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Raipur. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए, एजेंसी ने शुक्रवार (26 दिसंबर 2025) को रायपुर की विशेष अदालत में फाइनल चार्जशीट (Final Prosecution Complaint) पेश कर दी है।
ED ने अब तक का सबसे बड़ा दस्तावेजी प्रमाण अदालत के सामने रखा है। 29,800 पन्नों की इस चार्जशीट में 59 नए आरोपियों के नाम जोड़े गए हैं, जिसके बाद कुल आरोपियों की संख्या 81 हो गई है। इसमें हाई-प्रोफाइल नौकरशाह, नेता और शराब कारोबारी शामिल हैं।
चार्जशीट की मुख्य बातें
ED के वकील सौरभ कुमार पांडे के अनुसार, यह चार्जशीट सुप्रीम कोर्ट की समय-सीमा के भीतर दाखिल की गई है। मुख्य शिकायत 315 पन्नों की है, जबकि इसके साथ संलग्न साक्ष्य और दस्तावेज 29,800 पन्नों के हैं।
प्रमुख आरोपी: सौम्या चौरसिया (पूर्व डिप्टी सेक्रेटरी), निरंजन दास (पूर्व आबकारी आयुक्त), अनिल टुटेजा (रिटायर्ड IAS), अनवर ढेबर और चैतन्य बघेल समेत कई बड़े नाम इसमें शामिल हैं।
इसमें डिजिटल डेटा, कॉल रिकॉर्ड्स, बैंक ट्रांजैक्शन की डिटेल्स और गवाहों के बयान शामिल हैं।
संपत्तियों पर ED का 'हथौड़ा'
चार्जशीट पेश करने से ठीक पहले ED ने आरोपियों की चल-अचल संपत्तियों को कुर्क (Attach) करने की बड़ी कार्रवाई की। भाटिया वाइन, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी और वेलकम डिस्टलरी की 68 करोड़ रूपए की संपत्ति अटैच की गई है।
निरंजन दास सहित 31 आबकारी अधिकारियों की 38 करोड़ रूपए की संपत्ति कुर्क हुई है। इस मामले में अब तक कुल 382 करोड़ रूपए से अधिक की संपत्ति अटैच की जा चुकी है।
चैतन्य बघेल और सौम्या चौरसिया की भूमिका
जांच एजेंसियों (ED और EOW) ने पूर्व मुख्यमंत्री के करीबियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं:
चैतन्य बघेल: EOW का दावा है कि चैतन्य बघेल ने इस सिंडिकेट को संरक्षण दिया और उन्हें घोटाले की राशि से लगभग 200-250 करोड़ रूपए मिले। ED का मानना है कि सिंडिकेट द्वारा जनरेट किए गए करीब 1000 करोड़ रुपये के मैनेजमेंट में उनकी अहम भूमिका थी।
सौम्या चौरसिया: उन्हें 'को-ऑर्डिनेटर' बताया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रशासनिक स्तर पर सिंडिकेट के हितों की रक्षा की और बदले में करीब 100 करोड़ रूपए प्राप्त किए।
क्या था घोटाले का 'सिंडिकेट मॉडल'?
ED की जांच के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच राज्य में एक संगठित सिंडिकेट काम कर रहा था। डिस्टिलर्स से प्रति पेटी शराब पर अवैध कमीशन वसूला गया।
सरकारी दुकानों में बिना होलोग्राम या नकली होलोग्राम वाली (अवैध) शराब बेची गई, जिसका पैसा सरकारी खजाने के बजाय सीधे सिंडिकेट के पास गया। डिस्टिलर्स से कार्टेल बनाने के लिए रिश्वत ली गई।
ट्रायल और कानूनी लड़ाई
अंतिम चार्जशीट पेश होने के बाद अब कोर्ट में ट्रायल शुरू होगा। कोर्ट सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप (Charges) तय करेगा, जिसके बाद गवाहों की गवाही और जिरह की प्रक्रिया शुरू होगी। जहाँ एक तरफ ED ने जांच पूरी होने का दावा किया है, वहीं छत्तीसगढ़ की ACB-EOW ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जांच जारी रखने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है।
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