले में 23 सितंबर को नक्सली नेता रामचंद्र रेड्डी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उसके बेटे ने इसे फर्जी करार देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उसके पिता को कस्टडी में मारकर एनकाउंटर बताया। साथ ही उसने सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग के साथ मुआवजे की भी मांग की थी।
हाई कोर्ट ने शासन के पक्ष में दिया फैसला
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में फर्जी नक्सली मुठभेड मामले की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि राज्य शासन द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य पर्याप्त और विश्वसनीय हैं। कोर्ट ने नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) की प्रक्रिया को भी सही माना और माना कि एनकाउंटर पारदर्शी तरीके से किया गया था।
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सीबीआई, एसआईटी जांच और मुआवजे की मांग ठुकराई गई
कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा की गई सीबीआई और एसआईटी जांच की मांग को खारिज कर दिया। साथ ही फर्जी एनकाउंटर के आरोपों को भी निराधार बताया गया। अदालत ने साफ कहा कि पेश किए गए सबूतों में कहीं भी पुलिस या प्रशासन की मनमानी का प्रमाण नहीं है।
NIA के वकील ने बताई रेड्डी की नक्सली भूमिका
एनआईए के वकील बी. गोपा कुमार ने अदालत में बताया कि रामचंद्र रेड्डी माओवादी संगठन में सक्रिय सदस्य था और उसने संगठन को लॉजिस्टिक सपोर्ट और मदद प्रदान की थी। इसी आधार पर एनआईए की विशेष अदालत ने पहले उसकी जमानत याचिका खारिज की थी। हाई कोर्ट ने भी इस तर्क को स्वीकार करते हुए राहत देने से इंकार कर दिया।
हाई कोर्ट ने दिए छह महीने में ट्रायल पूरा करने के निर्देश
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्य प्राथमिक दृष्टि से साबित करते हैं कि आरोपित नक्सली गतिविधियों में शामिल था। अदालत ने टिप्पणी की कि ऐसे आतंकी और नक्सल मामलों में जमानत के मानक सामान्य अपराधों से अधिक सख्त होते हैं। इसलिए, अदालत ने निचली अदालत के आदेश को सही ठहराते हुए जमानत और मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया। साथ ही हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि इस मामले की सुनवाई छह माह के भीतर पूरी की जाए, यदि कोई कानूनी अड़चन न हो।
शासन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी राहत
हाई कोर्ट के नारायणपुर एनकाउंटर केस फैसले से छत्तीसगढ़ शासन को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने न केवल पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई को सही ठहराया बल्कि NHRC की जांच प्रक्रिया को भी उचित माना। यह निर्णय नक्सल प्रभावित इलाकों में काम कर रही पुलिस और सुरक्षा बलों के मनोबल को भी मजबूत करेगा।