/sootr/media/media_files/2025/07/26/cg-highcourt-decision-love-proposal-case-the-sootr-2025-07-26-11-16-26.jpg)
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) से जुड़े एक अत्यंत संवेदनशील मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो कानून की व्याख्या, सामाजिक सोच और संवेदनशीलता के बीच संतुलन की मिसाल बन सकता है। न्यायमूर्ति संजय एस. अग्रवाल की एकल पीठ ने यह स्पष्ट किया है कि किसी नाबालिग लड़की को सिर्फ "आई लव यू" कह देना यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आता, जब तक कि इस कथन के पीछे यौन मंशा स्पष्ट रूप से प्रमाणित न हो।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 14 अक्टूबर 2019 का है, जब एक 15 वर्षीय छात्रा ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि स्कूल से घर लौटते वक्त एक युवक ने उसे देखकर "आई लव यू" कहा और प्रेम प्रस्ताव रखा। छात्रा का आरोप था कि युवक उसे पहले से परेशान कर रहा था, और इसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन को भी दी गई थी, जिन्होंने युवक को समझाइश दी थी।
इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने युवक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354D (पीछा करना), धारा 509 (शब्दों/इशारों द्वारा लज्जा भंग), पॉक्सो एक्ट की धारा 8 और SC/ST एक्ट की धारा 3(2)(va) के तहत केस दर्ज किया था।
ट्रायल कोर्ट का फैसला और राज्य की अपील
मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में हुई, जहां साक्ष्यों के अभाव में युवक को बरी कर दिया गया। सरकार ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, यह दावा करते हुए कि "आई लव यू" कहना भी नाबालिग के प्रति यौन इरादे की अभिव्यक्ति है।
हाईकोर्ट का तर्क: मंशा और प्रमाण जरूरी
हाईकोर्ट ने राज्य की अपील को खारिज करते हुए यह कहा कि केवल "आई लव यू" कहने को तब तक अपराध नहीं माना जा सकता, जब तक अभियोजन यह सिद्ध न कर दे कि यह कथन यौन मंशा के साथ किया गया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि न तो गवाहों के बयान और न ही कोई अन्य सबूत यह साबित कर सके कि युवक की मंशा यौन उत्पीड़न की थी।
ये खबर भी पढ़ें... सौम्या चौरसिया को नहीं मिली अंतरिम जमानत, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका खारिज
कानून की नई व्याख्या और सामाजिक संदेश
इस फैसले ने सामाजिक चर्चा को नया मोड़ दे दिया है। यह निर्णय न केवल आरोपी को राहत देता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि कानून का दुरुपयोग न हो। हर मामले में मंशा और प्रमाण का गहन परीक्षण जरूरी है। अदालत का यह कदम आने वाले समय में कई मामलों के लिए मार्गदर्शक बन सकता है।
ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा पर उठाए सवाल, सरकार से मांगा जवाब
आई लव यू कहना यौन अपराध नहीं पोक्सो केस हाईकोर्ट का फैसला
🔹 1. हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 🔹 2. आरोपी को कोर्ट से राहत 🔹 3. मामले की पृष्ठभूमि 🔹 4. यौन मंशा साबित नहीं हुई 🔹 5. कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण |
POCSO case HighCourt decision | CG High Court
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह फैसला सिर्फ एक कानूनी निर्णय नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी है कि प्रेम प्रस्ताव और यौन उत्पीड़न के बीच की रेखा स्पष्ट रूप से समझी जाए। कानून का मकसद न्याय है, न कि भावनाओं के बहाव में किसी को सजा देना।
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧👩