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Raipur. छत्तीसगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों और डॉक्टरों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं, लेकिन इसके बावजूद पदोन्नति की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है। आधे पद खाली होने के कारण मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी संकट गहराता जा रहा है, जिसका सीधा असर मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है।
एम्स को छोड़कर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कुल 2660 स्वीकृत पदों में से 1290 पद खाली हैं। सबसे अधिक कमी सीनियर रेजिडेंट और सहायक प्राध्यापक स्तर पर देखी जा रही है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सितंबर 2024 से पदोन्नति प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
एनएमसी मानकों का उल्लंघन :
एनएमसी के मानकों के अनुसार मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षक और रेजिडेंट डॉक्टर नहीं हैं। चिकित्सा शिक्षकों का कहना है कि पद रिक्त होने और पदोन्नति अटके रहने से मेडिकल कॉलेजों की मान्यता और छात्रों के भविष्य पर भी संकट खड़ा हो सकता है।
राज्य के शासकीय मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं, बावजूद इसके वर्षों से कार्यरत चिकित्सकों की पदोन्नति की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है। इसका सीधा असर न केवल चिकित्सा शिक्षकों पर, बल्कि मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है।
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में एम्स, डेंटल कॉलेज और आयुर्वेद कॉलेज को छोड़कर शासकीय मेडिकल कॉलेजों में पदों की भारी कमी है। जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेजों में 48 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं।
इसी कमी के कारण रायपुर मेडिकल कॉलेज पर पांच लाख रुपए और महासमुंद मेडिकल कॉलेज पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लग चुका है।
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मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों व डॉक्टरों की स्थिति :
प्राध्यापक – 241 में से 117 पद खाली यानी 48.5 फीसदी
सह प्राध्यापक– 399 में से 196 पद खाली यानी 49.1 फीसदी
सहायक प्राध्यापक – 644 में से 332 पद खाली यानी 51.6 फीसदी
प्रदर्शक – 302 में से 51 पद खाली यानी 16.9 फीसदी
सीनियर रेजिडेंट – 518 में से 375 पद खाली यानी 72.3 फीसदी
जूनियर रेजिडेंट – 502 में से 209 पद खाली यानी 41.6 फीसदी
सीनियर रजिस्ट्रार – 23 में से 5 पद खाली यानी 21.7 फीसदी
रजिस्ट्रार – 31 में से 5 पद खाी यानी 16.1 फीसदी
कुल पद – 2660
खाली पद – 1290
कुल खाली पद – 48.5 फीसदी
चिकित्सा शिक्षा बीमार :
पदोन्नति नहीं होने से वर्षों से कार्यरत डॉक्टर एक ही पद पर जमे हुए हैं। इससे न केवल उनका मनोबल प्रभावित हो रहा है, बल्कि शैक्षणिक व्यवस्था भी कमजोर हो रही है। चिकित्सा शिक्षकों का कहना है कि जून 2024 में रायपुर मेडिकल कॉलेज में एनएमसी निरीक्षण के दौरान पदोन्नति को लेकर आश्वासन दिया गया था, लेकिन वह कागजों तक ही सीमित रह गया।
एनएमसी के मानकों के अनुसार पर्याप्त फैकल्टी की अनिवार्यता है। फैकल्टी की कमी के चलते जुलाई से सितंबर 2024 के बीच 25 से अधिक एमबीबीएस छात्रों के प्रवेश को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। जब पद खाली हैं, तब पदोन्नति रोकना व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। सरकार कहती है कि जल्द ही यह कमी पूरी कर ली जाएगी।
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