सरकारी जमीन पर नहीं मिलेगा खेती का हक! छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

बेमेतरा की सरकारी जमीन पर लीज को लेकर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता ने खेती के लिए जमीन मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने चौंकाने वाला निर्णय दिया।

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Harrison Masih
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Bemetara land dispute: छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर स्थित हाईकोर्ट ने बेमेतरा जिले से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। ग्राम धानगांव निवासी बनवाली दास द्वारा सरकारी भूमि को खेती के लिए लीज पर देने की मांग को न्यायालय ने खारिज कर दिया।

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क्या है पूरा मामला?

धानगांव निवासी याचिकाकर्ता बनवाली दास ने 0.94 हेक्टेयर भूमि पर खेती करने के लिए लीज की मांग की थी। उसका कहना था कि वह वर्ष 1998 से इस भूमि पर काबिज है और उसके पास आजीविका के लिए खेती हेतु कोई अन्य जमीन नहीं है। इसी आधार पर उसने कलेक्टर बेमेतरा को आवेदन दिया था।

प्रशासनिक स्तर पर खारिज

कलेक्टर बेमेतरा ने वर्ष 2014 में इस आवेदन को खारिज कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपील आयुक्त दुर्ग और पुनरीक्षण राजस्व मंडल रायपुर में भी अपील दायर की। लेकिन दोनों ही जगह पर उसकी मांग को अस्वीकार कर दिया गया।

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हाईकोर्ट का हस्तक्षेप से इंकार

इन आदेशों को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि संबंधित भूमि सरकारी भूमि है और इसे चरागाह (गाय-भैंस चराने के लिए) के रूप में आरक्षित किया गया है।

न्यायालय ने कहा कि राजस्व प्राधिकारियों ने तथ्यात्मक आधार पर सही निर्णय लिया है। इसलिए इसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। परिणामस्वरूप याचिका को खारिज कर दिया गया।

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क्या है बेमेतरा भूमि विवाद?

  • सरकारी भूमि पर खेती की मांग – बेमेतरा जिले के धानगांव निवासी बनवाली दास ने 0.94 हेक्टेयर सरकारी जमीन खेती के लिए लीज पर देने की मांग की थी।

  • याचिकाकर्ता का तर्क – उसने दावा किया कि वह 1998 से इस भूमि पर काबिज है और उसके पास खेती के लिए कोई अन्य जमीन नहीं है।

  • प्रशासनिक निर्णय – कलेक्टर बेमेतरा ने 2014 में उसका आवेदन खारिज कर दिया। अपील आयुक्त दुर्ग और राजस्व मंडल रायपुर ने भी इस मांग को अस्वीकार कर दिया।

  • हाईकोर्ट की सुनवाई – मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जहां न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह भूमि सरकारी है और इसे चरागाह (गाय-भैंस चराने) के लिए आरक्षित किया गया है।

  • अंतिम फैसला – कोर्ट ने प्रशासनिक आदेशों को सही ठहराते हुए याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी और लीज देने से इनकार कर दिया।

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फैसले का असर

इस निर्णय के बाद स्पष्ट हो गया है कि आरक्षित सरकारी जमीन का उपयोग केवल उसके निर्धारित उद्देश्य के लिए ही किया जाएगा। चरागाह के लिए चिन्हित भूमि किसी भी स्थिति में निजी खेती या अन्य गतिविधियों के लिए लीज पर नहीं दी जाएगी।

FAQ

बेमेतरा भूमि विवाद मामला क्या है?
बेमेतरा जिले के धानगांव निवासी बनवाली दास ने 0.94 हेक्टेयर सरकारी जमीन खेती के लिए लीज पर देने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने चरागाह भूमि बताते हुए खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने भूमि लीज याचिका क्यों खारिज की?
हाईकोर्ट ने कहा कि संबंधित भूमि सरकारी है और इसे चरागाह (गाय-भैंस चराई) के लिए आरक्षित किया गया है। इसलिए इसमें निजी लीज देने का कोई आधार नहीं है।

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