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Raipur.छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के किंगपिन तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा ने कस्टम मिलिंग से अवैध वसूली की पूरी साजिश भी रची। छत्तीसगढ़ के उद्योग भवन में अनिल टुटेजा ने मिलर्स एसोसिएशन के रोशन चंद्राकर के साथ बैठक कर कस्टम मिलिंग की पॉलिसी बदल दी।
मिलर्स को मिलने वाली 40 रुपए प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 120 रुपए कर दिया गया। मिलर्स से इन 120 में से 40 रुपए क्विंटल वसूलने की पूरी योजना तैयार की गई। इस योजना में मार्कफेड के अफसर भी शामिल थे।
रोशन चंद्राकर के ओके करने के बाद ही मार्कफेड के एमडी मिलर्स का बिल पास करते थे। यह पूरी कहानी एसीबी और ईओडब्ल्यू की उस चार्जशीट में शामिल है जो हाल ही में कोर्ट में पेश की गई है।
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गरीबों के चावल से कमाई :
छत्तीसगढ़ की पिछली कांग्रेस सरकार के सबसे करीबी आईएएस अफसर अनिल टुटेजा ने गरीबों के चावल से भी अवैध कमाई करने का रास्ता तलाश लिया। कोर्ट में पेश हुई एसीबी और ईओडब्ल्यू की चार्जशीट में इसका खुलासा हुआ है।
सरकार बनने के बाद इसकी योजना भी तैयार कर ली गई थी। छत्तीसगढ़ मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष को बदलकर अपने लोगों को बैठा दिया गया। कांग्रेस सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन में रमेश सोमानी की जगह रोशन चंद्राकर को कोषाध्यक्ष बना दिया गया।
चार्जशीट में इस बात का जिक्र है कि कस्टम मिलिंग घोटाले में एसोसिएशन के पदाधिकारी को आगे रखा गया। कस्टम मिलिंग घोटाले का पूरा खेल अकेले एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर ने खेला। चार्जशीट में मुख्य आरोपी विपणन संघ के एमडी मनोज सोनी और रोशन चंद्राकर है।
उद्योग भवन में रची गई साजिश :
उद्योग भवन में अनिल टुटेजा और रोशन चंद्राकर की बैठक हुई। इस बैठक में खरीफ वर्ष 2021-22 में मिलर्स को मिलने वाली विशेष प्रोत्साहन राशि को 40 रुपए से बढ़ाकर 120 रुपए प्रति क्विंटल करने का तय हुआ।
यह राशि मिलर्स को दो 60-60 रुपए की दो किस्तों में दी जानी थी। होटल बेबीलॉन में सरकार की तरफ से इस बात का ऐलान भी कर दिया गया। राजीव भवन यानी प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पीसीसी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के साथ भी एक बैठक हुई।
इस बैठक में मिलर्स से इन दो किस्तों में 20-20 रुपए यानी 40 रुपए प्रतिक्विंटल की अवैध वसूली की पूरी योजना तैयार की गई। इस अवैध वसूली का पूरा जिम्मा रोशन चंद्राकर को सौंपा गया।
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चंद्राकर के ओके के बाद बिल पास :
जांच एजेंसी को इस बात के सबूत भी मिले हैं कि मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी उन बिलों की ही पास करते थे जिनको रोशन चंद्राकर का ओके होता था। जिन पर यस का वाय लिखा होता था उसका मतलब था कि इस मिलर ने अवैध वसूली के पैसे दे दिए हैं।
और जहा नो का एन बना होता था उस मिलर का बिल लटकाया जाता था। नो का मतलब था कि यहां से पैसे नहीं आए हैं। सबूतों से यह साफ है कि मनोज सोनी द्वारा बिलों को पेंडिंग कर अवैध वसूली के लिए दबाव बनाया गया।
रोशन चंद्राकर दिन में कई बार मार्कफेड के दफ्तर जाता था और मनोज सोनी के कैबिन में घंटों बैठता था लेकिन विजिटर्स रजिस्टर में उसका नाम नहीं होता था। जांच में यह सामने आया है कि मिलर्स से 140 करोड़ रुपए की अवैध वसूली की गई।
अवैध कमाई से कश्मीर का टूर :
ईओडब्ल्यू ने खुलासा किया है कि इस अवैध कमाई के कमीशन के पैसे से सोनी और रोशन का परिवार कई बार टूर पर गया। इसमें कश्मीर टूर भी शामिल था। टिकट से ठहरने तक की व्यवस्था रोशन ने की ​थी।
दोनों ने कई जगह प्रॉपर्टी में निवेश किया है। ईओडब्ल्यू को प्रॉपर्टी के दस्तावेज भी मिले हैं। वसूली से मनोज ने 15.44 करोड़ की अवैध आय अर्जित की है।
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