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Photograph: (the sootr)
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कस्टम मिलिंग घोटाले की जांच तेज कर दी है। भिलाई के हुडको और तालपुरी इलाकों में राइस मिलर सुधाकर राव के घर पर छापेमारी की गई। ED की टीम ने सुबह करीब 6 बजे राव के घर दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉर्ड की जांच शुरू की।
राव पर पहले से ही आरोप हैं कि वह इस घोटाले में शामिल हैं। इस छापेमारी के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि घोटाले से जुड़े और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं। ED की कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि यह घोटाला काफी व्यापक है और इसकी जांच में अब तक कई अहम तथ्य सामने आए हैं।
टुटेजा और ढेबर की गिरफ्तारी के बाद बढ़ी सख्ती
इस घोटाले में प्रमुख आरोपी रिटायर्ड IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और होटल कारोबारी अनवर ढेबर की गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मामले में सख्ती बढ़ा दी है। इन दोनों आरोपियों से पूछताछ के बाद ED ने भिलाई में सुधाकर राव के घर पर छापेमारी की। इस कार्रवाई से कई बड़े नामों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
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अवैध वसूली में सहयोग का आरोप
राइस मिलर सुधाकर राव पर आरोप है कि उन्होंने कस्टम मिलिंग के प्रक्रिया में भ्रष्टाचार किया और सरकारी अनाज की अवैध वसूली में सहयोग किया। यह वसूली संबंधित अधिकारियों और मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मिलीभगत से की गई थी।
कस्टम मिलिंग में राइस मिलर्स सरकारी चावल को जमा कराते थे और उनसे प्रति क्विंटल के हिसाब से अवैध राशि वसूल करते थे। यह एक बड़ा वित्तीय अपराध था जो राज्य की खाद्य आपूर्ति व्यवस्था को प्रभावित करता था।
भिलाई में इडी की कार्रवाई और कस्टम मिलिंग घोटाले को ऐसे समझें
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छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग घोटाला क्या है?
कस्टम मिलिंग घोटाला एक प्रमुख भ्रष्टाचार का मामला है जिसमें नागरिक आपूर्ति निगम (CIVIL SUPPLY CORPORATION) और भारतीय खाद्य निगम (FCI) के साथ मिलकर चावल की कस्टम मिलिंग से जुड़ा भ्रष्टाचार किया गया।
इस घोटाले में लगभग 140 करोड़ रुपये की अवैध वसूली का आरोप है, जो विभिन्न राइस मिलर्स द्वारा की गई थी। इन मिलर्स ने अफसरों के साथ सांठगांठ कर चावल की कस्टम मिलिंग में घोटाला किया। इसमें मार्कफेड के पूर्व MD मनोज सोनी और अन्य बड़े अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं।
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क्या है पूरा मामला
ईडी की जांच में कई चीजें सामने आई हैं। भ्रष्टाचार का ये पूरा खेल कई साल से चल रहा था। अवैध वसूली में मार्कफेड के पूर्व प्रबंध निदेशक मनोज सोनी समेत और खाद्य विभाग के कुछ अफसरों समेत मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी तक शामिल हैं। जांच में ये बात सामने आई है कि एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर लेवी वसूलते थे। और अफसरों को जानकारी देते थे। जिनसे रुपए नहीं मिलते थे उनका भुगतान रोक दिया जाता।
करोबारियों ने भी माना था कि अफसरों को हर काम का पैसा देना पड़ता था। कस्टम मिलिंग में प्रति टन 20 रुपए वसूली की जाती थी। इस पूरी वसूली के लिए बाकायदा पूरी टीम काम कर रही थी। इस टीम में मार्कफेड के अधिकारी और छत्तीसगढ़ स्टेट इन मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल थे। आरोप है कि, कस्टम मिलिंग, डीओ काटने, मोटा धान को पतला, पतले धान को मोटा करने, एफसीआई को नान में कंवर्ट करने का पैसा लिया जाता था।
इस काम के लिए इतनी वसूली
- कस्टम मिलिंग प्रति क्विंटल - 20 रुपए
- डीओ काटने का - 100 रुपए
- मोटा धान को पतला धान करने की रिपोर्ट प्रति क्विंटल -100 रुपए
- पतले धान को मोटा बताने की रिपोर्ट प्रति क्विंटल - 100 रुपए
- एफसीआई से नान कन्वर्ट करने की रिपोर्ट प्रति क्विंटल - 100 रुपए