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CG HC Online knives sales: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर में खुलेआम और ऑनलाइन चाकुओं की बिक्री पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है और इसे लगातार मॉनिटरिंग में रखा जाएगा। अदालत ने राज्य सरकार और एजेंसियों को निर्देश दिया है कि बेचने और खरीदने वाले दोनों पर कार्रवाई की जाए, ताकि इस खतरनाक प्रवृत्ति पर रोक लग सके।
आधे साल में 677 चाकूबाजी के मामले
राज्य शासन की ओर से हाईकोर्ट (CG High Court) में पेश किए गए आंकड़े बताते हैं कि 1 जनवरी से 30 जून 2024 के बीच छत्तीसगढ़ में कुल 677 चाकूबाजी के मामले दर्ज किए गए। यह संख्या अपने आप में चौंकाने वाली है क्योंकि यह साफ दर्शाती है कि प्रदेश में चाकुओं का दुरुपयोग लगातार बढ़ रहा है। इतने कम समय में दर्ज हुई घटनाएं कानून व्यवस्था और आम लोगों की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं
ऑनलाइन खरीदे गए 211 चाकू जब्त
अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा पेश रिपोर्ट में बताया गया कि ऑनलाइन प्लेटफार्मों से खरीदे गए 211 चाकू जब्त किए गए हैं। इसके अलावा बाजार में खुलेआम बेचे जा रहे स्प्रिंग बटन वाले चाकू भी दुकानदारों से जब्त किए गए और उनके खिलाफ अपराध दर्ज किया गया। जुलाई महीने में ही स्प्रिंग बटन वाले 10 चाकू रखने वाले दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ भी अपराध दर्ज किया गया है।
2024 में 1399 मामले दर्ज
शपथपत्र के आधार पर हाईकोर्ट को यह भी बताया गया कि वर्ष 2024 में शस्त्र अधिनियम के तहत 1399 मामले दर्ज किए गए थे। यह साफ करता है कि राज्य में चाकू और ऐसे खतरनाक हथियारों की बिक्री और दुरुपयोग लगातार बढ़ रहा है।
कोर्ट की चिंता और सख्त निर्देश
हाईकोर्ट ने कहा कि यह बेहद गंभीर विषय है और राज्य सरकार को और ज्यादा सतर्क रहना होगा। ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर बिक्री पर कड़ी नजर रखी जाए। पान की दुकानों, जनरल स्टोर्स और गिफ्ट शॉप्स में भी इस तरह की बिक्री पूरी तरह बंद की जाए। ऐसे हथियार रखने और बेचने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
चाकू की ऑनलाइन बिक्री: मुख्य बातें
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राज्य के प्रयास
राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं ताकि चाकुओं की बिक्री पर रोक लगाई जा सके। लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि केवल कार्रवाई दिखाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीनी स्तर पर सख्त उपाय करने होंगे। साफ है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट इस मामले को हल्के में लेने के मूड में नहीं है। अब यह देखना होगा कि राज्य की एजेंसियां किस तरह इस पर नकेल कसती हैं और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर चाकुओं की बिक्री को रोक पाती हैं या नहीं।