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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान के निजी मेडिकल कॉलेजों की ओर से एमबीबीएस स्टूडेंट्स से वसूली जा रही ज्यादा फीस का विवाद मामला राजस्थान हाई कोर्ट पहुंच गया है। हाई कोर्ट ने निजी मेडिकल कॉलेजों पर फीस विवाद पर राजस्थान सरकार की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट की जोधपुर पीठ ने राजस्थान सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से 18 अक्टूबर को फीस नियमन संबंधी आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है।
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अंतरिम आदेश जारी किया
जस्टिस सुनील बेनीवाल ने अमेरिकन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज उदयपुर और अनंता मेडिकल कॉलेज राजसमंद सहित एक अन्य की याचिका पर प्राथमिक सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश जारी किया है। निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा मनमानी फीस वसूली और राजस्थान सरकार की ओर से ज्यादा वसूली फीस रिफंड करने की कार्रवाई को लेकर जारी किए गए आदेश से उपजे विवाद का है।
यह है याचिका
राजस्थान हाई कोर्ट में दायर याचिका में अमेरिकन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज उदयपुर व अन्य की तरफ से बताया गया है कि चिकित्सा विभाग ने 18 अक्टूबर को एक आदेश निकाला है। इस आदेश में इस्लामिक एकेडमी ऑफ एजुकेशन बनाम कर्नाटक राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए इसके निर्देशों की अनुपालना करने को कहा गया है।
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सभी सीटों पर सामान्य फीस ही लागू
इसमें बताया गया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में मैनेजमेंट का कोटा निर्धारित नहीं है। इसलिए सभी सीटों पर सामान्य फीस ही लागू होगी। इस आदेश के बाद मेडिकल कॉलेज में काउंसलिंग बोर्ड ने तीसरे राउंड की काउंसलिंग को रुकवा दिया। याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को चुनौती देते हुए राज्य स्तरीय फीस रेगुलेटरी कमेटी और राजस्थान स्टेट नीट यूजी मेडिकल एंड डेंटल एडमिशन काउंसलिंग बोर्ड 2025, प्रमुख सचिव (हेल्थ एजुकेशन) सहित अन्य को पक्षकार बनाया।
आठ मेडिकल कॉलेजों ने ज्यादा फीस ली
नीट यूजी के दो राउंड की काउंसलिंग पूरी होने के बाद जब तीसरे राउंड की काउंसलिंग शुरू हुई तो काउंसलिंग बोर्ड को ज्यादा फीस वसूलने के बारे में पता चला। यूजी काउंसलिंग बोर्ड की वेबसाइट पर कुछ प्राइवेट कॉलेजों द्वारा 15 प्रतिशत सीटों को मैनेजमेंट सीट्स बताकर अतिरिक्त फीस दर्शाई गई थी। यह फीस रेगुलेटरी कमेटी द्वारा अधिकृत नहीं थी। राज्य सरकार की कमेटी ने 18.90 लाख रुपए प्रतिवर्ष की दर से फीस का निर्धारण कर रखा है। आठ मेडिकल कॉलेज तय फीस से अधिक राशि वसूल रहे थे।
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ब्याज सहित फीस लौटाने के निर्देश
चिकित्सा विभाग ने 18 अक्टूबर को एक आदेश निकाला, जिसमें सभी प्राइवेट मेडिकल व डेंटल कॉलेजों को राज्य स्तरीय फीस निर्धारण समिति की ओर से तय फीस लेने का हवाला दिया गया है। इस आदेश में किसी भी तरह के अन्य शुल्क या फीस नहीं लेने के स्पष्ट निर्देश है।
आठ मेडिकल कॉलेजों ने तय फीस से अधिक फीस वसूली, जिस पर विभाग ने आठों मेडिकल कॉलेज के संचालकों को ज्यादा फीस वसूलने पर नोटिस दिए और उन्हें मेडिकल स्टूडेंट्स को ज्यादा वसूली गई फीस ब्याज समेत लौटाने को कहा। विभाग ने 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रिफंड करने के आदेश दिए हैं।
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आदेश की पालना नहीं करने पर मान्यता खत्म
आदेश में यह भी प्रावधान है कि राज्य सरकार की तय फीस के अतिरिक्त राशि लेने वाले मेडिकल कॉलेजों पर कार्यवाही की जाएगी। फीस ज्यादा वसूलने वाले और फीस नहीं लौटाने वाले मेडिकल कॉलेज की संबद्धता को खत्म करने की कार्यवाही की जाएगी।
उस संस्था की प्रॉपर्टी से राज्य सरकार द्वारा राशि वसूल कर संबंधित स्टूडेंट को लौटाई जाएगी। उस कॉलेज के स्टूडेंट्स को किसी दूसरे मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जाएगा। विभाग के उक्त आदेश को मेडिकल कॉलेज ने राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
सरकार को दो सप्ताह में देना होगा जवाब
हाई कोर्ट ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की याचिका पर प्राथमिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। साथ ही दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा गया है। कोर्ट ने स्टे एप्लिकेशन पर भी नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा 18 अक्टूबर को पारित आदेश स्थगित रहेगा। दो सप्ताह में मामले की अगली सुनवाई होगी। किसी भी प्रवेश और ली गई फीस का भविष्य रिट याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा।
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