आई लव यू कहना यौन अपराध नहीं... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की राज्य सरकार की अपील

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा– “आई लव यू” कहना यौन उत्पीड़न नहीं, जब तक यौन मंशा साबित न हो। कोर्ट ने आरोपी को बरी करने का ट्रायल कोर्ट का फैसला बरकरार रखा।

author-image
Harrison Masih
New Update
CG-highcourt-decision-love-proposal-case the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) से जुड़े एक अत्यंत संवेदनशील मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो कानून की व्याख्या, सामाजिक सोच और संवेदनशीलता के बीच संतुलन की मिसाल बन सकता है। न्यायमूर्ति संजय एस. अग्रवाल की एकल पीठ ने यह स्पष्ट किया है कि किसी नाबालिग लड़की को सिर्फ "आई लव यू" कह देना यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आता, जब तक कि इस कथन के पीछे यौन मंशा स्पष्ट रूप से प्रमाणित न हो।

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: फार्मासिस्ट भर्ती में बी.फार्मा डिग्रीधारकों को भी मिलेगा मौका

क्या है पूरा मामला?

यह मामला 14 अक्टूबर 2019 का है, जब एक 15 वर्षीय छात्रा ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि स्कूल से घर लौटते वक्त एक युवक ने उसे देखकर "आई लव यू" कहा और प्रेम प्रस्ताव रखा। छात्रा का आरोप था कि युवक उसे पहले से परेशान कर रहा था, और इसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन को भी दी गई थी, जिन्होंने युवक को समझाइश दी थी।

इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने युवक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354D (पीछा करना), धारा 509 (शब्दों/इशारों द्वारा लज्जा भंग), पॉक्सो एक्ट की धारा 8 और SC/ST एक्ट की धारा 3(2)(va) के तहत केस दर्ज किया था।

ये खबर भी पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट ने पलटा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला,NDPS एक्ट केस में ट्रायल कोर्ट की शक्ति बताई

ट्रायल कोर्ट का फैसला और राज्य की अपील

मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में हुई, जहां साक्ष्यों के अभाव में युवक को बरी कर दिया गया। सरकार ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, यह दावा करते हुए कि "आई लव यू" कहना भी नाबालिग के प्रति यौन इरादे की अभिव्यक्ति है।

हाईकोर्ट का तर्क: मंशा और प्रमाण जरूरी

हाईकोर्ट ने राज्य की अपील को खारिज करते हुए यह कहा कि केवल "आई लव यू" कहने को तब तक अपराध नहीं माना जा सकता, जब तक अभियोजन यह सिद्ध न कर दे कि यह कथन यौन मंशा के साथ किया गया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि न तो गवाहों के बयान और न ही कोई अन्य सबूत यह साबित कर सके कि युवक की मंशा यौन उत्पीड़न की थी।

ये खबर भी पढ़ें... सौम्या चौरसिया को नहीं मिली अंतरिम जमानत, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका खारिज

 

कानून की नई व्याख्या और सामाजिक संदेश

इस फैसले ने सामाजिक चर्चा को नया मोड़ दे दिया है। यह निर्णय न केवल आरोपी को राहत देता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि कानून का दुरुपयोग न हो। हर मामले में मंशा और प्रमाण का गहन परीक्षण जरूरी है। अदालत का यह कदम आने वाले समय में कई मामलों के लिए मार्गदर्शक बन सकता है।

 

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा पर उठाए सवाल, सरकार से मांगा जवाब

आई लव यू कहना यौन अपराध नहीं  पोक्सो केस हाईकोर्ट का फैसला

🔹 1. हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि "आई लव यू" कहना, तब तक यौन अपराध नहीं माना जा सकता जब तक यौन मंशा स्पष्ट रूप से सिद्ध न हो।

🔹 2. आरोपी को कोर्ट से राहत
ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी किए गए आरोपी के खिलाफ राज्य सरकार की अपील हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।

🔹 3. मामले की पृष्ठभूमि
15 वर्षीय छात्रा ने युवक पर स्कूल से लौटते वक्त पीछा करने और "आई लव यू" कहकर परेशान करने का आरोप लगाया था।

🔹 4. यौन मंशा साबित नहीं हुई
कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष आरोपी की यौन मंशा को प्रमाणित करने में असफल रहा, जिससे मामला यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता।

🔹 5. कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
इस निर्णय ने यह स्पष्ट किया कि अपराध सिद्ध करने के लिए मंशा और प्रमाण आवश्यक हैं, केवल शब्दों के आधार पर अपराध तय नहीं होता।

POCSO case HighCourt decision | CG High Court

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह फैसला सिर्फ एक कानूनी निर्णय नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी है कि प्रेम प्रस्ताव और यौन उत्पीड़न के बीच की रेखा स्पष्ट रूप से समझी जाए। कानून का मकसद न्याय है, न कि भावनाओं के बहाव में किसी को सजा देना।

thesootr links

 सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧👩

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट CG High Court आई लव यू कहना यौन अपराध नहीं पोक्सो केस हाईकोर्ट का फैसला POCSO case HighCourt decision