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Photograph: (the sootr)
BILASPUR.छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हजारों कर्मचारियों के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जो कर्मचारी एक ही तरह की पढ़ाई करके एक ही तरह का काम करते हैं उन्हें अलग-अलग सैलरी देना गलत है। यह आदेश खास तौर पर छत्तीसगढ़ सरकार के लैब टेक्नीशियन पदों पर लागू किया गया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी लैब टेक्नीशियनों को अब 2800 ग्रेड पे दिया जाए।
यह नया वेतनमान उनकी नौकरी शुरू करने की तारीख से ही लागू माना जाएगा। सरकार को यह भी निर्देश दिया गया है कि पिछले समय की सभी बकाया सैलरी को 6% ब्याज के साथ, दो महीने के अंदर चुकाया जाए। इस निर्णय से अब सभी लैब टेक्नीशियनों को उनके काम के हिसाब से एक समान और सही वेतन मिलेगा। उन्हें पिछला रुका हुआ पैसा भी ब्याज के साथ वापस मिल जाएगा।
नियुक्ति विज्ञापन और वेतन में गड़बड़ी
याचिकाकर्ताओं के अनुसार 2 मई 2014 को जब सरकार लैब टेक्नीशियन के लिए भर्ती विज्ञापन निकाला था। इस विज्ञापन साफ-साफ लिखा था कि इस पद के लिए वेतनमान ₹5200–₹20200 होगा और ग्रेड पे ₹2800 दिया जाएगा।
लेकिन जब चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद नियुक्ति के समय सरकार ने अचानक ग्रेड पे घटाकर ₹2400 कर दिया। यानी वही काम करने वाले लोगों को कम वेतन मिलने लगा। लैब टेक्नीशियनों ने इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया। याचिका में कहा कि यह फैसला न सिर्फ मनमाना है, बल्कि समानता के अधिकार का भी उल्लंघन करता है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने 2013 में कुछ पदों के लिए 2800 ग्रेड पे और कुछ के लिए 2400 ग्रेड पे तय किया था। इसी कारण एक ही पद पर काम करने वाले कर्मचारियों के बीच वेतन विसंगति पैदा हो गई,जो बिल्कुल गलत है।
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न्यायालय की टिप्पणी: अलग-अलग वेतन समझ से परे है...
न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी की एकलपीठ ने कहा कि यह समझ से परे है कि एक ही पद के लिए दो अलग-अलग वेतन नियम क्यों और कैसे हो सकतें हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में 2015 के सेवा नियमों का हवाला दिया। न्यायालय ने कहा कि छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा विभाग के तृतीय श्रेणी सेवा भर्ती नियम, 2015 में लैब टेक्नीशियन के लिए 2800 ग्रेड पे निर्धारित है।
इसलिए 2400 ग्रेड पे देना न केवल नियम विरुद्ध है बल्कि “समान कार्य के लिए समान वेतन” के सिद्धांत के भी विपरीत है।
सरकार के सैलरी स्ट्रक्चर और कोर्ट के आदेश को ऐसे समझें
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आदेश का असर
यह निर्णय राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के हजारों लैब टेक्नीशियनों को राहत देने वाला साबित होगा। अब सरकार को दो माह के भीतर बकाया वेतन 6% ब्याज सहित चुकाना होगा। यह फैसला भविष्य में समान पदों पर वेतन निर्धारण के लिए एक उदाहरण भी बनेगा।
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सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा करे सरकार
न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि वह सभी विभागों में सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा करे। इससे समान कार्य करने वाले कर्मचारियों के साथ भेदभाव समाप्त हो सके।
इस आदेश के बाद अन्य विभागों के कर्मचारी भी समान वेतन की मांग को लेकर याचिकाएं दाखिल कर सकते हैं। जिससे राज्य प्रशासन पर सैलरी स्ट्रक्चर ठीक करने का दबाव बढ़ेगा।
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